इंडिया का प्रयास मुस्लिम बंटे नही ,एनडीए की मंशा एकतरफा न गिरे वोट
भाजपा की कौमी चौपाल और शुक्रिया भाईजान कार्यक्रम इसी कड़ी का हिस्सा
लखनऊ। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के मुस्लिम मतदाताओ का झुकाव किस ओर होने वाला है, इसपर सियासी जानकार मन्थन कर रहे हैं। इंडिया बनाम एनडीए की जंग में जोर आजमाइश चल रही है। बीएसपी का भी फोकस अल्पसंख्यक मतदाताओं को रिझाने पर है। सपा कांग्रेस का गठबंधन अल्पसंख्यक मतदाताओं को अपना मानता है। बीजेपी के साथ जो दल अलाइंस में हैं, उनकी भी नजर अल्पसंख्यको पर है। अल्पसंख्यक किस राजनीतिक दल के पाले में जाएगा,यह कहना मुश्किल है। हालांकि प्रदेश के मुस्लिम वोट बैंक पर सबसे बड़ी दावेदारी सपा-कांग्रेस के इण्डिया गठबंधन की मानी जाती है लेकिन बसपा भी मुस्लिम वोट बैंक की आस लगाए हुए है।सांसद असद्उदीन ओवैसी की पार्टी आल इण्डिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन भी अपना दल कमेरावादी के साथ पीडीएम गठबंधन कर मैदान में उतर पड़ी है। भाजपा का प्रयास है कि मुस्लिम वोट उसे भी मिले।
प्रदेश के मुस्लिम वोट बैंक पर विपक्षी दलों की ही नहीं बल्कि भाजपा की भी दावेदारी है। उसका मानना है कि सरकारी योजनाओं में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग सर्वाधिक लाभार्थी हैं, चुनाव में लाभार्थियों का सहयोग मिल सकता है। बसपा ने अब तक सपा से आगे बढ़कर 11 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं जबकि सपा ने सिर्फ तीन मुस्लिम उम्मीदवारों को अब तक टिकट दिया है। कांग्रेस ने अभी तक दो मुस्लिम प्रत्याशी दिए हैं। असद्उद्दीन ओवैसी ने अपना दल कमेरावादी के साथ पीडीएम गठबंधन बनाकर अभी जो पहली सूची जारी की है, उसमें एक मुस्लिम उम्मीदवार है। ऐसे में मुस्लिम वोटरों की अहमियत को देखते हुए भाजपा समेत अन्य राजनीतिक दल उन्हें अपने पाले में करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इंडिया एलायंस के बैनर तले सपा और कांग्रेस के बीच समझौता है। चुनाव में मुस्लिमों को लुभाने के लिए गठबंधन कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहता। भाजपा अपने खाते में मुस्लिम मतदाताओं को जोड़ने के लिए सहयोगी दलों की मदद से साधने की कोशिश कर रही है। भाजपा लोकसभा चुनाव से पहले ग्रामीण मुस्लिमों को जोड़ने पर दांव लगा रही है।भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा ने कौमी चौपाल लगाने की शुरुआत की है। मुस्लिम महिलाओं को लुभाने के लिए शुक्रिया मोदी भाईजान एसबीएम अभियान पर काम हो रहा है।