विशेषज्ञ बोले, फेफड़ों के कैंसर के विरुद्ध लड़ाई में महत्वपूर्ण
वाराणसी। महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र एवं होमी भाभा कैंसर अस्पताल में फेफड़े के कैंसर पर एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम रोश डायग्नोस्टिक्स और लंग कनेक्ट बैनर तले हुआ। इस कार्यक्रम उद्देश्य मरीजों एवं उनके परिजनों को फेफड़े से जुड़े कैंसर के बारे में जानकारी उपलब्ध कराना था। कार्यक्रम में फेफड़े के कैंसर से जंग जीतने वाले और इससे लड़ाई लड़ने वालों ने मरीजों संग अपना अनुभव भी साझा किया। बीमारी से लड़ने के लिए मरीजों को प्रेरित किया। रोश डायग्नोस्टिक्स इंडिया में चिकित्सा और वैज्ञानिक मामलों के प्रमुख डॉ. संदीप सेवलीकर ने कहा फेफड़े के कैंसर का रोगियों और देखभाल करने वालों पर समान रूप से दूरगामी प्रभाव पड़ता है। जोखिम कारकों, लक्षणों, समय पर निदान के बारे में जानकारी देकर लोगों को सशक्त बनाना और प्रभावी निदान तरीके जो उचित और व्यक्ति अनुरूप उपचार में मदद कर सकते हैं। फेफड़ों के कैंसर के विरुद्ध लड़ाई में महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि फेफड़ों के कैंसर को समझना और वह किन कारणों से बढ़ता है। रोगियों के लिए सर्वोत्तम उपचार निर्धारित करने में चिकित्सकों के लिए भी महत्वपूर्ण है। लंग कनेक्ट के साथ साझेदारी करके उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य वाराणसी में अपने विशेष कार्यक्रम के साथ समाज पर सार्थक प्रभाव डालना है। महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र अस्पताल के उपनिदेशक डॉ. बीके मिश्रा ने बताया कि किसी भी तरह के कैंसर के बेहतर प्रबंधन के लिए जरूरी है कि बीमारी का समय पर पता चले। इसके लिए अस्पताल द्वारा लोगों को समय-समय पर जागरूक भी किया जाता है। बीमारी की आशंका होने पर डॉक्टरों से परामर्श लेने में देरी नहीं करना चाहिए। फेफड़े के कैंसर के चौथे चरण से जूझ रहे रवि प्रकाश ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि 2021 में उन्हें कैंसर के बारे में पता चला था। उस वक्त बीमारी का नाम सुनकर वो काफी सहम गए थे। लेकिन वक्त के साथ धीरे-धीरे चीजें सामान्य होने लगी और आज न केवल रवि प्रकाश अपनी जंग लड़ रहे हैं। बल्कि तमाम लोगों को इस बीमारी से लड़ने की शक्ति दे रहे। उन्होंने कहा कि कैंसर डेथ वारंट नहीं, अगर बीमारी हो जाए तो इसका इलाज करवाना चाहिए। डॉक्टर द्वारा सुझाई चीजों का पालन करना चाहिए। बीमारी से डर डर कर जीने से बेहतर है हर रोज उसका सामना करें और लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरूक करते रहे।