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फीका रहा बुधवार चेकिंग अभियान, जम कर टूटे यातायात नियम

प्रमुख चौराहों को छोड़ नहीं दिखा असर
लखनऊ। प्रदेश सरकार के निर्देश के बाद अब प्रत्येक बुधवार को परिवहन विभाग व पुलिस एक साथ मिलकर हेलमेट व सीटबेल्ट न लगाने वालों के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा और इस कड़ी में पहला बुधवार काफ़ी हद तक फीका रहा। राजधानी के प्रमुख चौराहों पर तो वाहन चेकिंग की खानापूर्ति होती रही परन्तु अन्य स्थानों पर बुधवार को खूब बुद्धू बनी पुलिस। हेलमेट और सीट बेल्ट ना लगाने के आदी लोग चेकिंग से बच निकलने के पैंतरे अच्छी तरह जानते है और गलियों का शॉर्टकट ही नहीं बल्कि पुलिस से निपटने का शॉर्टकट भी उन्हें बखूबी आता है। वीडियो में आप यातायात नियमों की धज्जियाँ उड़ते साफ़ देख सकते है और आज हम ये भी बात करेंगे की 1 नवम्बर को यातायात माह शुरू होने पर प्रशासन ने कितनी संजीदगी दिखाई थी।
आरटीओ प्रवर्तन विदिशा सिंह ने बताया था कि बुधवार को राजधानी के विभिन्न इलाकों में चेकिंग अभियान चलाया जाएगा। अभियान के दौरान एक ओर जहां ड्राइविंग के दौरान हेलमेट व सीटबेल्ट का उपयोग करने वालों का चालान किया जाएगा, वहीं दूसरी ओर लोगों में जागरूकता लाने की कोशिश की जाएगी। उन्होंने बताया था कि अब प्रत्येक बुधवार को हेलमेट व सीट बेल्ट डे मनाने का सिलसिला चलता रहेगा। जबकि बात ये भी हुई थी कि बाइक पर पीछे बैठी सवारी भी हेलमेट पहनेंगी परन्तु इसकी कोई जाँच-पड़ताल नहीं की गई। यातायात नियमों के उलंघन में सबसे अधिक मामले लड़कियों और महिलाओं के देखने में आए जो बड़ी शान से ट्रैफिक को धता बतातें हुए नियमों की अनदेखी करती नज़र आई। बुधवार सुबह सबसे पहले परिवर्तन चौक पर एक सचिवालय कर्मी के यातायात कर्मी से झगडे की सूचना आने के बाद दिन भर ऐसी खबरें चलती रही।
गत 1 नवम्बर को यातायात माह का उद्‌घाटन करते हुए एसएसपी दीपक कुमार ने कहा था कि ट्रैफिक पुलिस विभाग का आईना है। करीब 45 लाख आबादी वाले शहर में हर साल औसत 50 हजार एफआईआर थानों में दर्ज होती है। इनसे अधिकतम एक से डेढ़ लाख लोग प्रभावित होते हैं। जबकि यातायात व्यवस्था पूरी आबादी पर असर डालती है। एसएसपी ने कहा था कि ट्रैफिक पुलिस पर लगातार चेकिंग के दौरान वसूली के आरोप लग रहे हैं। इसी को देखते हुए एक साल पहले ट्रैफिक कर्मियों को बॉडीवार्न कैमरे से लैस किया गया था। मंथा थी कि वसूली या अभद्रता जैसे आरोप लगने पर साक्ष्य के तौर पर विडियो मौजूद रहे, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा। उन्होंने निर्देश दिया था कि यातायात माह के दौरान 1 से 30 नवंबर तक बिना बॉडीवार्न कैमरे के कोई कार्रवाई नहीं की होगी। हज़रतगंज चौराहें पर एक युवती बिना सीट बेल्ट लगाए मोबाइल पर बतियाती हुई कार ड्राइव करती दिखाई दी और रोके जाने पर उसने काफ़ी देर तक अपना तथा पुलिस का वक़्त भी जाया किया। एसपी ट्रैफिक रविशंकर निम ने भरोसा दिलवाया था कि ट्रैफिक पुलिस पर लगने वाले आरोपों से निपटने का हर संभव प्रयास किया जाएगा। चेकिंग के दौरान वसूली की शिकायतों पर लगाम कसने के लिए टीम बनाकर नजर रखी जाएगी। ट्रैफिक पुलिस के नाम पर वसूली करने वालों के खिलाफ भी अभियान चलाया जाएगा। खासतौर पर शहर की सीमा वाले इलाकों में नजर रखी जाएगी। इसके साथ ही आदर्श यातायात माह के तहत ग्रामीण इलाकों को प्रमुखता से जोड़ा जाएगा। दुर्घटनाओं के बढ़ी संख्या को देखते हुए ग्रामीण इलाकों में जागरूकता अभियान भी चलाए जाएंगे। यहाँ देखने वाली बात ये भी है कि बड़ी संख्या में प्रेशर हार्न सरकारी गाड़ियों में लगे है और राज्य सम्पत्ति विभाग की ये गाड़ियां खूब मजे से यातायात नियमों के परखच्चे उड़ाती नज़र आती है। अब देखने वाली बात ये है कि क्या इसी तरह हर बुधवार को बुद्ध बनती रहेगी पुलिस। केवल कुछ प्रमुख चौराहों पर एकत्र की गई हज़ारों की जुर्माना राशि प्रदेश की तस्वीर बदल नहीं सकती है।

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