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बलरामपुर जिला महिला चिकित्सालय व सीएचसी तुलसीपुर में शुरू हुआ स्टाफ नर्स का प्रशिक्षण

इकबाल खान
बलरामपुर । नीति आयोग की रिपोर्ट में देश के सबसे पिछड़े जिले में शुमार जिले में मातृ शिशु मृत्युदर में कमी लाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कमर कस ली है। विभाग अति पिछड़े इलाकों के स्वास्थ्य केन्द्रों में अंतिम सिरे तक काम करने वाली स्टाफ नर्स को प्रशिक्षित कर वापस अस्पतालों में भेजेगा जिससे प्रेगनेंसी और प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं के कारण होने वाली मौतों पर को काफी हद तक लगाम लगेगी।
प्रशिक्षण के दौरान डा. शैलेन्द्र सिंह डीटीएस ने निरीक्षण कर प्रशिक्षण की जानकारी ली उन्होने बताया कि जिले के दो सेंटरों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तुलसीपुर और जिला महिला चिकित्सालय में जिले के आठ स्वास्थ्य केन्द्रों की स्टाफ नर्स का कुशल जन्म परिचारिका (स्किल्ड बर्थ अटेन्डेंट) व्यवहारिक प्रशिक्षण शुरू कर दिया गया है। जिला महिला चिकित्सालय में डा. माही कीर्ति, डा. सुनील गुप्ता और प्रेरणा नर्स मेंटर स्टाफ नर्सो को प्रक्षिशित करने में लगी हुई है। डा. माही कीर्ति ने व्यवहारिक प्रशिक्षण में मंगलवार को जानकारी देते हुए बताया कि शैक्षिक रूप से काफी पिछड़े इस जिले में प्रसूताओं और नवजात बच्चों की मृत्युदर में कमी लाना चुनौतीपूर्ण काम है। इसी चुनौती को स्वीकार करते हुए स्टाफ नर्स को 16 दिनों तक प्रशिक्षण देकर प्रशिक्षित किया जा रहा है। इस दौरान इन्हे सही तरीके से गर्भावस्था के दौरान जांच कर कमियों का पता लगाना और चिकित्सक की देखरेख में सही से इलाज करना। प्रसूताओं का ब्लडप्रेशर, तापमान, वजन, टिटनेस इंजेक्शन, यूरीन टेस्ट, हाईपरटेंशन की शिकायत का समाधान आदि के बारे में अस्पताल में भर्ती प्रसूताओं से जांच और बातचीत के माध्यम से जानकारी एकत्र कर उनकी वास्तविक स्थिति का पता लगाकर इलाज भी शुरू करना है। डा. सुनील गुप्ता ने स्टाफ नर्स को जानकारी देते हुए बताया कि प्रेगनेंसी के दौरान प्रसूताओं की सबसे ज्यादा मौते हाई ब्लड प्रेशर व यूरीन में प्रोटीन आने के कारण होती है। जिनका समय पर इलाज किया जाना बेहद आवश्यक है नहीं तो जच्चा और बच्चा दोनों की जान पर खतरा काफी अधिक बढ़ जाता है। प्रशिक्षण के दौरान सभी प्रशिक्षु स्टाफ नर्सो ने प्रेरणा नर्स मेंटर के साथ अस्पताल में भर्ती प्रसूता महिलाओं से प्रसव पूर्व देखभाल के लिए चेकलिस्ट तैयार की। जिसमें प्रसव के लिए तैयारी रखना, महिला के बारे में जानकारी, प्रसूति, शारीरिक रोग व पिछले गर्भावस्था का इतिहास, दवा से एलर्जी की जानकारी आदि की जानकारी लेकर मातृ एवं शिशु सुरक्षा कार्ड में दर्ज करना है जिससे प्रसूताओं की सही तरीके से देखभाल हो सके। प्रशिक्षण के दौरान प्रीति शुक्ला, प्रतिभा भारती, अनीता पाण्डेय, सुनीता आदि मौजूद रहीं।

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