राजधानी में गैर जनपदों के संचालित आटो कर रहे है यात्रियों से लूट
लखनऊ। कहते है पुलिस डाल-डाल तो अपराधी पांत-पांत ऐसे ही पुलिस की नजरों में धूल झोकते हुये अपराध की ऐसी छोटी-छोटी घटनायें बढ़ रही है जो पुलिस को दिखायी नहीं दे रही है। शहर में बस अड्डे रेलवे स्टेशन के पास बाहरी जनपद के जारी परमिट के साथ अनेक ऑटो संचालित हो रहे है। जो यात्रियों को आस-पास के जनपद में ले जाने के बहाने बिना किसी हथियार के झांसा देकर बीच रास्ते में लूट लेते है। पुलिस इसे लूट के बजाय टप्पेबाजी बताकर पल्ला झाड़ लेती है। ऐसी घटनायें आलमबाग चारबाग हुसैनगंज क्षेत्रों में तेजी से ब़ढ़ी है। इन घटनाओं में ऑटो चालक यात्री को बैठाने के बाद ऑटो में गाना सुनने के बहाने यात्री का मोबाइल फोन मांग लेते है और ऑटो की लीड से जोड़ देते है। बाद में आगे जाने पर या उतरने पर टूटे पैसे न होने का बहाना कर यात्री से पान मसाया, सिगरेट आदि मंगाने के बहाने यात्री जैसे ही ऑटो से उतरता है। ऑटो गैंग के सदस्य आटो लेकर भाग जाते है। साथ ही यात्री का मोबाइल उसका सामान सब चला जाता है। मोबाइल फोन भी स्विच ऑफ हो जाता है। यात्री जब पुलिस के पास जाता है तो उसके पास ऑटो का नंबर या कोई अन्य जानकारी होती ही नहीं है और पुलिस से भी उसे मायूसी ही मिलती है। लुटा पिटा मायूस यात्री अपनी नियति समझ कर वापस चला जाता है। ऐसी घटनायें नाका थाना क्षेत्र में बस अड्डे व रेलवे स्टेशन के पास सबसे अधिक हो रही है। पुलिस की निष्क्रियता के चलते ऑटो गैंग के हौसले बुलंद है। ऑटो का परमिट किसी भी जिले में केवल तीस किलोमीटर की दूरी का होता है तो फिर गैर जनपद के ऑटो राजधानी में कैसे संचालित हो रहे है? नाका पुलिस की ही मिली भगत से बस अड्डे के सामने ही लखनऊ से कानपुर मारूति वैन चलती है। जिसका प्रति चक्कर एक सौ रूपये नाका पुलिस की नत्था तिराहा चौकी को जाता है। ऐसी दर्जनों वैन दिन में तीन से चार चक्कर अवैध रूप से ल,खनऊ से कानपुर लगाती है। साथ ही सीतापुर, बाराबंकी व अन्य रूटों पर जमकर डग्गामारी होती है। नाका पुलिस यदि ईमानदारी से यदि अपनी ड्यूटी कर ले तो ऐसी घटनायें बंद हो सकती है।