संवाददाता राज शुक्ला इटौंजा
लखनऊ | श्री राम मंदिर के शिलान्यास के साथ पूरे अवध क्षेत्र में हर्ष और उत्साह उल्लास का माहौल है गांव गांव शहरों कस्बों में लोग जश्न मना रहे हैं इस अवसर पर लखनऊ बार एसोसिएशन के कार्यकारिणी सदस्य व इटौंजा अधिवक्ता संघ के महामंत्री ज्ञानेंद्र श्रीवास्तव अतुल एडवोकेट कहते हैं की रमणे कणे कणे इति रामः अर्थात जो कण-कण में बसे, वही राम है। भगवान श्रीरामचन्द्र हिंदू सनातन धर्म के सबसे पूज्यनीय सबसे महानतम देव माने जाते हैं उनका व्यक्तित्व, मर्यादा, नैतिकता, विनम्रता, करूणा, क्षमा, धैर्य, त्याग तथा पराक्रम का सर्वोत्तम उदाहरण माना जाता है।मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम श्री हरि विष्णु के दस अवतारो में से सातवें अवतार थे। बारह कलाओं के स्वामी श्रीराम का जन्म लोक कल्याण और इंसानो के लिए एक आदर्श प्रस्तुत करने के लिए हुआ था। राम रघुकुल में जन्मे थे, जिसकी परम्परा *प्रान जाहुं बरु बचनु न जाई* से थी भगवान राम बचपन से ही शान्त स्वभाव के वीर पुरूष थे। उन्होंने मर्यादाओं को हमेशा सर्वोच्च स्थान दिया था। इसी कारण उन्हें मर्यादा पुरूषोत्तम राम के नाम से जाना जाता है।
उनका राज्य न्यायप्रिय और खुशहाल माना जाता था। इसलिए भारत में जब भी सुराज (अच्छे राज) की बात होती है तो रामराज या रामराज्य का उदाहरण दिया जाता है। राम केवल एक नाम भर नहीं , बल्कि वे जन-जन के कंठहार हैं, मन-प्राण हैं, जीवन-आधार हैं| उनसे भारत अर्थ पाता है| वे भारत के प्रतिरूप हैं | भारत से राम और राम से भारत को विलग करने के भले कितने कुचक्र-कलंक रचे जाएँ
यह संभव होता नहीं दिखता, क्योंकि राम भारत की आत्मा हैं, राम भारत के पर्याय हैं| राम निर्विकल्प हैं, उनका कोई विकल्प नहीं| जो एक चरित्र करोड़ों-करोड़ों लोगों के जीवन का आधार हो, जिनमें करोड़ों-करोड़ों लोगों की साँसें बसी हों, जिनसे कोटि-कोटि जन प्रेरणा पाते हों, जिन्होंने हर काल और हर युग के लोगों को संघर्ष और सहनशीलता की प्रेरणा दी, जिसके चरित्र की शीतल छाया में कोटि-कोटि जनों के ताप-शाप मिट जाते हों, जो मानव को मर्यादा और लोक को आदर्श के सूत्रों में बाँधता-पिरोता हो, ऐसे परम तेजस्वी, ओजस्वी, पराक्रमी, मानवीय श्रीराम को क्या यह राष्ट्र इन कथित बुद्धिजीवियों के तथ्यों-तर्कों की तुला पर तौलने का पाप करना चाहिए, किसी भी मुश्किल परिस्थिति में भगवान राम ने अपना धैर्य नहीं खोया । उन्होनें हर परेशानी में धैर्य से काम लिया , इसलिए हमें भी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम जी की तरह जीवन की हर तकलीफ मेंं शांति से कार्य करना चाहिए।
भगवान श्री राम जी ने कभी भी नियति को बदलने की कोशिश नही की,जो नियति में लिखा हुआ है हमें वह स्वीकार करना चाहिए, क्योंकि नियति से कोई भी नही लड़ सकता है। विष्णु अवतार भगवान श्रीराम ने भी मानवीय रूप में जन जन का भरोसा और विश्वास अपने आचरण और असाधारण गुणों से ही पाया | उनकी चरित्र की खास खूबियों से ही वह न केवल लोक नायक बने, बल्कि युगांतर में भी भगवान के रूप में पूजित हुए वाल्मीकि रामायण में भगवान श्री राम के कई गुणों को बताया गया है, जो आज भी नेतृत्व क्षमता बढ़ाने व किसी भी क्षेत्र में अगुवाई करने के अहम सूत्र हैं| संत मोरारी बापू कहते हैं- हम अपने शत्रु का कभी भला नहीं सोचते भगवान श्री राम जी के पास उनके शत्रु का भाई विभीषण शरण में आया तो भगवान ने उसे अपने गले लगा लिया| अंत में एक कवि की दो लाइन कहते हुए कहते है – कि जिन्दगी ऐसी है, फुरसत न मिलेगी काम से।