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हरिद्वार घाट का नाम बदलना शंकराचार्य के साथ क्रूर मजाक है : मसूद अहमद

रंजीव ठाकुर
लखनऊ । राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ0 मसूद अहमद ने बुधवार को पार्टी मुख्यालय पर आयोजित प्रेसवार्ता में कहा कि स्वयंभू देशभक्तों द्वारा देश और समाज के प्रति समर्पित महापुरूषों के नाम से चल रही योजनाओं एवं उनके व्यक्तित्व के प्रति समर्पित स्थानों के नाम परिवर्तन को क्या कथित देशभक्तों का सराहनीय कार्य कहा जा सकता है? नहीं। क्या इस प्रकार की सोच को ओछी मानसिकता कहा जा सकता है? हां। आज सामाजिक परिदृष्य में इस प्रकार के प्रश्न उचित उत्तर तलाश रहे हैं।
प्रदेश के सिचाई मंत्री धर्मपाल सिंह ने हरिद्वार के विश्व पर्यटन स्थल पर चरण सिंह के व्यक्तित्व को समर्पित गंगा नदी के पावन घाट का नाम बदलकर आदि गुरू शंकराचार्य के नाम पर करने की घोषणा हास्यास्पद ही नहीं बल्कि आदिगुरू शंकराचार्य के साथ क्रूर मजाक लग रहा है। जब केन्द्र सरकार एवं प्रदेष सरकार नमामि गंगे परियोजना पर अरबों रूपया व्यय कर रही है तो जगदगुरू शंकराचार्य को नया घाट बनाकर समर्पित करना सच्ची आस्था का प्रदर्षन होता परन्तु ऐसा न करके झूठी आस्था का प्रदर्षन करते हुये चरण सिंह के नाम से बने घाट का नाम बदलने की घोषणा की गई।
वास्तविकता यह है कि हरिद्वार उत्तर प्रदेश के सिचाई मंत्री का कार्यक्षेत्र भी नहीं है फिर भी इस प्रकार का कुत्सित प्रयास करने वाला सामाजिक निंदा का पात्र है। ऐसा कृत्य देखकर लगता है कि यदि इनके द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम से समर्पित स्थानों का भी नाम बदला जाय तो आष्चर्य नहीं होना चाहिए।
रालोद प्रदेष अध्यक्ष ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से प्रेस के माध्यम से मांग करते हुये कहा कि 9 मई तक हरिद्वार के घाट का नाम पुनः चरण सिंह के नाम पर करने की घोषणा करें अन्यथा 11 मई को सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर राष्ट्रीय लोकदल के कार्यकर्ता एवं चरण सिंह के आस्था रखने वाले लोग धरना प्रदर्षन के माध्यम से अपना विरोध प्रदर्षन करेंगे।

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