लखनऊ। दुनियाभर में कुल आबादी के लगभग 3 प्रतिशत लोग सोरायसिस के रोगी हैं । एक अन्य अध्ययन से पता चला है कि विभिन्न देशोें में सोरायसिक 0.09 प्रतिशत से लेकर 11.43 प्रतिशत तक है जिससे सोरायसिस एक गंभीर वैश्विक समस्या बनती जा रही है। भारत में सोरायसिस के सबसे ज्यादा रोगी हैं तथा एक अनुमान के अनुसार यहां लगभग 33 मिलियन लोग इस रोग से ग्रस्त हैं। भारत में सोरायसिक के बारे में किए गए अध्ययन के अनुसार लखनऊ, पटना, दरभंगा, नई दिल्ली,तथा अमृतसर स्थित विभिन्न मेडिकल काॅलेजों से एकत्रित आंकडों में यह पाया गया था कि त्वचा रोग के कुल रोगियों में सोरायसिस के रोगियों की संख्या 0.44 से 2.2 प्रतिशत तक है । इसके अलावा यह भी पता चला है कि पुरूषों से महिलाओं का अनुपात ( 2.12ः1) भी बहुत ज्यादा है और 20 से लेकर 39 वर्ष की आयुवर्ग में यह सबसे ज्यादा पाया गया है।
मंगलवार को अनुसंधान में अग्रणी वैश्विक एकीकृत औषधि निर्माण कंपनी ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड ने भारत में एप्रेमिलास्ट को प्रस्तुत करने की धोषणा की है। एप्रेमिलास्ट भारत में सोरायसिस के लिए पहला प्रगत ओरल सिस्टेमेटिक उपचार है। एप्रेमिलास्ट एक फास्फोडिएस्टेरेस 4 इनहिबिटर है जो मामूली से लेकर गंभीर किस्म के सोरायसिस के उपचार के लिए सूचित है। इस समय भारत में लगभग 33 मिलियन लोग सोरायसिस से ग्रस्त है, जिनके उपचार में एप्रेमिलास्ट की प्रस्तुति इसके उपचार में क्रांति ला देगी ।
एप्रेमिलास्ट सोरायसिस का प्रगत उपचार है जो भारत में उपलब्ध वर्तमान उपचार प्रणालियों की सीमाओं को दूर कर देगा । यह बीमारी बढने के आरंभिक स्थिति पर लक्षित तरीके से कार्य करती है। इसके साथ ही यह एक इम्युनोमाडुलेटर भी है जबकि देश में उपलब्ध अन्य औषधियां बायोलाजिक्स सहित इम्युनोसप्रेसेंट है तथा अधिकांशतः कैंसर की स्थिति में उपचार के लिए सूचित हैं। इम्युनोसरप्रेसंेटस शरीर की प्रतिरोधी क्षमता को दबा देते हैं जिसके द्वारा शरीर विभिन्न संक्रमणों के लिए अतिसंवेदनशील बन जाता है। इम्युनोमाडुलेटर होने के कारण एप्रेमिलास्ट शरीर की प्रतिरोधी प्रणाली को दबाता नहीं है तथा इंटरासेल्युलर स्तर पर सोरायसिस की विभिन्न स्थितियों का उपचार करता है जिससे पूरे देश के सोरायसिस रोगियों को लाभ मिलेगा।
वर्तमान इंजेक्टेबल थेरेपी जिन्हें पैरामेडिकल द्वारा लगाया जाता है से अलग एप्रेमिलास्ट एक ओरल थेरेपी है जिसे खुद लिया जा सकेगा । इसके अलावा एप्रेमिलास्ट एक सुरक्षित औषधि है जिसका लीवर तथा किडनी जैसे अन्य अंगों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पडता है तथा इस समय उपलब्ध अन्य उपचार प्रणालियों में जिस तरह से सीबीसी, लीवर तथा किडनी टेस्ट या टीबी स्क्रीनिंग की जरूरत पडती है एप्रेमिलास्ट के सेवन के बाद किसी तरह की नियमित प्रयोगशाला डायग्नोस्टिक जांच की जरूरत भी नहीं रहेगी।
ग्लेनमार्क ने एप्रेमिलास्ट को ब्राण्ड नाम ‘‘ एप्रेजो‘‘ के अंतर्गत प्रस्तुत किया है जो सोरायसिस के उपचार के लिए सूचित है। नियामक आवश्यकताओं के अनुसार मालिक्यूल्स पर क्लिनिकल ट्रायल्स के बाद ग्लेनमार्क ने एप्रेमिलास्ट के लिए डीसीजीआईसे अनुमोदन हासिल कर लिया है।
इस अवसर पर भारत , मध्य पूर्व तथा अफ्रीका के पे्रसिडेंट तथा हेड सुजेश वासुदेवन ने कहा कि ‘‘ ग्लेनमार्क को भारत में सोरायसिस के एडवंास्ड ओरल तथा सुरक्षित उपचार के लिए एप्रेमिलास्ट को प्रस्तुत करने वाली पहली कंपनी बनने का गौरव हासिल हुआ है। भारतीय रोगियोे के लिए एडवंास्ड थेरेपी लाने वालरी ग्लेनमार्क को चर्मरोग के क्षेत्र में 4 दशकों का अनुभव है। एप्रेमिलास्ट को प्रस्तुत कर देश के करोडों सोरायसिस रोगियों के लिए उचपार प्रणाली को रूपांतिरत करने का हमारा लक्ष्य है।‘‘
ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स के सेल्स एण्ड मार्केटिंग सीनियर वाइस प्रेसिडेंट राजेश कपूर ने कहा कि ‘‘ मौजूदा उपचार से पैरामेडिकल स्टाफ द्वारा लगाए जाने, नियमित प्रयोगशाला मानिटरिंगतथा सुरक्षा मामलों जैसे कइ चुनौतियों का सामना करना पडता है। इसके अलावा, इस रोग के साथ जुडी धारणाओं के कारण रोगी को कई सामाजिक परेशानियों का सामना भी करना पडता है। एप्रेमिलास्ट एक सुरक्षित तथा प्रभावशाली उपचार है जिस मुंॅंह से लिया जा सकता है और जिसके लिए किसी पैरामेडिकल सहायता या नियमित प्रयोगशाला जांच की जरूरत नहीं होती है। ‘‘
एप्रेमिलास्ट देश के 33 मिलियन सोरायसिस रोगियों के उपचार को क्र्रांतिमय बना देगा। एप्रेमिलास्ट भारत में खासतौर पर सोरायसिस के उपचार के लिए पहला ओरल ट्रीटमेंट है ; इसे लेना सुविधाजनक है , मौजूदा उपचार प्रणालियोें कीक तुलना में यह सुरक्षित है तथा यह देश में सोरायसिस उपचार प्रणाली को रूपांतरित कर देगी।