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छठ पूजा का दूसरा दिन आज हिन्दू धर्म में छठ पर्व को बेहद महत्व प्रदान किया गया है

राकेश कुमार सिंह
मोतीगंज गोंडा । छठ पूजा का दूसरा दिन आज हिन्दू धर्म में छठ पर्व को बेहद महत्व प्रदान किया गया है। कार्तिक मास की षष्ठी को मनाया जाने वाला छठ पर्व नहाय-खाय के साथ 31 अक्टूबर से शुरू हो चुका है। छठ पर्व के दूसरे दिन यानी 01 नवंबर को खरना पूजा है। खरना पूजा के बाद 02 नवंबर को छठ महापर्व का संध्याकालीन अर्घ्य आयोजन होगा और 03 नवंबर को सूर्य देव को प्रातःकालीन अर्घ्य दिया जाएगा। खरना पूजा में व्रती प्रसाद के रूप में गुड़ की खीर, रोटी सहित फल इत्यादि का सेवन करते हैं। इसके बाद अगले 36 घंटे तक के लिए निर्जला व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि खरना पूजा से षष्ठी देवी प्रसन्न होती हैं छठ महापर्व के दूसरे दिन खरना पूजा की जाती है। इस दिन व्रती महिलाएं पूरे दिन व्रत रखतीं हैं। इसके बाद शाम में सूर्यास्त के बाद खीर-पूरी, केले, मिठाई और पान-सुपारी का भोग लगाया जाता है। इस प्रसाद को केले पत्ते पर लगाया जाता है। फिर इसे घर-परिवार और आस पड़ोस में बांटा जाता है।
प्रसाद को पकाने के लिए मिट्टी के चूल्हे का इस्तेमाल किया जाता है। प्रसाद बनाने के लिए नए चूल्हे का इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए इसके इस्तेमाल में ये ध्यान रखा जाता है कि चूल्हे पर किसी तरह की नमक वाली चीजें और मांसाहारी व्यंजन न बनाया गया हो। खरना के दिन प्रसाद के लिए बनने वाला खीर व्रती अपने हाथों से पकाते हैं। शाम को खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रत शुरू हो जाता है।
इस साल छठ महापर्व के दिन षष्ठी तिथि का आरंभ 02 नवंबर (शनिवार) को 00: 51 मिनट से शुरू हो रहा है। षष्ठी तिथि का समापन 03 नवंबर को 01:31 बजे होगा। छठ पूजा के दिन सूर्योदय का समय 06 बजकर 33 मिनट है। छठ पूजा के दिन सूर्यास्त का समय शाम 5 बजकर 36 मिनट है।
छठ पूजा को मुख्य रूप से बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश समेत नेपाल में मनाया जाता है। हालांकि लोक आस्था के इस महापर्व को देश के प्रायः सभी भागों में मनाया जाता है। छठ पर्व के पीछे पौराणिक मान्यता है कि यह सूर्यवंशी राजाओं के प्रमुख पर्व में शामिल था।
मान्यता है कि मगध के राजा जरासंध के पूर्वज को कुष्ट रोग हो गया था। इस रोग के छुटकारा पाने के लिए उन्होंने सूर्य की उपासना की थी। कहते हैं कि सूर्य की उपासन के कारण राजा के पूर्वज को कुष्ट रोग से मुक्ति मिल गई थी। जिसके बाद छठ पर सूर्य देव की उपासना आरंभ हुई। पंडित अनिल कुमार मिश्रा

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