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ऑस्टिओआर्थइरिटिस पर प्रथम राष्ट्रीय कांग्रेस का आयोजन होटल क्लार्क अवध में

लखनऊ | ऑस्टिओआर्थइरिटिस पर प्रथम राष्ट्रीय कांग्रेस का आयोजन 23 सितम्बर, 2017 से 24 सितम्बर, 217 के मध्य होटल क्लार्क अवध में किया जा रहा है। कार्यक्रम का उद्घाटन आज मा0 उप मुख्यमंत्री डाॅ0 दिनेश शर्मा के कर कमलो द्वारा किया गया। कार्यक्रम में डाॅ0 दिनेश शर्मा ने कहा कि तमाम प्रकार के शोध बीमारियों को दूर करने और उनके कारणों का पता लगाने के लिए किया जाता है। भारत अपने प्राचीन काल से चिकित्सा जगत में बहुत आगे था। यहा प्राचीन काल सहित मध्य युगीन भारत में लोगो की औसत आयु ज्यादा थी। आज भारत की औसत आयु काफी कम है फिर हमारी औसत आयु अमेरीका के लोगो की औसत आयु से ज्यादा है। व्ेजमवंतजीपतपजपे समृद्ध लोगो की बीमारी है। यह बीमारी मे सबसे बड़ा कारण कम शारीरिक कार्य और खानपान है। अगर संतुलित खानपान के साथ शारीरिक श्रम किया जाए और अपने शरीर के वजन को नियंत्रित रखा जाए तो इस बीमारी से बचा जा सकता है। कार्यक्रम में प्रो0 जे0वी0 सिंह ने बताय कि अगर हम अपना वजन नियंत्रित रखें तो इस तरह की बीमारियों से बचा जा सकता हैं। यह एक जीवन चर्या से जुड़ी बीमारी है। कार्यक्रम में प्रो0 वीनिता दास ने बताया कि इस बीमारी के उपचार के लिए बहुत सारी शोध की अवश्यकता है। इस तरह के कांग्रेस का अयोजन होते रहना चाहिए जिससे विभिन्न प्रकार की नई जानकारियों को साझा किया जा सके और इस बीमारी से लड़ने में मदद मिल सके। उपरोक्त राष्ट्रीय कांग्रेस के साईंटिफिक सेशन में प्रो0 एस0के0 दास ने बताया कि घुटनो की आॅस्टियोंआर्थराइटिस के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है विशेष रूप से बुजुर्गो और मोटे व्यक्तियों मे। यह बीमारी घुटनें के कार्टिलेज में गड़बड़ी होने की वजह से होता हैं जैसे कार्टिलेज में कठोरता आ जाना उसका टेढ़ा हो जाना उनके बिच में फ्लूड इकठ्ठा होने की वजह से घुटनों में काफी दर्द होने लगता है। इसमें फिजियोथेरेपी और दवाओं के उपयोग से इसमें थोड़े समय के लिए आराम दिया जा सकता है। इस बीमारी में पूर्ण रूप से दूर करने के लिए घुटनों का प्रतिस्थापन एक तरीका है। किन्तु इसमें ज्यादा खर्चा आता है और हर समय यह सफल होने की गारण्टी भी नही होती है। अब इसके उपचार के लिए आधुनिक तकनीक स्टेम सेल थेरेपी के द्वारा घुटनों के कार्टिलेज का उपचार कर उसको पुनः पुर्ववत स्थिति में लाने का प्रयास किया जाता है। भविष्य में आॅस्टियोंआर्थराटिस के उपचार मंे स्टेम सेल का प्रयोग बहुत जोर होगा।
प्रो0 अजय सिंह, विभागाध्यक्ष पीडियाट्रिक अर्थोपेडिक सर्जरी/प्रोफेसर अर्थोपेडिक सर्जरी विभाग के0जी0एम0यू0 द्वारा घुटने के आॅस्टियोंआर्थराइटिस के उपर योग के प्रभाव के बारे मे जानकारी दी गई उन्होंने ने बताया कि उनके द्वारा 120 मरीजो पर यह प्रयोग किया गया है। मानव शरीर में इंटरल्यूकेंश केमिकल होते है जो शरीर मंे सुजन को बाताते है। ये केमिकल सुजन का मार्कर होते है। इनको मापने से यह पता चल जाता है कि योगा करने से गांठो की सूजन कम हो रही है कि नही। कार्यक्रम में प्रो0 आर0एन0 श्रीवास्तव द्वारा आॅस्टियोआर्थराटिस मे विटाामी डी के प्रयोग के बारे में बताया गया कि विटामीन डी का समय समय पर सेवन करने से इससे बहुत हद तक बचा जा सकता है।

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