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कार्यवाहक निदेशक विद्युत सुरक्षा के निलम्बन की माॅग

प्रमुख सचिव ऊर्जा को साक्ष्य प्रस्तुत करेगा महासंघ
लखनऊ,6 अगस्त। विद्युत सुरक्षा निदेशालय मिनिस्टीरियल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव द्वारा कार्यवाहक निदेशक के खिलाफ भ्रष्टाचार एवं शासन के आदेश को अतिक्रमित कर स्वंय हित में जारी आदेश, तबादलों में मनमानी सहित कई अन्य साक्ष्यों के साथ राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सतीश कुमार पाण्डेय, महामंत्री रामराज दुबे,जवाहर भवन इन्दिरा भवन कर्मचारी महासंघ के महामंत्री सुशील कुमार बच्चा तथा नगर निगम कर्मचारी संघ, लखनऊ के साथ 8 अगस्त को प्रमुख सचिव ऊर्जा से हुई वार्ता के अनुसार उनसे मिलकर कार्यवाहक निदेशक के खिलाफ भ्रष्टाचार की विस्तृत जानकारी देकर उनसे कार्यवाहक निदेशक के निलम्बन के पश्चात उनके कार्यकाल में हुई मनमानी और भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय जाॅच की माग करेगा। अगर साक्ष्यों के आधार पर भी कार्यवाही नही होती तो महासंध और घटक संघ आन्दोलन को बाध्य होगे।
उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ की तरफ से कहा गया है कि  विद्युत सुरक्षा निदेशालय में व्याप्त भ्रष्टाचार का अतिशीघ्र पर्दाफाश होगा। कार्यवाहक निदेशक के निलम्बन के बाद उनके भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय जाॅच कराये जाने की मांग करते हुए महासंघ सहित अन्य सम्बंद्ध कई संगठनों के पदाधिकारियों ने  कहा कि कार्यवाहक निदेशक ने अपने कार्यकाल में जो भ्रष्टाचार किये है उनका साक्ष्य लेकर महासंघ का प्रतिनिधि मण्डल पूूर्व हुई प्रमुख सचिव से वार्ता के क्र्रम में साक्ष्य प्रस्तुत करने के साथ पहले कार्यवाहक निदेशक के निलम्बन के उपरान्त ही उनके भ्रष्टाचार की जाॅच कराने की मांग रखेगा ताकि पद पर रहकर वे जाॅच को प्रभावित न कर सके। उन्होंने कहा कि पद पर रहकर वे कई शिकायतों को दबावने  में सफल हो चुके है।
सतीश पाण्डेय और महामंत्री राम राज दुबे ने बताया कि कार्यवाहक निदेशक ने भ्रष्टाचार की शुरूआत अपनी तैनाती के साथ ही शुरू कर दी थी। सबसे पहले तत्कालीन प्रमुख सचिव अशोक कुमार खुराना की आज्ञा से जारी शासकीय अधिसूचना संख्या-573/24-पी-3-05-25 ई-95 दिनांक 30 मई 2006 में संयुक्त निदेशक के कार्यक्षेत्र सहित अन्य अधिकारियों के कार्य का बॅटवारा किया था। लेकिन अधिसूचना के विपरीत कार्यवाहक निदेशक गिरीश कुमार सिंह ने कार्यालय आदेश सं0-957/मु0/कार्य वितरण/2012 दिनांक 2 नवम्बर 2012 द्वारा कार्यरत दूसरे संयुक्त निदेशक को इलाहाबाद, गोरखपुर व शाहजहापुर रीजन का ही कार्य दिया गया जो उक्त अधिसूचना के विपरीत था। कार्यवाहक निदेशक द्वारा जो रेखाचित्र पास किये जाते है उसका निरीक्षण सम्पूर्ण प्रदेश स्तर पर संयुंक्त निदेशक द्वारा किया जाना चाहिए इसके ठीक विपरीत लम्बे अरसे से स्वंय ही ड्राइंग पास कर स्वंय द्वारा निरीक्षण किया जा रहा है। जबकि विद्युत सुरक्षा निदेशालय में संयुक्त निदेशक के दो कार्य है। पहला कार्य उपनिदेशक स्तर के प्रारम्भिक निरीक्षण से सम्बन्धित विद्युतीय
अधिष्ठापनों के तकनीकी रेखा चित्रों (ड्राइंग) का अनुमोदन, जबकि दूसरा कार्य सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में कार्यवाहक निदेशक द्वारा जो ड्राइंग अनुमोदन की जाती है उसका निरीक्षण संयुक्त निदेशक द्वारा किया जाना। लेकिन शासन की अधिसूचना के उपरान्त स्वंय हित में कार्यवाहक निदेशक ने अपने पक्ष में ही कार्यालय आदेश कर कार्य बाटवारा आदेश की धज्जियाॅ उड़ा दी। इसकी शिकायत स्वंय उत्तर प्रदेश इंजनियर्स एसोसिएशन ने लिखित रूप से मुख्य सचिव को पत्रांक संख्या 226/यू.पी.इं.ए./वि.सु./2014 दिनांक 09-07-2014 के माध्यम से की थी, लेकिन पद का फायदा उठाते हुए अनुभाग के एक बाबू के माध्यम से उक्त शिकायत को दबा दिया गया। यह भी उल्लेखनीय है कि वर्तमान संयुक्त निदेशक द्वितीय ने भी अपना प्रत्यावेदन विरोध स्वरूप प्रमुख सचिव ऊर्जा उत्तर उत्तर प्रदेश शासन को पत्र संख्या 4 मु0/ई0 /समान्य/2013 दिनांक 22-2-13 के माध्यम से समस्त साक्ष्यों सहित कार्यो के आवंटन के लिए प्रत्यावेदन किया था।किन्तु ऊर्जा अनुभाग तीन के सहायक समीक्षा अधिकारी श्री दिलीप कुमार झा ने कार्यवाहक निदेशक के इशारे पर उक्त पत्रावली को दबा दिया। जो आदेश स्वंय हित में कार्य बॅटवारा कार्यवाहक निदेशक ने जारी किया उसे
 देखकर ही पता चल जाएगा कि कितनी चालकी से यह आदेश कर कार्यवाहक निदेशक ने संयुक्त निदेशक जिनके पास आठ मण्डल यानि लगभग 50 से अधिक जिलों का काम रख लिया और दूसरे संयुक्त निदेशक का मात्र तीन मण्डलों का काम दिया गया। इस बीच कार्यवाहक निदेशक ने एक ही दिन में कई कई अस्थाई अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कियें। यही नही इससे पूर्व पद का दुरूप्रयोग करते हुए इन्होंने 17 साल एक ही मण्डल में तैनात जेई एस.के. सिंह को शासन स्तर पर जारी गोरखपुर तबादला आदेश को निरस्त कर पुनः उन्हें नौ माह में इलाहाबाद मण्डल में तैनात कर दिया। इसी तरह की तमाम अनियमिताओं और आदेशों की प्रतिलिपि के साथ महासंघ का प्रतिनिधि मण्डल प्रमुख सचिव ऊर्जा से हुई वार्ता के अनुसार उनसे मिलेगा और कार्यवाहक निदेशक के निलम्बन उपरान्त इनके कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार की उच्चस्तरीय जाॅच की मांग करेगा।

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