सरकार का यह सरोकार , सुरक्षित मातृत्व सबका अधिकार
लखनऊ । सुरक्षित मातृत्व को लेकर सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएँ चलायी जा रही हैं ताकि मातृ व शिशु मृत्यु दर में कमी लायी जा सके। इसके अलावा सुरक्षित प्रसव पर भी पूरा ज़ोर है, इसके लिए संस्थागत प्रसव को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि गर्भवती की प्रसव के दौरान व प्रसव पश्चात उचित देखभाल हो सके और वह एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सके | इनमें जिन योजनाओं की अहम भूमिका है, वह हैं- प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान, जननी सुरक्षा योजना व जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम |
काकोरी विकासखंड के सैथा गाँव की नीलू बताती हैं कि अस्पताल में प्रसव के दौरान उनका कोई पैसा खर्च नहीं हुआ बल्कि वह प्रसव हेतु घर से अस्पताल व वापस एंबुलेंस से आई थीं | इसके अतिरिक्त उसे अस्पताल में मुफ्त खाना, नाश्ता भी मिलता था । गर्भावस्था के दौरान सारी जाँचें भी मुफ्त हुईं | नीलू का कहना है कि हमने व परिवार वालों ने पहले ही यह तय कर लिया था कि अस्पताल में प्रसव कराएंगे ताकि कोई दिक्कत न हो। इससे बच्चे का जन्म सुरक्षित होगा क्योंकि वहाँ प्रसव एक प्रशिक्षित डॉक्टर के द्वारा कराया जाएगा |
इसी गाँव की आशा कार्यकर्ता उर्मिला का कहना है कि विभाग द्वारा योजनाओं के लागू होने से अब घर पर प्रसव न के बराबर होते हैं लोग अस्पताल में ही प्रसव कराते हैं | इससे जच्चा – बच्चा दोनों ही सुरक्षित रहते हैं | संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए हमें भी 600 रुपए मिलते हैं।
प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना- यह योजना 1 जनवरी 2017 को प्रारम्भ हुयी थी | यह योजना पहली बार माँ बनने वाली महिलाओं के लिए है | इसके तहत किसी भी सरकारी स्वास्थ्य इकाई में आखिरी रजोनिवृत्ती की तारीख (राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस पर विशेष होने पर 2000 रूपये की दूसरी किश्त और बच्चे के जन्म का पंजीकरण होने व उसके टीकाकारण का पहला चक्र पूरा होने पर 2000 रुपए की तीसरी किश्त बैंक खाते में सीधे आ जाती है | बैंक खाते का आधार से लिंक होना जरूरी है |
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान
इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक माह की 9 तारीख को एम0बी0बी0एस0 चिकित्सकों द्वारा ब्लॉक व जनपदीय स्वास्थ्य केन्द्रों पर समस्त गर्भवती महिलाओं की विस्तृत एवं निःशुल्क प्रसव पूर्व देखभाल की व्यवस्था की जाती है | गर्भावस्था /मेडिकल हिस्ट्री एवं वर्तमान स्थिति के आधार पर अति जोखिम गर्भावस्था की पहचान कर समुचित प्रबंधन किया जाता है |
जननी सुरक्षा योजना
जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को 1400 रुपये व शहरी क्षेत्र की महिलाओं को 1000 रूपये संस्थागत प्रसव के लिए प्रोत्साहन राशि के रूप में दिए जाते हैं | यदि महिला बी०पी०एल० कार्ड धारक है और यदि उसका प्रसव घर में हो जाता है तो 2 बच्चों के लिए उसे 500 रुपये की धनराशि मिलती है | इसके तहत आशा कार्यकर्ता (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता) को एक प्रसव के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में 600 रुपए व शहरी क्षेत्रों में 400 रूपये दिये जाते हैं। इसका मूल मकसद संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना है।
जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम ( जे.एस.एस.के.)
इस कार्यक्रम के अंतर्गत सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने पर जच्चा –बच्चा का निःशुल्क इलाज होता है, उन्हें निःशुल्क दवाएं एवं आवश्यक सामग्री मिलती है, निःशुल्क स्वास्थ्य जांच की जाती है, आवश्यकता पड़ने पर मुफ्त में खून उपलब्ध कराया जाता है व निःशुल्क आवश्यक ट्रांसपोर्ट सेवाएँ उपलब्ध करायी जाती हैं |
यह योजनाएँ स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित की जाती हैं जबकि राष्ट्रीय स्वास्थय मिशन के अंतर्गत से स्वास्थ्य एवं समेकित बाल विकास विभाग द्वारा संयुक्त रूप से गाँव में ग्राम स्वास्थय पोषण दिवस का आयोजन महीने में दो बार (बुधवार या शनिवार को और उसी महीने के किसी भी अन्य दिन) किया जाता है। इस दिन एएनएम, आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता तथा अन्य स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा गाँव के आंगनबाड़ी केन्द्रों में गर्भवती व धात्री महिलाओं, बच्चों के स्वास्थ्य की जांच, पोषाहार का वितरण, टीकाकरण तथा स्वास्थ्य एवं पोषण संबंधी सलाह दी जाती है |
इसके साथ ही मातृ समिति, स्वच्छता एवं पोषण समिति तथा आशा, आंगनबाड़ी एवं ए.एन.एम. की बैठकें एक ऐसा प्लेटफ़ार्म हैं जहां पर सुरक्षित मातृत्व को लेकर चर्चा होती है | इसके अलावा आंगनबाड़ी केन्द्रों पर ममता दिवस व गोद भराई का आयोजन किया जाता है जिसमें गर्भवती व धात्री महिलाओं को खानपान , पोषण, माँ व बच्चे के टीकाकरण, केवन स्तनपान, 6 माह बाद पूरक पोषाहार आदि के बारे में बताया जाता है तथा टेक होम राशन दिया जाता है ताकि उसके सेवन से आवश्यक पोषक तत्वों की कमी को पूरा किया जा सके|
गोसाईंगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की महिला रोग विशेषज्ञ व मेडिकल आफिसर डॉ. ज्योति कामले का कहना है कि इन कार्यक्रमों के माध्यम से समुदाय को एक सही व सरल सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं जिससे कि जच्चा व बच्चा दोनों ही सुरक्षित रहें | महिलाओं को गर्भावस्था के समय एचआईवी, हीमोग्लोबिन, मधुमेह, पेशाब आदि की जांच मुफ्त की जाती है, प्रसव के लिए अस्पताल ले जाने व वापस घर लाने के लिए मुफ्त एंबुलेंस की सुविधा है यही कारण है कि संस्थागत प्रसव में बढ़ोत्तरी हो रही है |
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-4) के अनुसार उत्तर प्रदेश में 67.8 % महिलाएं व लखनऊ जिले में 88.1% महिलाएं संस्थागत प्रसव कराती हैं |