अंत्येष्टि स्थल में 4 साल में नहीं आई अर्थी, विवाह घर भी कागजों में सिमटा
बस्ती। सरकारी धन का दुरुपयोग कैसे होता है, अगर यह देखना हो तो शहर के अमहटघाट के समीप बने अंत्येष्टि स्थल को देख सकते हैं। 4 करोड़ 65 लाख रुपए की लागत से निर्मित इस अंत्येष्टि स्थल को बने चार साल हो गए और यहां एक भी अर्थी नहीं आई। इतना ही नहीं पालिका की ओर से इसे विवाह घर बनाने की भी कवायद की गई, लेकिन वह भी कागजों में सिमट कर रह गई। इसके चलते यहां से डोली भी नहीं उठ सकी। अमहटघाट के समीप निर्मित इस अंत्येष्टि स्थल निर्माण के लिए साल 2016 में स्वीकृति मिली थी। कई अड़चनों के बाद साल 2019 में इसका निर्माण जैसे-जैसे पूरा हुआ और इसे खोल दिया गया, पर सरकारी कॉलोनी और नया स्थान होने के चलते लोगों ने इससे मुंह फेर लिया। चार साल बाद भी यह स्थान पूरी तरह से वीरान है। देख-रेख के अभाव में यह स्थान धीरे-धीरे बदहाल होने लगा। परिसर में जगह-जगह झाडिघ्यां उग आई हैं। कई जगह इंटर लॉकिंग धस गई है। इसके भीतर दाखिल होने पर ऐसा प्रतीत होता है जैसे भगवान भरोसे इसे छोड़ दिया गया है। इस अंत्येष्टि स्थल को सरकारी कॉलोनी के समीप बनवाया गया है। इसी स्थल से लगभग दो किमी की दूरी पर मूड़घाट में पुराना अंत्येष्टि स्थल है। दशकों से शहर के अलावा ग्रामीणांचल के लोग अंत्येष्टि के लिए यहां पहुंचते हैं। होना तो यह चाहिए था कि मूड़घाट को ही और अधिक विकसित किया जाता, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। अंत्येष्टि स्थल की बदहाली को लेकर जब ईओ नगर पालिका परिषद दुर्गेश नंदन त्रिपाठी से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि बोर्ड की बैठक में विवाह घर और पार्क बनने के लिए प्रस्ताव आया था, जिसे पास कर दिया गया है। बताते हैं कि यह जन उपयोगी हो इसके लिए पीपीपी मॉडल पर इसे संचालित किया जाएगा।