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लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक संगोष्ठी, ”पर्यावरण प्रदूषण : चुनौतियाँ एवं रणनीतियाँ

लखनऊ | सी.एस.आई.आर.-भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थाीन (सीएसआईआर-आईआईटीआर), लखनऊ और नगर राजभाषा कार्यान्वसयन समिति, कार्यालय-3, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक संगोष्ठी, ”पर्यावरण प्रदूषण : चुनौतियाँ एवं रणनीतियाँ” (11-13 अक्टूाबर, 2017) में निम्नलिखित चर्चा हुई : –
द्वितीय सत्र की अध्यक्षता डॉ. डी. कार चौधुरी एवं डॉ. कौसर महमूद अंसारी ने की। सत्र का संचालन डॉ. नसरीन गांजी अंसारी एवं ज्योाति सिंह ने किया।
डॉ. सुनील प्रकाश त्रिवेदी, लखनऊ विश्विविद्यालय, लखनऊ ने पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण में भारतीय संस्कृ ति, दर्शन एवं आचार-विचारों की भूमिका, पर व्यारख्या्न देते हुए कहा कि पर्यावरण प्रदूषण एक भूमंडलीय समस्याद बन चुकी है। वैज्ञानिक एवं तकनीकी उपादानों मात्र से प्रदूषण पर नियंत्रण पाना दुष्कयर है। यद्यपि हमारे देश में जल एवं वायु प्रदूषण (नियंत्रण एवं निवारण) अधिनियम क्रमश: 1973 एवं 1981 से प्रभावी हैं, तथापि स्वाच्छद वायु मंडल युक्ति महानगर एवं निर्मल जल की उपलब्धैता एक दिवा स्व1प्नप है। हमारे संस्काार हमें भूमि को माता एवं व्यो म को पिता तुल्य समझने की प्रेरणा देते हैं। डॉ. अजय कुमार राजभंडारी ने नेपाल में वायु प्रदूषण-स्थिति और रणनीतियां पर व्यााख्याेन देते हुए कहा कि पर्यावरण प्रदूषण सूचकांक 2016 के अनुसार, खराब हवा की गुणवत्ताय के कारण मानव स्वािस्य्रद और पर्यावरण संरक्षण के मामले में नेपाल को 180 देशों में 177वॉं स्था न दिया गया है। नेपाल की काठमांडु घाटी की स्थ लाकृति और मौसम संबंधी परिस्थितियों को वहॉं की वायु गुणवत्ता को और भी बदतर बनाने के लिए जिम्मेौदार माना गया है।
डॉ. कृष्णा कुमार बनौधा, जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी, वाशिंगटन ने वैश्विक और क्षेत्रीय स्तसर पर खाद्य सुरक्षा और पोषण चुनौतियाँ पर व्यािख्यांन देते हुए कहा कि विश्वा में 195 मिलियन कुपोषित लोगों में भारत का एक चौथाई हिस्साय है। लगभग 47 मिलियन बच्चे‍, कुपोषण या स्टंषटिंग के कारण मानसिक एवं शारीरिक रूप से कमजोर हैं। भारत में बच्चोंए एवं किशोरों में अधिक वजन एवं मोटापा के प्रसार में भी वृद्धि हुई है।
द्वितीय सत्र के अंत में पर्यावरण प्रदूषण पर पोस्टरर प्रस्तुच‍तीकरण हुआ। तृतीय सत्र की अध्यतक्षता डॉ. योगेश्वहर शुक्लाो एवं संयोजक, डॉ. आलोक कुमार पाण्डेगय ने की। सत्र का संचालन डॉ. विकास श्रीवास्तरव एवं रत्ना‍कर तिवारी ने किया। डॉ. इम्तियाज सिद्दीकी, यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉ न्सिन, यूएसए ने बायोएक्टिव खाद्य घटकों की प्रभावकारिता बढ़ाने के लिए उनका नैनोकैप्सूतलेशन विषय पर विषय पर व्यारख्या न दिया। उन्होंकने कहा कि प्रीक्लीैनिकल सेटिंग्सव में आशाजनक परिणामों के बावजूद, मानव कैंसर की रोकथाम और उपचारों में बायोएक्टिव खाद्य घटकों के उपयोगों को सीमित सफलता प्राप्तो हुई है। हमने बड़े पैमाने पर इसका कारण अक्षम प्रणालीगत वितरण और आशाजनक एजेंटों की जैव उपलब्धडता को माना है। हमने इसको सुधारने के लिए नैनोटेक्नोीलॉजी का इस्तेुमाल किया और नैनोकीमोप्रिवेन्शकन की अवधारणा को प्रस्तुधत किया।
डॉ. योगेश्व र शुक्ला , मुख्यट वैज्ञानिक, सीएसआईआर-भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थागन, लखनऊ ने कैंसर के खिलाफ न्यूाट्रास्युकटिकल्स, के संभावित उपयोग विषय पर व्याुख्याआन दिया। उन्होंेने कहा कि शरीर के सामान्यय कार्यों में खाद्य व पोषक तत्वय महत्वुपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे व्येक्ति के स्वाशस्य्य को बनाए रखने और कैंसर सहित विभिन्नत रोगों के जोखिम को कम करने में सहायक होते हैं। इस तथ्या की दुनिया भर में स्वीाकृति ने आहार और स्वा्स्य्रो के बीच एक मान्ययता लिंक का गठन किया है। इस प्रकार न्यूसट्रास्यु टिकल्सव की अवधारणा अस्तित्व में आई। हमारी प्रयोगशाला में चाय, लहसुन, लाइकोपीन, रेस्वेसराट्रोल, पेट्रोस्टीसल्वी्न, जिन्जररोल, ल्यूआपोल, ब्रोमोलाइन, गिंजरोल आदि जैसे न्यूाट्रास्युकटिकल्सव ने विभिन्नप प्रयोगात्मवक और साथ ही नैदानिक स्तयरों पर वादे को साबित किया है, क्योंैकि उनमें वैश्विक स्वायस्य्रो देखभाल को कम करने के साथ-साथ वर्तमान कैंसर केमोथेरेपी से जुड़े प्रभावों को कम करने की क्षमता है। डॉ. अनुराधा गुप्ताथ, पृथ्वीक इनोवेशन्सह, लखनऊ ने खाद्य सुरक्षा : सतत विकास की आवश्यहकता के विषय पर व्याोख्या्न दिया। उन्हों ने कहा कि एक सवाल, ‘’क्यास लोगों में पर्यावरण और स्वािस्य्े के सुधार की समझ है, कि नहीं?’’ बात, लोगों में पर्यावरण और स्वाोस्य्न के सुधार की समझ है कि नहीं। एक बेहतर स्वा‍स्य् क एवं टिकाऊ विकास हेतु, पर्यावरण के सुधार हेतु अपनी समझ और जानकारी को, एक संवेदनशील और जिम्मेंदार नागरिक बनकर, अपनी आदतों, अपने व्यहवहार, अपनी जीवनशैली में उतारने की है।
डॉ. पूर्णिमा वाजपेयी, लखनऊ विश्वीविद्यालय, लखनऊ ने कहा कि नैनो कणों का आयाम 1-100 नैनो मीटर होता है। इनका प्रयोग दवाओं, पेंट, कीटनाशकों, उपभोक्ताक उत्पा1दों में निरंतर हो रहा है, नैनो कण खेती के क्षेत्र में नवावतरित प्रदूषक है। गेहूँ में टाइटेनीयम नैनोकण जड़ों एवं पत्तियों में जमा हो जाते हैं।
प्रोफेसर राम चन्द्रा , बी.बी.ए.यू., लखनऊ ने आसवनी अपशिष्ट् एवं कागज उद्योग उत्स्रा व के कारण पर्यावरण प्रदूषण तथा भारी धातुओं से खाद्य श्रृंखला एवं औषधीय पौधों से मानव स्वा स्युस पर खतरा पर व्यालख्यापन देते हुए कहा कि आसवनी अपशिष्ट् एवं कागज उद्योग उत्स्रा्व के कारण पर्यावरण में प्रदूषण के मुख्या स्त्रो त हैं। इसके द्वारा प्रक्षेपित अपशिष्टोंउ में भारी धातुओं जैसे मैंग्नीणज, आयरन एवं जिन्कख इत्या‍दि सहित हानिकारक प्रदूषक भी मिले होते हैं। डॉ. जयराज बिहारी, भूतपर्वू वैज्ञानिक, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने हिंदी में वैज्ञानिक प्रस्तुंतीकरण, कठिनाइयां एवं निवारण विषय पर बोलते हुए कहा कि पर्यावरण प्रदूषण के वैज्ञानिक तथ्यों को जनमानस तक पहुँचाने में भाषा का अपना महत्वब है। वैज्ञानिक तथ्यों को शुद्ध एवं स्पुष्टक तथ्यों को लोगों तक पहुँचाना एक कठिन कार्य है। विज्ञान की भाषा में संक्षिप्तट रूप से तथ्यों को संदेश की भॉंति पहुँचाने का उद्देश्यु होता है। अतएव अपेक्षित है कि भाषा सरल हो।
डॉ. आर.सी. मूर्ति, सीएसआईआर-आईआईटीआर ने आईआईटीआर द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी तथा भविष्यय में विकसित होने वाली प्रौद्योगिकी पर अपना व्यासख्या न दिया। उन्हों ने कहा कि सीएसआईआर-आईआईटीआर द्वारा विकसित जल कीटाणु करने की प्रणाली ओ-नीर तथा तेल के मिलावट जांच करने की आर्जीमोन किट और सीडी स्ट्रिप लाभकारी प्रौद्योगिकी विकसित हुई हैं। जनमानस को इसका लाभ उठाना चाहिए तथा भविष्यड में दुग्धी में बोरिक एसिड, डिटर्जेंट और यूरिया की जॉंच एवं फलों के रस के खराब होने की जॉंच हेतु प्रौद्योगिकी विकसित होने वाली है। जैसा कि विदित है कि इस संगोष्ठी में सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं, अनुसंधान और विकास संस्थाचनों, विश्वविद्यालयों सहित देश – विदेश से 100 से अधिक वैज्ञानिक-गण, शोध छात्र प्रतिभागिता कर रहे हैं । वैज्ञानिकों एवं शोध छात्रों के बीच संगोष्ठी के विषय पर व्यागपक चर्चा हो रही है । आशा है कि हिंदी भाषा के माध्यम से प्रदूषण निवारण के बारे में समाज को जागृत करने तथा प्रत्येक व्यक्ति तक संदेश पहुंचाने के प्रयास में हमें आप सभी का पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा।

 

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