लखनऊ । राजधानी में एल0ङी0ए0 कॉलोनी, कानपुर रोड़ स्थित सीआरपीएफ कैम्प के पास बुधवार सुबह एक पेड़ गिर गया। इस पेड़ के गिरने से 2 राहगीर गंभीर रूप से घायल हो गए। जिनमे से एक ट्रांसपोर्ट नगर में तैनात सिपाही था और दूसरा व्यक्ति रजनीश मिश्रा पुत्र राधेश्याम मिश्रा निवासी पराग, एल0ङी0ए0 कॉलोनी बुरी तरह घायल हो गए।
घायलों की स्थिति खराब देख कर वहां उपस्थित एक संवाददाता और सीआरपीएफ के एक व्यक्ति ने वहां मौजूद कुछ राहगीरों की मदद से एक प्राइवेट गाड़ी को रोक कर घायलों को लोकबंधु अस्पताल पहुँचाया।
लोकबंधु पहुंचते ही जब डॉक्टर के कमरे में जाकर उन लोगों ने सारी स्थिति बताई तब भी वहाँ मौजूद डॉक्टर और हॉस्पिटल का कोई भी स्टाफ मदद के लिए नही आया।
इधर चोट की वजह से रजनीश मिश्रा की हालत गंभीर होती जा रही थी। इस स्थिति को देखते हुए लोगों ने जब डॉक्टर से दुबारा प्रार्थना की और मौके की नज़ाकत को बताया तो डॉक्टर ने गुस्सा होने के साथ चिल्लाते हुए कहा कि मैं क्या कर सकता हूँ ? मरीज मर रहा है तो मरे इसमे मेरी कोई जिम्मेदारी नही है। लोकबंधु के डॉक्टर अपनी कुर्सी पर बैठे रहे और वहां से हिले तक नहीं और ना ही वहाँ के किसी स्टॉफ ने मरीज को गाड़ी से निकलने के लिए किसी भी तरह की कोई मदद की।
इस घटना के समय आशियाना, एलडीए कालोनी चौकी का एक सिपाही और इंचार्ज प्रेम शंकर पांडेय ने भी डॉक्टर से कहा कि आप इस मरीज को देख लो, तब भी डॉक्टर ने इन सबकी बातो को नही माना और नज़रअंदाज़ कर दिया।
डॉक्टर और स्टॉफ की लापरवाही से मरीज की हालत खराब होते देख राहगीर खुद ही हॉस्पिटल से स्ट्रेचर बाहर निकल कर मरीज को अंदर लाए और डॉक्टर से मरीज को देख लेने की प्रार्थना की।
जब तक डॉक्टर अपने कमरे से आकर मरीज को देखते तब तक रजनीश की सांसे उखड़ चुकी थी। इस तरह एक डॉक्टर और हॉस्पिटल की लापरवाही ने एक मरीज की जान ले ली।
आखिर डॉक्टर इतने संवेदनशील मुद्दे पर कब गंभीर होंगे। अगर डॉक्टर और वहाँ का स्टाफ चाहता तो हो सकता है कि मरीज की जान बच सकती थी।