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अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्मोत्सव सम्पन्न हुआ

  उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने किया अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्मोत्सव के नवें व अन्तिम दिन का उद्घाटन, फिल्म लेखक अतुल तिवारी, मिस यूपी शेफाली सूद, बाल कलाकार रूद्र सोनी, देव जोशी, आरव शुक्ला एवं अमय पाण्डया ने बाँधा समाँ
नौ दिनों में एक लाख से अधिक छात्रों ने देखी शिक्षात्मक बाल फिल्में
लखनऊ। सिटी मोन्टेसरी स्कूल के तत्वावधान में सी.एम.एस. कानपुर रोड आॅडिटोरियम में चल रहा अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्मोत्सव (आई.सी.एफ.एफ.-2017) आज सम्पन्न हो गया। बाल फिल्मोत्सव के अन्तिम दिन आज छात्रों, शिक्षकों व अभिभावकों में देश-विदेश की शिक्षात्मक बाल फिल्में देखने का भारी उत्साह दिखाई दिया। इससे पहले, मुख्य अतिथि के रूप में पधारे प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने दीप प्रज्वलित कर अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्मोत्सव के नवें व अन्तिम दिन का विधिवत् उद्घाटन किया जबकि फिल्म लेखक अतुल तिवारी, मिस यूपी शेफाली सूद, बाल कलाकार रूद्र सोनी, देव जोशी, अमय पाण्डया एवं आरव शुक्ला की उपस्थिति ने समारोह की रौनक में चार-चाँद लगा दिये।
विदित हो कि सी.एम.एस. के फिल्म्स डिवीजन द्वारा सी.एम.एस. कानपुर रोड आॅडिटोरियम में 5 से 13 अप्रैल तक आयोजित इस अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव के नौ दिनों में लखनऊ व आसपास के क्षेत्रों के लगभग एक लाख से अधिक छात्रों ने शिक्षात्मक बाल फिल्मों का आनन्द उठाया एवं जीवन मूल्यों व चारित्रिक उत्कृष्टता की शिक्षा प्राप्त की। इसके अलावा, बाल फिल्मोत्सव की नौ दिनों की पूरी अवधि तक शिक्षा, समाज, साहित्य, पत्रकारिता, राजनीति एवं फिल्म जगत की एक से बढ़कर एक हस्तियों ने पधारकर बाल महोत्सव की गरिमा को बढ़ाया।
बाल फिल्मोत्सव के समापन समारोह में बोलते हुए मुख्य अतिथि केशव प्रसाद मौर्य, उप-मुख्यमंत्री, उ.प्र. ने कहा कि शिक्षात्मक फिल्में न सिर्फ बच्चों के लिए नहीं अपितु अभिभावकों के लिए भी मार्गदर्शक की भूमिका निभाती हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि महोत्सव में दिखाई गई शिक्षात्मक बाल फिल्में बच्चों के मन-मस्तिष्क में रचनात्मक प्रभाव डालेंगी। सी.एम.एस. का यह बाल फिल्मोत्सव सर्वांगीण शिक्षा का अनूठा अभियान है जिसके माध्यम से छात्रों का चरित्र निर्माण व नैतिक उत्थान कर समाज के रचनात्मक विकास हेतु प्रेरित किया जा रहा है। इस अच्छे कार्य के लिए मैं सी.एम.एस. को बधाई देता हूँ।
अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव के अन्तिम दिन आज सी.एम.एस. कानपुर रोड के मेन आॅडिटोरियम के अलावा अन्य सात मिनी आडिटोरियम में भी देश-विदेश की अनेक फिल्मों का प्रदर्शन हुआ, जिनमें बलाड फ्राम तिब्बत, द इम्पार्टेन्स आॅफ गिविंग, हीरो स्टेप्स, आथर एण्ड द नोज, नादान दोस्त, द बैलून, गुड एण्ड स्मार्ट, द फोर कैन्डल्स, द अवेकनिंग आॅफ द आर्टस, द पाॅसिबल स्कूल, द सीक्रेट आॅफ हामिदा, आॅन द वे टू स्कूल, द स्टोरी आॅफ माई आइज, टाक टू मी, सीकर विंग, म्यूजिक बाक्स, द गोल्ड चेन एवं आयरन स्टोरी आदि प्रमुख थी। विभिन्न देशों की अलग-अलग भाषाओं में बनी फिल्मों को अंग्रेजी व हिन्दी अनुवाद भी फिल्म के साथ-साथ ही चलता रहता है जिससे बच्चे आसानी से फिल्म के कथानक को समझ सकें। चूँकि इन फिल्मों में कोई शुल्क नहीं है अतः सभी गरीब व अमीर बच्चें एक साथ मिल-बैठकर इन फिल्मों का आनन्द लिया एवं भाईचारा, प्रेम व एकता की की भावना का विकास किया। बाल फिल्मोत्सव के अन्तर्गत आज लखनऊ विभिन्न विद्यालयों से पधारे छात्रों ने शिक्षात्मक बाल फिल्मों से प्रेरणा ग्रहण की जिनमें अवध एजूकेशन एकेडमी इण्टर कालेज, चर्च इंग्लिश स्कूल, ब्राइट फ्यूचर एकेडमी, एस.डी. मोन्टेसरी स्कूल, ग्रीनलैण्ड पब्लिक स्कूल, बड्स एण्ड ब्लाॅजम स्कूल, काल्विन पब्लिक स्कूल, यू.पी. सैनिक स्कूल, एन.एस.सी. एकेडमी, लखनऊ पब्लिक स्कूल, तथागत पब्लिक स्कूल, राजकीय इण्टर कालेज, न्यू आवासीय पब्लिक स्कूल एवं रोहिणी गल्र्स हाई स्कूल, माँ श्री विन्ध्यवासिनी इण्टर कालेज, क्रान्तिी विद्या मंदिर आदि प्रमुख हैं।
बाल फिल्म महोत्सव में पधारे फिल्म लेखक अतुल तिवारी, मिस यूपी शेफाली सूद, बाल कलाकार रूद्र सोनी, देव जोशी, अमय पाण्डया एवं आरव शुक्ला ने आज अपरान्हः सत्र में सी.एम.एस. कानपुर रोड पर आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेन्स में पत्रकारों से भी मुलाकात की और खुलकर अपने विचार व्यक्त किए। पत्रकारों से बातचीत करते हुए इन प्रख्यात हस्तियों ने एक स्वर से कहा कि सी.एम.एस. ही ऐसा अनूठा विद्यालय है जिसने बच्चों के चरित्र निर्माण के लिए अनूठा तरीका ढूँढ निकाला है, जिसकी जितनी भी प्रशंसा की जाएं, कम होगी।
प्रख्यात शिक्षाविद् व सी.एम.एस. संस्थापक डा. जगदीश गाँधी ने कहा कि इस फिल्म फेस्टिवल को लखनऊ के छात्रों, युवाओं, शिक्षकों व अभिभावकों का अभूतपूर्व समर्थन व अपार सहयोग मिला है जिसके लिए मैं लखनऊ की जनता का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ। फिल्में बच्चों को एक अच्छा या बुरा मानव बनाने की क्षमता रखती हैं क्योंकि बच्चों के कोमल मस्तिष्क पर फिल्म जैसे सशक्त माध्यम का बड़ा ही गहरा प्रभाव पड़ता है। अतः यह जरूरी है कि छात्रों के नैतिक व चारित्रिक गुणों के विकास हेतु अच्छी शिक्षाप्रद फिल्में अधिक से अधिक संख्या में बनायी जानी चाहिए। डा. गाँधी ने आगे कहा कि आज बच्चे जितना ज्ञान किताबों से प्राप्त करते हैं, उससे अधिक वे इन्टरनेट, कम्प्यूटर, मल्टीमीडिया व फिल्मों द्वारा प्राप्त करते हैं। दरअसल आज बच्चे आॅडियो विजुअल तरीके से जल्दी शिक्षा ग्रहण कर लेते हैं।
सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी हरि ओम शर्मा ने बताया कि सी.एम.एस. सभी संभव माध्यमों से बच्चों के चारित्रिक व नैतिक उत्थान में संलग्न है एवं हमारा प्रयास छात्रों को सर्वांगीण शिक्षा उपलब्ध कराकर समाज का आदर्श नागरिक बनाना है। इसी कड़ी में बच्चों के चरित्र निर्माण एवं जीवन मूल्यों की शिक्षा देने हेतु यह अन्तर्राष्ट्रीय महोत्सव आयोजित किया गया। श्री शर्मा ने बताया कि इस अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव में बच्चों के चरित्र निर्माण एवं सर्वांगीण विकास हेतु 94 देशों की बेहतरीन शैक्षिक फिल्मों का निःशुल्क प्रदर्शन हुआ। हालाँकि यह बाल फिल्मोत्सव आज सम्पन्न हो गया है परन्तु इसके माध्यम से जीवन मूल्यों व चारित्रिक उत्कृष्टता की जो ज्योति भावी पीढ़ी के दिलों में जली है, वह निश्चित ही एक आदर्श समाज की स्थापना में मददगार साबित होगी एवं मानवता को विकास के पथ पर ले जायेगी।

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