लखनऊ। टीबी अर्थात क्षय रोग मुख्यतः श्वास तंत्र और पाचन तंत्र को प्रभावित करता है लेकिन टीबी नाखून और बालों को छोड़कर शरीर के सभी अंगों में हो सकती है | टीबी खून के माध्यम से शरीर के अन्य अंगों में फ़ैल सकती है | ऐसी टीबी को एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी कहते हैं | टीबी जब हड्डियों में होती है तब उसे बोन टीबी या हड्डियों की टीबी कहते हैं |
जिला क्षय रोग अधिकारी डा. ए .के.चौधरी बताते हैं – बोन टीबी को मस्कुलोस्केलेटल टीबी भी कहते हैं | बोन टीबी से हाथ पैर के जोड़, कोहनियां और कलाई प्रभावित होते हैं | टीबी एक संक्रामक रोग है जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया से फैलता है | दूसरे अंगों में संक्रमण टीबी हो जाने के बाद फैलता है |
टीबी का बैक्टीरिया खून के जरिये हड्डियों और अन्य अंगों पर जाकर बैठ जाता है और उस जगह पर घाव करता है | शरीर पर होने वाले घाव व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता पर निर्भर करते हैं |
डा. चौधरी ने बताया- राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) की रिपोर्ट के अनुसार-भारत में टीबी के कुल मामलों में 20 फीसदी मामले एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी के होते हैं | जिसमें बोन टीबी के 5-10 प्रतिशत मरीज होते हैं | स्पाइनल एवम घुटने के जोड़ों की टीबी प्रमुख रूप से पाई जाती है। डा.चौधरी ने बताया- बोन टीबी का प्रमुख लक्षण शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द, लम्बे समय तक बुखार और वजन कम होना है |
मस्कुलोस्केलेटल टीबी किसी भी आयु में हो सकता है | आमतौर पर हड्डियों की टीबी का देर से पता चलता है| उपरोक्त लक्षण दिखने पर प्रशिक्षित चिकित्सक को दिखाएँ | समय पर इस बीमारी का इलाज करना बहुत जरूरी होता है क्योंकि व्यक्ति दिव्यांग हो सकता है | सीटी स्कैन और एमआरआई के माध्यम से आसानी से पता चल सकता है |
डा. चौधरी ने बताया- बोन टीबी का इलाज पूरी तरह से संभव है | इलाज के दौरान दर्द समाप्त होने के बाद पीड़ित को जोड़ों के व्यायाम और उचित खानपान की सलाह दी जाती है | व्यक्ति को प्रोटीन और पौष्टिक तत्वों से भरपूर संतुलित आहार लेना चाहिए | शराब, सिगरेट आदि का सेवन करने से बचें |
साथ ही एनटीईपी के तहत टीबी का इलाज निशुल्क उपलब्ध है | साथ ही निक्षय पोषण योजना के तहत पोषण के लिए 500 रूपये की धनराशि प्रतिमाह की दर से सीधे मरीज के खाते में स्थानांतरित किये जाते हैं |