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जब तक दवाई नहीं, तब तक कोई ढिलाई नहीं

 कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच जागरूकता पर पूरा जोर
– मास्क, सेनेटाइजर और दो गज की दूरी अब है और जरूरी
– प्रतिरोधक क्षमता बढाने को खानपान व योगा पर दें ध्यान
लखनऊ । कोविड-19 के दिन-प्रतिदिन बढ़ते मामलों के बीच समुदाय को इससे सुरक्षित रखने के लिए जन जागरूकता पर खास जोर दिया जा रहा है । स्वास्थ्य विभाग के साथ ही शिक्षा, पंचायती राज, बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की फ़ौज भी लोगों को खुद सुरक्षित रहने के साथ ही परिवार को भी सुरक्षित रखने की तरकीब समझाने में जुटी है । किसी भी विभाग के लोग किसी भी अभियान के उद्देश्य से समुदाय के बीच पहुँच रहे हैं तो कोविड-19 से बचने के बारे में जरूरी एहतियात बरतने की बात बताना नहीं भूल रहे हैं ।
​पोषण माह, कृमि मुक्ति अभियान (28 सितम्बर 2020 से सात अक्टूबर 2020) और अब संचारी रोग नियंत्रण माह के दौरान आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के साथ ही शिक्षक भी समुदाय के बीच पहुँच रहे हैं । यह लोग पंचायत प्रतिनिधियों के जरिये सम्बंधित अभियान के साथ ही कोविड-19 से बचाव के बारे में भी घर-घर लोगों को बता रहे हैं कि कोरोना से बचना है तो तीन मूल मन्त्र को गाँठ बाँध लें, पहला – जब भी घर से बाहर निकलें तो मुंह और नाक को मास्क से अच्छी तरह से ढककर रखें, दूसरा- किसी से भी मिलें या बैठक करें तो दो गज की दूरी बनाकर रखें और तीसरा- हाथों को स्वच्छ रखें यानि साबुन-पानी से अच्छी तरह बार-बार धुलते रहें या सेनेटाइजर से साफ़ करें । उनको हाथों को धुलने का सही तरीका (सुमन-के) भी बताया जा रहा है । यह बात भलीभांति समझाई जा रही है कि जब तक इसकी कोई दवाई या वैक्सीन नहीं आ जाती है, तब तक किसी तरह की ढिलाई न बरतने में ही सभी की भलाई है । ग्रामीण क्षेत्रों में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत संचालित महिलाओं के स्वयं सहायता समूह मास्क बनाकर लोगों को मुहैया करा रहे हैं और पहनते और उतारते समय बरती जाने वाली सावधानी जैसे हाथों को अच्छी तरह धुलकर ही मास्क की डोरी पकड़कर ही पहनें और डोरी पकड़कर ही उतारें और अच्छी तरह से धुलकर ही दोबारा इस्तेमाल करें । मास्क को कभी सामने से न छुएं ।
​ग्रामीण क्षेत्रों में आयोजित होने वाले ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस पर स्वास्थ्य जाँच व जरूरी सेवाएं मुहैया कराने के साथ ही कोरोना से बचाव के लिए गुनगुना पानी पीने, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने के लिए रसोई में मौजूद हल्दी, धनिया, जीरा, लहसुन, अदरक आदि के इस्तेमाल की सलाह दी जा रही है । खानपान पर भी जरूरी टिप्स दिए जा रहे हैं ताकि रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे और कोरोना के वार से शरीर सुरक्षित रहे क्योंकि जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है उनको ही सबसे पहले यह अपनी चपेट में लेता है । बच्चों, गर्भवती और बुजुर्गों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है । लोगों को शारीरिक श्रम के साथ ही योग और व्यायाम को भी अपनाने की सलाह दी जा रही है क्योंकि इससे भी प्रतिरोधक क्षमता बढती है और शरीर स्वस्थ रहता है ।
​कोरोना की चपेट में आने वालों के संपर्क में आने वालों की पहचान (कान्टेक्ट ट्रेसिंग) और उनकी जांच पर भी जोर दिया जा रहा है ताकि संक्रमण की श्रृंखला को आसानी से तोडा जा सके । इस तरह से अब सभी की एकजुटता से कोविड-19 को परास्त करने की रणनीति चल रही है जो कि इस पर काबू पाने में अहम् कड़ी साबित होगी ।
​काकोरी ब्लाक के मनभओना गाँव की आशा कार्यकर्ता सुनीता कहती हैं कि मार्च से लेकर अभी तक जब भी जिस भी घर पहुँचती हैं तो लोगों को उनकी जरूरत की बात बताने के साथ ही कोरोना से बचने के लिए जरूरी एहतियात बरतने की बात अवश्य बताते हैं । इसका समुदाय में असर भी देखने को मिल रहा है, लोग मास्क, दो गज की दूरी और हाथों को साफ़ रखने को लेकर जागरूक हुए हैं और उसका पालन भी कर रहे हैं ।
​ काकोरी के दसदोई के ग्राम प्रधान अनिल कुमार का कहना है कि सुबह से शाम तक जितने भी ग्रामीणों से मुलाक़ात होती है उनको कोरोना से बचाव के बारे में जागरूक किया जाता है और बीच-बीच में छोटे-छोटे समूहों में भी लोगों को कोरोना से बचने के टिप्स दिए जाते हैं, इसके पालन से लोग खुद के साथ ही अपने परिवार को भी सुरक्षित बना रहे हैं । सरोजिनीनगर के बीरूरा क्षेत्र की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ज्ञानवती का कहना है कि पुष्टाहार वितरण के साथ ही पोषण माह या अन्य गतिविधियों के दौरान कोविड-19 के प्रोटोकाल के पालन के बारे में ग्रामीणों को अच्छी तरह से बताया जाता है ताकि इसके संक्रमण से वह सुरक्षित रहें ।
​काकोरी के ब्लाक कम्युनटी प्रक्रिया प्रबंधक (बीसीपीएम) प्रद्युम्न कुमार मौर्य का कहना है कि पिछले कुछ महीनों से जो भी सामुदायिक गतिविधियाँ हो रहीं हैं उसमें उस अभियान से सम्बंधित जागरूकता के साथ ही कोविड-19 के बारे में भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है । इस तरह “एक पंथ दो काज” की कहावत को फ्रंट लाइन वर्कर के जरिये पूरा किया जा रहा है ।

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