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राम मंदिर के भूमि पूजन मे शामिल होने के लिए 175 लोगों को किया गया आमंत्रित।

संवाददाता अखिलेश दुबे
लखनऊ। राम मंदिर के भूमिपूजन के लिए कुल 175 लोगों को आमंत्रित किया गया है। जिसमें देश की कुल 36 आध्यात्मिक परम्पराओं के 135 पूजनीय संत है। अब बचे 40 लोग जिसमें प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, अशोक सिंहल के परिवार से महेश भागचन्दका व पवन सिंहल, मोहन भागवत उत्तर प्रदेश के माननीय राज्यपाल हैं। सूत्रों का अनुमान है कि बचे 34 लोगों में 2-4 राज्य सरकार के मंत्री हो सकते है। 2-4 अन्य राज्यो के मुख्यमंत्री हो सकते है अयोध्या के 10-15 गणमान्य नागरिक होंगे, 5-10 बलिदानी कारसेवकों के परिवार वाले होंगे जैसा की चंपत राय ने पहले ही कहा था। कि सबको निमंत्रण भेजा जाएगा, जो आने में समर्थ है। उनका स्वागत है। राम मंदिर आंदोलन से जुड़े सभी वरिष्ठजनों जैसे आडवाणी और जोशी को भी आमंत्रण दिया गया है। परन्तु कोरोना के कारण वे शायद ही भूमि पूजन में शामिल हो पाएंगे। जैसा कि राम जन्मभूमि ट्रस्ट की तरफ से कहा भी गया है। कोरोना महामारी और अन्य कुछ कारणों से कुछ महानुभावो के आगमन में बाध्यताएं हैं। 90 वर्ष से अधिक आयु के महानुभावों का इस अवस्था में अयोध्या तक आना न तो सम्भव है। न ही व्यवहारिक। “पूज्य शंकराचार्य व अन्य कई संतों को आमंत्रण भेजा जाना था। परन्तु उन्होंने अशुभ मूहूर्त का हवाला देते हुए पहले ही मना कर दिया है। इसलिए कोई ये नहीं कह सकता कि इन्हें बुलाया नहीं गया। राम मंदिर आंदोलन से जुड़े सभी खास लोगों को आमंत्रण भेजा गया है। अब 5 अगस्त को अगर कोई खास चेहरा आपको न दिखाई पड़े तो दरबारी मीडिया की बातों में आकर तांडव नहीं कीजिएगा। कोरोना व अन्य कारणों से शायद कुछ इच्छित चेहरे भूमि पूजन समारोह में शामिल न हो पाएं। तो इसके लिए मोदी योगी हाय हाय मत करने लगना कोई! अब बात आती है कि भूमि पूजन के कार्यक्रम में 2-4 विधर्मियों को क्यों आमंत्रित किया गया है। जैसे इकबाल अंसारी और एक न्यूज़ में पढ़ा कि ओवैसी को भी आमंत्रित किया गया है। अब पता नहीं ये ओवैसी वाली न्यूज़ कितनी सच है। लेकिन मान लेते है। कि इसे भी आमंत्रण मिला है। भूमि पूजन के लिए आमंत्रण से जुड़ी कई सारी फर्जी खबरें उड़ाई जा रही है। किसी न्यूज़ को आधार बनाकर तथ्य नहीं लिख रहा हूं सिर्फ श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के बयानों के आधार पर तथ्य रख रहा हूं इसलिए किसी प्रोपोगंडा न्यूज़ पर विश्वास करने की जरूरत नहीं है! अब आते है मुद्दे पर अंसारी और ओवैसी जैसे लोगों को ट्रस्ट ने क्यों आमंत्रण भेजा ? अंसारी वो व्यक्ति है। जिसका खानदान कई दशकों से बाबरी मस्जिद के लिए कोर्ट में केस लड़ता रहा। अंतः सबूतों के आधार पर यह सिद्ध हुआ कि वहां मंदिर था। और सुप्रीम कोर्ट का निर्णय राम मंदिर के पक्ष में आया!  सुनी सुनाई बात ये है। कि अयोध्या में इकबाल अंसारी का हिन्दुओं के साथ मित्रवत संबंध है। हिन्दू अक्सर इकबाल अंसारी की मदद करते रहते है! अंसारी का साधू संतो से भी मिलना जुलना है! इकबाल अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट का निर्णय भी सहर्ष या दिल पर पत्थर रखकर जो भी समझिए स्वीकार किया था! कुल मिला के सेकुलरिज्म टाइप का ढोंग समझ लीजिए! हिन्दू बड़ा भोला प्राणी है सबकुछ आंखो से देखने, झेलने, 500 वर्षों तक राम मंदिर के लिए त्याग, तपस्या और लाखों बलिदानियों के बाद भी सेकुलरिज्म का ढोल पीटता रहता है! एक तो ये दृष्टिकोण हो गया, दूसरा दृष्टिकोण ये है कि राम मंदिर के 2-4 धुर विरोधी चेहरों को उसी राम मंदिर के भूमि पूजन में बुलाकर जलील करने का कोई संकल्प होगा! देख ओवैसी तूने घोड़े खोल लिए लेकिन मंदिर वहीं बन रहा है! देख इकबाल मियां मंदिर वहीं बनने जा रहा है! आ बैठ और आंख खोल के देख, 500 वर्षों के इस धर्म अधर्म के युद्ध में विजय अंततः धर्म की ही हुई! नेतृत्व के दिमाग में क्या चल रहा है भविष्य के लिए क्या रणनीति है, ये हर कोई नहीं समझ सकता! लेकिन एक बात जो हम आसानी से समझ सकते हैं वो ये है कि मोदी ने चेतना विहीन हिन्दुओं में राष्ट्रवाद और हिंदुत्व की चेतना को पुनर्जीवित किया है! विभिन्न जातियों में बिखरे हिन्दुओं को राष्ट्रवाद, हिंदुत्व और विकास के मुद्दे पर एकजुट किया है! ये उसी एकजुटता का परिणाम है। जो सदियों पुरानी, दशकों पुरानी हमारी इच्छाओं की पूर्ति हो रही है! साम दाम दण्ड भेद, सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास चाहे जो रणनीति रही हो, सत्य तो यही है मोदी सरकार ने धारा 370 हटाई! मोदी सरकार ने ही नागरिकता कानून में संशोधन किया और विपक्ष व समुदाय विशेष के भयंकर हिंसात्मक विरोध के बावजूद रत्ती भर भी पीछे नहीं हटे! मोदी और योगी के कारण ही आज 500 वर्षों की तपस्या और बलिदान का फल हमें जन्मस्थान पर भव्य राम मंदिर के भूमि पूजन के रूप में प्राप्त होने जा रहा है!जिन्हे लगता है मंदिर में इनका योगदान नहीं उनके लिए बस इतना ही कहूंगा, ये दोनों न होते तो ऐतिहासिक सबूतों और तथ्यों से छेड़छाड़ का सिलसिला जारी रहता जिसके कारण निर्णय हमारे पक्ष में आने की संभावनाएं कम ही रहती! सुनवाई को टालने का अक्सर प्रयास किया जाता, और कई वर्षों या दशकों बाद सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने पर भी वर्षों तक मंदिर निर्माण शुरू नहीं हो पाता! वोट बैंक की पॉलिटिक्स के चलते निर्णय को पलटने की कोशिशें होती! क्या पता सदन से सुप्रीम कोर्ट का निर्णय ही पलट दिया जाता जैसे शाहबानो के केस में वोट बैंक के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को कांग्रेस सरकार ने पलट दिया था। यह अत्यंत शुभ घड़ी है! जब रामभक्त हिन्दुओं का मन तो भव्य राम मंदिर की कल्पना करके ही भाव विह्वल हुआ जा रहा है! जिनके हाथों रामलला तिरपाल से निकलकर अस्थाई मंदिर में विराजित हुए और जिनके हाथों रामलला के मंदिर का भूमिपूजन होने जा रहा उन मोदी योगी का हिन्दू जीवन भर कृतज्ञ रहेगा!

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