अमर अजलोकमान्य तिलक का र उद्घोष भारत की स्वतंत्रता की सिंहगर्जना थी- राज्यपाल
लोकमान्य तिलक के नारे से जनसामान्य में ऊर्जा और जागृति आई- फडणवीस
लखनऊ | प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक की अध्यक्षता में आज लोक भवन में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के अमर उद्घोष ‘स्वराज्य मेरा जन्मसिद्व अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा‘ के एक सौ एक वर्ष पूर्ण होने पर स्मृृति समारोह का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ व महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस उपस्थित थे। कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष श्री हृदय नारायन दीक्षित, उप मुख्यमंत्री द्वय केशव प्रसाद मौर्य एवं डाॅ0 दिनेश शर्मा, मंत्री प्रो0 रीता बहुगुणा जोशी राज्यमंत्री श्रीमती अनुपमा जायसवाल, श्री नीलकंठ तिवारी, संदीप सिंह, पुणे की महापौर, मुक्ता तिलक, लोकमान्य तिलक के प्रपौत्र श्री शैलेश तिलक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं उनके परिजन, शहीदों के परिजन सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्रायें उपस्थित थें। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश एवं महाराष्ट्र सरकार के बीच ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की दृष्टि से सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किये गये। कार्यक्रम में स्मारिका ’लोकमान्य’ एवं प्रो0 अरूण तिवारी द्वारा लिखित पुस्तक ’ए मार्डन इण्टर प्रटेशन आॅंफ लोकमान्य तिलक गीता रहस्य’ का लोकार्पण भी किया गया। राज्यपाल ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि दिसम्बर 1916 में लखनऊ में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन में लोकमान्य तिलक का अमर अजर उद्घोष भारत की स्वतंत्रता की सिंहगर्जना थी। 1857 के स्वतंत्रता समर में उत्तर प्रदेश की अग्रणी भूमिका रही है। लोकमान्य तिलक ने सामाजिक एवं संस्कृृतिक रूप से देशवासियों को एक सूत्र में बांधने तथा जनजागृृति निर्माण करने के लिए उन्होनंे महाराष्ट्र में सार्वजनिक गणेश उत्सव और शिवाजी जयंती का शुभारम्भ किया। मण्डाला के जेल में रहते हुए उन्होंने गीता रहस्य जैसा अदभुत ग्रन्थ लिखा |