गंदी राजनीति सुधारने और सफलता की कला सिखाने के लिए चार दिवसीय प्रशिक्षण प्रारम्भ
लखनऊ । कैपिटल सिनेमा सभागार, लखनऊ में राजनीति सुधारकों के प्रशिक्षण शिविर का आयोजन हुआ। प्रशिक्षण शिविर में आए हुए प्रतिभागियों को करते हुए श्री भरत गांधी ने कहा कि सफलता के लिए सबसे पहली जरूरत है। खुद को पहचाना जाये। यह जानना जरूरी है कि अपने अंदर कौन सा गुण और कौन सी प्रतिभा है जो औरों से ज्यादा है? यह जानने के लिए स्वयं से प्रश्न पूछना चाहिए और बार-बार पूछना चाहिए कि मैं सबसे अच्छा क्या कर पाता हूं? मैं क्या करने के लिए पैदा हुआ? मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है? किस क्षेत्र में में सबसे ज्यादा कामयाब हो सकता हूं? ट्रेनिंग के पहले दिन श्री भरत गांधी ने ट्रेनिंग के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।
राजनीतिक सुधारों और अध्यात्म पर दर्जनों पुस्तकों के लेखक श्री भरत गांधी ने कहा कि यह प्रश्न कभी न कभी अपना उत्तर अवश्य देते हैं। चाहे यह उत्तर मिलने में दस या बीस साल ही क्यों न लग जाएं। लेकिन जिस दिन उत्तर मिलता है, सफलता की आधी यात्रा पूरी हो जाती है। जब यह समझ में आ जाए कि हमारी प्रकृति ने मुझे यह काम करने के लिए नियुक्त किया है और यह काम करने के लिए मेरे अंदर जन्मजात योग्यता है, तो उस काम को करने के लिए कठोर परिश्रम शुरू कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिना परिश्रम के सफलता नहीं मिल सकती।
श्री भरत गांधी ने कहा कि लेकिन जरूरी नहीं कि परिश्रम करके भी सफलता मिल ही जाए। यह देखना होता है कि प्रकृति ने अपने अंदर जो जन्मजात गुण दिया है, क्या उसके फलने-फूलने की अनुमति संसार के नियम-कानून और संविधान और पारिवारिक संस्कार देते हैं या नहीं? संसार के नियम-कानून, संस्कार और परंपराएं नदी का वह पानी है, जिसमें अपने को तैरना होता है। नदी का पानी जिस दिशा में बह रहा है, हमें उसी दिशा में जाना हो तो कम परिश्रम से अधिक दूरी तय कर लेते हैं। लेकिन नदी के धारा के विपरीत जाना हो तो ज्यादा परिश्रम से भी सफलता कम मिलती है। इसलिए आदर्श कानूनी और संवैधानिक व्यवस्था वही है जिसमें हर व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास और उसकी योग्यता को फलने-फूलने के लिए कानून मौजूद हों। ऐसे ही धार्मिक संस्कार बनाए जाएं और ऐसा ही संविधान बनाया जाए।
श्री भरत गांधी ने कहा कि अपने को पहचानने का काम खुद अपना है। पहचानने के बाद परिश्रम करने की जिम्मेदारी भी खुद अपने ऊपर होती है। लेकिन अगर कुछ कानून दिखाई पड़ जाएं, जो अपने पैरों की बेड़ियां है और अपने को आगे बढ़ने में बाधाएं हैं तो उन कानूनों को बदलने के लिए सामूहिक प्रयत्न की जरूरत होती है। श्री भरत गांधी ने कहा कि राजनीति सुधारकों की ट्रेनिंग में व्यक्ति के आत्मिक विकास से लेकर उसके सामूहिक विकास के लिए जरूरी कानूनी और संवैधानिक व्यवस्था का प्रशिक्षण दिया जाता है।
ट्रेनिंग में लगभग 500 लोग भागीदारी कर रहे हैं, जो 4 दिन-रात ट्रेनिंग स्थल पर ही रहेंगे। इस ट्रेनिंग का आयोजन भरत गांधी फाउंडेशन ट्रस्ट मुंबई और वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल की उ. प्र. इकाई ने संयुक्त रुप से किया है। ट्रेनिंग प्रारंभ होने से पहले पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री सुरेन्द्र वर्मा लोगों का स्वागत किया और ट्रेनिंग के लाभों से लोगों को परिचित कराया।