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मुलायम की मैनपुरी पर भगवा लहराने को बीजेपी बेताब

डिप्टी सीएम केशव मौर्य का दावा,अबकी ले लेंगे मैनपुरी और रायबरेली
लखनऊ। दो दशकों में यूपी ने कई सियासी बदलाव देखे हैं। कई सियासी किले दरके हैं। दलों और नेताओं के गढ़ों में सेंध लगी है लेकिन मुलायम की मैनपुरी और कांग्रेस की रायबरेली ऐसे हैं, जिनका तिलिस्म भाजपा नहीं तोड़ पाई है।भाजपा इस बार मुलायम की मैनपुरी और सोनिया की रायबरेली में भगवा लहराने को बेताब है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या तो अक्सर मंच से कहते हैं कि इस बार मैनपुरी और रायबरेली भी ले लेंगे। आजमगढ़ और रामपुर में उपचुनाव बदलाव का संकेत पहले ही दे चुके हैं। नए चेहरे पर दांव लगाने की तैयारी है। पार्टी की कोशिश सपा को ‘एमवाई’ समीकरण तक समेटने की है लेकिन यह बहुत आसान नहीं । मैनपुरी समाजवादियों का ही गढ़ रही है। मुलायम सिंह के निधन के बाद हुए उपचुनाव सहित बीते 10 चुनावों से लगातार इस सीट पर सपा काबिज है। उससे पहले यह सीट जनता दल के खाते में गई थी। जहां तक मुलायम सिंह यादव का सवाल है तो उन्होंने पांच बार लोकसभा में मैनपुरी का प्रतिनिधित्व किया था। उनके भतीजे धर्मेंद्र यादव, पोते तेजप्रताप और अब पुत्रवधु डिंपल यादव को मैनपुरी वाले सांसद बना चुके हैं। बलराम सिंह यादव ने पहला चुनाव कांग्रेस से जीता मगर समाजवादी पार्टी से भी वो दो बार यहां के सांसद रह चुके हैं।मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र यादव बाहुल्य होने के नाते मुलायम और सपा का मजबूत किला माना जाता है। 1984 से लेकर 2019 तक लगातार इस सीट से यादव सांसद ही जीतते रहे हैं। 1994 में बलराम सिंह यादव कांग्रेस के टिकट पर जीते। 1989 और 1991 में कवि उदय प्रताप ने इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। मुलायम सिंह 1996 में पहली बार इस सीट से सांसद चुने गए थे। 1998 और 1999 में हुए लोकसभा चुनावों में बलराम सिंह यादव सपा के टिकट पर जीते। 2004 में मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद हुए उपचुनाव में धर्मेंद्र यादव मैनपुरी के सांसद बने। 2009 और 2014 में मुलायम सिंह सांसद रहे। फिर उपचुनाव में उनके पोते तेजप्रताप सांसद बने। 2019 में मुलायम फिर सांसद बने मगर उनके निधन से रिक्त सीट पर फिर उपचुनाव हुआ। तब उनकी पुत्रवधु डिंपल यादव ने भाजपा के रघुराज शाक्य को हराकर यह सीट जीत ली। अब डिंपल यादव फिर मैदान में हैं। भाजपा अभी मजबूत विकल्पों पर मंथन में जुटी है। सामाजिक समीकरण साधने के लिहाज से मजबूत चेहरे की तलाश की जा रही है। जल्द भाजपाई प्रत्याशी का ऐलान होगा। भाजपा से इस सीट से दावेदारों में प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह का नाम भी है। जयवीर मैनपुरी विधानसभा सीट से विधायक हैं। भाजपा ने करहल विधानसभा सीट पर भी अखिलेश यादव के खिलाफ केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को लड़ाने का प्रयोग कर चुकी है। मैनपुरी लोकसभा में पांच विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं जिनमें मैनपुरी, करहल, भोगांव, किशनी और जसवंत नगर सीटें शामिल हैं। इनमें मैनपुरी और भोगांव सीटें भाजपा के पास हैं, जबकि बाकी तीन पर सपा काबिज है।

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