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यूक्रेन पढ़ाई करने गये मनकापुर के जैनुददीन ने वतन वापस लौटने पर वहां के हालात का किया वर्णन

जिला ब्यूरो चीफ गोंडा विनोद कुमार सिंह।
गोंडा। यूक्रेन और रूस से छिड़ी खूनी जंग से बच निकल कर वापस सुरक्षित अपने वतन लौटे मनकापुर के रहने वाले जैनुददीन ने वहाँ के हालात के साथ आपबीती बयां की। जैनुददीन मनकापुर तहसील क्षेत्र के उजागरपुर गाँव में रहता है।जहाँ वह यूक्रेन में एमबीबीएस की चौथे वर्ष की पढ़ाई कर रहा है।यूक्रेन, रूस से जंग शुरू हो जाने के बाद तमाम भारतीयों के साथ वह भी युद्ध ग्रस्त यूक्रेन में फंस गया था। इस दौरान पूरा परिवार और आस पास के लोग जैनुद्दीन की सलामती की दुआ कर रहे थे।मंगलवार शाम वापस वतन लौटे छात्र ने बताया कि वहां पर हालात ठीक नहीं हैं।लोग वहां से निकलना चाहते हैं पर निकल नहीं पा रहे हैं।जैनुददीन ने एक मीडिया चैनल से बात करते हुए बताया की हमने इन्डियन असेंबली से बात की तो हमें बताया गया की जब तक बोर्डर पर कोई इंतज़ाम नहीं होते,आप सभी वहीं रुकें रहें।
मगर हमले के डर से हम लोगों ने बार्डर पार करने का फैसला किया,और प्राइवेट बस करके वहां से बार्डर के लिए निकले।बार्डर पर कोई इंतज़ाम ना होने से हम लोग 4-5 दिनों का पानी व खाने के लिए फ्रूट साथ लेकर निकले थे।जैनुददीन ने बताया की हम लोग जिस शहर में थे वहां हमले की कंडीशन कम थी मगर दूसरों शहरों के हालात ज्यादा गंभीर थे।कीव यूक्रेन की राजधानी होने के कारण वहां ज्यादा टारगेट किया जाता है।वहां मिसाइलों से हमले हो रहे हैं जिससे बड़े-बड़े बिल्डिंग धराशाई हो जाती है हमले की चपेट में आकर लोग मर भी रहे हैं। लगभग-लगभग यूक्रेन के हर स्टेट पर वार किया जा रहा है वहां जो बच्चे पढ़ते हैं वह हॉस्टल में कैद रहने को मजबूर हैं।उनको सुपर मार्केट भी जाने को नहीं मिल पा रहा है,जिससे वह कुछ खरीद के खा सकें।जब भी मिसाइल गिरने की संभावना होती है वहां सायरन बजता है।सायरन बजते ही सारे बच्चे हॉस्टल छोड़कर आसपास बने बंकरों में चले जाते हैं जहां बंकर में कब तक रहना पड़े,कुछ पता नहीं होता।ना तो वहां कुछ खाने पीने की व्यवस्था रहती है,ना ही नेट की सुविधा।जो साथ ले जाएं हम वही खाते पीते हैं।फ़िलहाल जैनुददीन सकुशल घर पहुंच चुका है।वहीं भारत सरकार द्वारा रोमानिया बार्डर से घर तक नि:शुल्क व सुरक्षित भेजे जाने पर छात्र ने भारत सरकार का धन्यवाद किया है।

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