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लखनऊ में बने बाबरी मस्जिद : शिया वक्फ बोर्ड

हुसैनाबाद में घंटा घर के सामने बने मस्जिद-ए-अमन
रंजीव
लखनऊ। शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेन्द्र गिरि ने सोमवार को राजधानी में अयोध्या विवाद समाप्त करने के लिए एक नया मसौदा पेश किया है। शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड ने राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में सुलह का नया फॉर्मूला पेश किया है। अयोध्या विवाद का हल निकालने के लिए यह मसौदा शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने तैयार किया है जिसमे उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बाबरी मस्जिद बनाने की बात की गई है।  शिया सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड ने राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में सुलह का फॉर्मूला पेश किया है। शिया वक्फ बोर्ड चाहता है कि विवादित जगह पर राम मंदिर बनाया जाए और मस्जिद अयोध्या में बनाए जाने के बजाए लऊनऊ में बनाई जाए। अयोध्या विवाद का हल निकालने के लिए यह मसौदा शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने तैयार किया है।
शिया वक्फ बोर्ड ने कहा, ‘इस मसौदे के तहत मस्जिद अयोध्या में नहीं बनाई जाए, बल्कि लखनऊ में बनाई जाए। इसके लिए पुराने लखनऊ के हुसैनाबाद में घंटा घर के सामने शिया वक्फ बोर्ड की जमीन है। उस जगह पर मस्जिद बनाई जाए और मस्जिद का नाम किसी मुस्लिम राजा या शासक के नाम पर न होकर ” मस्जिद-ए-अमन” रखा जाए। इस मसौदे के मुताबिक, विवादित जगह पर भगवान श्रीराम का मंदिर बने ताकि हिन्दू और मुसलमानों के बीच का विवाद हमेशा के लिए खत्म हो और देश में अमन कायम हो सके। वसीम रिजवी ने कहा कि हमने अयोध्या विवाद के हल का मसौदा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दिया है। ये मसौदा तमाम लोगों से बातचीत खासकर हिंदू पक्षकारों से बातचीत के बाद तैयार किया गया है। इस पर सभी सहमत हैं। रिजवी ने कहा कि हिंदू और शिया इसपर सहमत हैं, सुन्नी वक्फ बोर्ड का इससे कोई लेना देना नहीं है वो भी अदालत में हैं हम भी अदालत में हैं कोर्ट फैसला करेगा।
शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के इस मसौदे पर हस्ताक्षर करने वालों में दिगंबर अखाड़े के सुरेश दास, हनुमान गढ़ी के धर्मदास, निर्मोही अखाड़े के भास्कर दास हैं। इनके अलावा राम विलास वेदांती, गोपालदास और नरेंद्र गिरी ने भी समर्थन किया है। शिया वक्फ बोर्ड ने कहा है कि बाबरी मस्जिद मीर बाकी द्वारा वर्ष-1528 से 1529 के दौरान अयोध्या में बनावाई गई थी। मीर बाकी बादशाह बाबर के सेनापति थे और शिया मुसलमान थे। बाबरी मस्जिद बनने के बाद उसके मुतवल्ली मीर बाकी (वाकिफ) रहे व मीर बाकी के बाद उनके परिवार के अन्य लोग इस मस्जिद के वर्ष 1945 तक मुतवल्ली रहे, जो सभी लोग शिया मुसलमान थे। गौरतलब है कि शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड अयोध्या मामले में पार्टी नहीं है। हालांकि, 8 अगस्त को शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने मामले में पार्टी बनने के लिए अपील दायर की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी थी।

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