अवध की आवाज
लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण में मा0 मुख्य मंत्री जी योगी आदित्य नाथ की लखनऊ में अवैध निर्माण के विरुद्ध जीरो टोलरेंस नीति की धज्जियां उड़ाने वाले प्राधिकरण के प्रवर्तन जोन 7 के अवर अभियंता शशि भूषण, सहायक अभियंता उदयवीर सिंह ने अपने से एक स्तर ऊपर अधिकारी के स्थान पर स्वयं ही आई जी आर एस संख्या 40015723049009 दिनांक 5 जुलाई 2023 की मिथ्या आख्या देकर शिकायत में दर्ज अवैध निर्माण में अनवरत निर्माण कार्य कराकर संरक्षण दे रहे हैं। जबकि ध्वस्तीकरण आदेश होने के बाद भी अवैध निर्माण जारी है। उक्त आई जी आर एस पर की गई शिकायत के समय शिकायत कर्ता से कोई संपर्क नही किया गया है। स्थलीय निरीक्षण के समय दो गवाहों के हस्ताक्षर कराये है एक राजेश अवस्थी जो चौक क्षेत्र का स्वयं सुपरवाइजर है जो उक्त अवैध निर्माण के संरक्षण के लिए आरोपित है। दूसरा गवाह कृष्णदत्त तिवारी जो प्राधिकरण के प्रवर्तन जोन 7 के कार्यालय से सम्बद्ध है। आदेशानुसार कृष्ण दत्त तिवारी से प्रवर्तन संबंधी कोई भी कार्य नही लिया जा सकता है। जबकि शासनादेश संख्या 596/34/ लो0 शि0 5/2023 के क्लॉज 2 में 4 वे बिंदु में स्पष्ट अंकित है कि स्थलीय निरीक्षण के समय 2 निष्पक्ष गवाह आवश्यक है परंतु एक प्राधिकरण का ही कर्मचारी है और इस प्रकरण में आरोपित है दूसरे से प्रवर्तन संबंधित कार्य नही लिया जा सकता है और कई प्रकरण में आरोपित कर प्रवर्तन कार्यालय पर चौकीदारी कार्य हेतु सम्बद्ध भी है। पत्रकार पर हुए हमले में मुख्य भूमिका निभाई है जिसकी प्राथिमिकी गोमतीनगर थाने में दर्ज है। उक्त गवाह पत्रकारों के पर झूठे आरोप लगाने की फिराक में रहता है निष्पक्ष गवाह हो ही नही सकता है। इस प्रकार पूर्णतया स्पष्ट है कि उक्त आई जी आरा एस की मिथ्या व नियम विरुद्ध जानबूझकर सहायक अभियंता उदयवीर व अवर अभियंता शशिभूषण के द्वारा चौक कोतवाली के बगल में बन रहे अवैध निर्माण को संरक्षण देने के लिए दी गयी है। इस प्रकरण में दी गयी आख्या एक गभीर विचलन है जिसके लिए दी गयी विचलन पूर्ण आख्या के जिम्मेदार सहायक अभियंता उदयवीर सिंह, अवर अभियंता शशिभूषण के खिलाफ शासन स्तर से जांच कराकर शासनादेश संख्या : 1/2018/117/पैतीस-2-2018-3/39(4)
/18 का खुलेआम उलंघन है के लिए दंडात्मक कार्यवही होनी चाहिए। परंतु लविप्रा के उच्चाधिकारियों को होश ही नही है कि शिकायत का निस्तारण किस अधिकारी के द्वारा किया जाना चाहिए। की गई शिकायत के आरोपी से या एक स्तर ऊपर कार्यरत अधिकारी द्वारा। जन हित मे कैसे होगा मा0 मुख्यमंत्री जी की जीरो टोलरेंस नीति का पालन ?