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अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी को दोबारा सत्ता में लाने के लिये लिया यह फैसला

लखनऊ | 2012 के विधानसभा चुनाव में पूरे उत्तर प्रदेश में उम्मीदों की साइकिल चलाकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव सत्ता पर काबिज हुए थे। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश जनता का विश्वास नहीं जात सके और उन्हें करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। अब 10 साल बाद 2022 में होने जा रहे यूपी विधानसभा चुनाव के लिए अखिलेश यादव एक बार फिर प्रदेश भर में उम्मीदों की साइकिल चलाने की तैयारी कर रहे हैं। जिस तरह से 2017 में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी का प्रदर्शन रहा है। इसे देखकर अभी यह कहना जल्दबाजी होगाी कि प्रदेश भर में साइकिल चलाकर अखिलेश दोबारा उसी तरह की कामयाबी हासिल कर पाएंगे या नहीं, लेकिन 2019 में 11 सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों में भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को पीछे छोड़कर पार्टी के अंदर एक नई ऊर्जा और उम्मीद जगाने में अखिलेश यादव ने कामयाबी जरूर हासिल की है।
अखिलेश यादव अपने नेतृत्व में समाजवादी पार्टी की जीत का इतिहास दोहराने के लिए एक बार फिर प्रदेश भर में साइकिल लेकर निकलेंगे। इससे वह कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने का काम करेंगे। सपा आलाकमान एक बार फिर साइकिल चलाने की योजना बनाने में इसलिये लगा है क्योंकि विधानसभा उपचुनावों के नतीजों ने पार्टी को संजीवनी प्रदान की है। समाजवादी पार्टी के सूत्रों की अगर मानें तो सपा मुखिया जल्द ही उम्मीदों की साइकिल लेकर पूरे उत्तर प्रदेश के भ्रमण पर निकलेंगे। हालांकि अभी अखिलेश यादव का कार्यक्रम तय होना है, लेकिन जिलों में कार्यकर्ताओं को साइकिल यात्रा निकालने को कहा गया है। सपा अध्यक्ष किस जिले में जाकर साइकिल यात्रा करेंगे, अभी इसका पूरा कार्यक्रम तय होना बाकी है। अखिलेश यादव की कोशिश अब सपा को भाजपा का सशक्त विकल्प के तौर पर पेश करने की है। वह जनता को बताएंगे कि सपा ही भाजपा का रास्ता रोक सकती है और वह भी अपने बूते। उन्होंने इस बार ऐलान भी कर दिया है कि 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करेंगी।
दरअसल, साल 2017 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था, लेकिन राहुल-अखिलेश की जोड़ी को उत्तर प्रदेश की जनता ने पसंद नहीं किया और नतीजे उम्मीदों के मुताबिक नहीं आए। अखिलेश की समाजवादी पार्टी प्रदेश में सिर्फ 47 सीटों पर ही सिमट गई। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में भी अखिलेश यादव ने बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन किया, लेकिन उनका यह दांव भी उन्हें पर भारी पड़ गया। मायावती के साथ गठबंधन में अखिलेश को तो कोई फायदा नहीं मिला लेकिन हां, उन्होंने मायावती की बहुजन समाज पार्टी को जरूर उत्तर प्रदेश में जिंदा कर दिया। लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव की पार्टी केवल पांच सीटों पर ही सिमट गई।

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