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गीता भावामृत ग्रंथ गागर में सागर है: डॉ दिनेश शर्मा

कमलेश शर्मा को संत तुलसी व कल्पना शुक्ला को रमन लाल अग्रवाल सम्मान
लखनऊ। श्रीमद्भागवत गीता जीवन जीने की सही राह दिखाती है, गीता की हर बातों को अपने जीवन में उतारने से व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। यह बात आज तुलसी शोध संस्थान उत्तर प्रदेश, लखनऊ के तत्वावधान में तुलसी मानस भवन श्री रामलीला परिसर ऐशबाग, लखनऊ में पं. आदित्य द्विवेदी द्वारा लिखित ग्रंथ श् गीता भावामृत के लोकार्पण अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ दिनेश शर्मा राज्य सभा सदस्य व पूर्व उप मुख्यमंत्री ने कही। उन्होने आगे कहा कि पं. आदित्य द्विवेदी ने गीता भावामृत की रचना कर गागर में सागर भरने का साहसिक कार्य किया है, जो अपने आप में एक पुनीत कार्य है। उन्होने कृति को भाव पूर्ण बताते हुए कहा कि आज समाज को गीता भावामृत जैसे पुस्तकों की आवश्यकता है , जो समाज को एक सही दिशा दे सके। इसके पूर्व समारोह में मुख्य अतिथि डॉ दिनेश शर्मा राज्य सभा सदस्य, विशिष्ट अतिथि पंकज सिंह विधायक नोएडा, डॉ नीरज बोरा विधायक उत्तर लखनऊ, प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित, डॉ दिनेश चन्द्र अवस्थी ने पं. आदित्य द्विवेदी के लिखे ग्रंथ गीता भावामृत का लोकार्पण किया। समारोह में विशिष्ट अतिथि पंकज सिंह विधायक नोएडा ने कहा कि पं. आदित्य द्विवेदी का ग्रंथ गीता भावामृत अद्वित्य ग्रंथ है, गीता के भावानुवाद से हर व्यक्ति इसके मर्म को जान सकेगा। डॉ नीरज बोरा विधायक उत्तर लखनऊ ने गीता भावामृत की विशुद्ध व्याख्या करते हुए कहा कि इस ग्रंथ का भावानुवाद घनाक्षरी छन्दों में किया गया है, जो बहुत लोकप्रिय विद्या है।इसके पूर्व विषय प्रवर्तक अमर नाथ ने कृति की प्रासंगिकता को रेखांकित किया। मुख्य वक्ता प्रो० सूर्यप्रसाद दीक्षित ने अपने वक्तव्य में कहा कि ष्गीता भावामृतष् गीता के काव्यमयी भावों का अमृत है। उन्होंने कृति के विभिन्न पक्षों पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यक्रम में कृतिकार पं. आदित्य द्विवेदी ने अपने ग्रंथ गीता भावामृत के बारे में बताया कि श्रीमद्भागवत गीता में वर्णित सम्पूर्ण 18 अध्याय के सात सौ श्लोकों के भाव को साधारण भाषा में काव्य शैली मे लिखने में मात्र 18 दिन का समय लगा। उन्होने बताया कि इस ग्रंथ, कृति को कम पढ़े लिखे लोग भी आसानी से समझ सकते हैं, जिस प्रकार राम चरित मानस को बिना पढ़ा लिखा व्यक्ति भी आसानी से गा समझ सकता है, ठीक उसी तरह से गीता भावामृत को भी व्यक्ति आसानी से गा समझ सकेगा।
इस अवसर पर संत तुलसी सम्मान कमलेश शर्मा (इटावा) को तथा रमन लाल अग्रवाल सम्मान कल्पना शुक्ला (दिल्ली) को प्रदान किया गया। इसी क्रम में गायकों ने ष्गीता भावामृतष् में विशेष रूप से विरचित स्तुति की संगीतमय प्रस्तुतियां दी। कार्यक्रम के द्वितीय चरण में कवियों का काव्य पाठ हुआ। कवयित्री कल्पना शुक्ल ने एक रचना में सुनाया – राधा परखने वाले, मीरा परखने वाले। नायाब जौहरी थे हीरा परखने वाले। वे सण प्रणम्य थे जो भारी रहे युगों पर, अब हैं कहाँ हृदय की पीड़ा परखने वाले। इटावा से पधारे कमलेश शर्मा ने भावमयी काव्यपाठ किया। इसके अलावा शोभा दीक्षित, डॉ सर्वेश अस्थाना, डॉ अशोक अज्ञानी, कुमार तरल ने अपने काव्य पाठ से श्रोताओं को सराबोर किया। इस अवसर पर हरीश चन्द्र अग्रवाल, प्रमोद अग्रवाल, मयंक रंजन सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों के अलावा तमाम साहित्य सुधी श्रोता उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. दिनेश चन्द्र अवस्थी वरिष्ठ साहित्यकार व संचालन प्रसिद्ध हास्य व्यंग्य कवि डॉ. सर्वेश अस्थाना तथा साहित्यकार डॉ. अशोक अज्ञानी ने संयुक्त रूप से किया।

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