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जानलेवा डिप्थीरिया और टेटनस से बचाएगी नई टीडी वैक्सीन

इकबाल खान
बलरामपुर । जनपद में टेटनस और डिप्थीरिया जैसी बीमारी से निजात दिलाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा गर्भवती महिलाओं एवं 10 साल से 16 साल तक के बच्चों को नियमित टीकाकरण में शामिल टेटनस की जगह टीडी (टिटनेस और अडल्ट डिप्थीरिया) का एक टीका मुफ्त में लगाया जाएगा, जिससे इन दोनों बीमारियों की रोकथाम की जा सकेगी।
डा. घनश्याम सिंह मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि अभी तक टीकाकरण सारणी के अंतर्गत गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं को टीटी के दो इंजेक्शन लगते थे, ताकि गर्भवती महिला और उसके गर्भ में पल रहे शिशु को टेटनस न हो सकें और यह इंजेक्शन पहली डोज देने के ठीक एक माह बाद दूसरी डोज लगायी जाती है, लेकिन अब टीटी का स्वरूप और कार्य बदलने जा रहा है। कई परिक्षणों के बाद अब इस टीके के साथ एक और जानलेवा बीमारी से बचाव को शामिल किया जा रहा है। उस जानलेवा बीमारी को डिप्थीरिया व गलाघोटू के नाम से भी जाना जाता है।
उन्होने बताया कि डिप्थीरिया और टेटनस जीवाणु द्वारा उत्पन्न होने वाले रोग है, जो हर उम्र के व्यक्तियों को हो सकता है। खासतौर से यह दोनों बीमारी बड़े लोगों की तुलना में बच्चों को अधिक होती है और इन दोनों बीमारियों से बचाव के लिए अब तक टीटी और डिप्थीरिया के टीके अलग-अलग लगाये जाते है, किन्तु अब इसका संयोजन तैयार हो गया है और इस संयोजन का नाम टीडी रखा गया है। जो इन दोनों बीमारियों से बचाव करेगा।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की टेटनस और अडल्ट डिप्थीरिया परिचालन दिशानिर्देश 2018 में प्रकाशित है कि भारत में टीकाकरण सर्वेलेंस के आकड़ो के अनुसार, डिप्थीरिया के ज्यादातर मामले 5 वर्ष या उससे ज्यादा की आयु वर्ग में सामने आये है (2017 और 2018 में 77 प्रतिशत और 69 प्रतिशत)। हालांकि 1999 से, टिटनेस के कारण होने वाली मृत्यु की दर में 80 प्रतिशत की कमी आई है, किन्तु फिर भी डिप्थीरिया का आउट ब्रेक बढ़ रहा है जो डिप्थीरिया के प्रतिरोधक क्षमता की कमी को जाहिर करता है। इसीलिए डिप्थीरिया, टेटनस, पेरटोसिस( डीटीपी) के प्राथमिक टीकाकरण के बाद नवजात में डिप्थीरिया के विरुद्ध रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और निरंतर सुरक्षा के लिए डिप्थीरिया टाक्साईड युक्त टीको की बूस्टर खुराके आवश्यक है।
टेटनस और डिप्थीरिया दोनों ही संक्रामक जानलेवा बीमारियाँ है। डिप्थीरिया का संक्रमण एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति में खांसी या छीकने के द्वारा फैलते है, जबकि टेटनस के जीवाणु शरीर में कोई खरोंच लग जाए, कट जाए व कोई घांव बन जाए तब शरीर में प्रवेश करता है और टेटनस के संक्रमण से पुरे शरीर की मासपेशियों में जकड़न हो जाती है सर और गर्दन इतनी ज्यादा अकड़ जाती है की व्यक्ति खाने और निगलने में पूरी तरह असमर्थ हो जाता है यहाँ तक की कभी-कभी सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। भारत सरकार ने अब गर्भवती महिला सहित सभी आयु वर्ग के लिए के टीकाकरण कार्यक्रम में टीटी के बदले टीडी के टीके को शामिल करने की सलाह दी है। ताकि इन दोनों बीमारियों से बचाव हो सकें।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ जयन्त कुमार ने बताया की बच्चों के शरीर मे रोग प्रतिरक्षण के लिये टीके लगवाना बेहद जरूरी होता है, जिससे बच्चों के शरीर की रोग से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। टीकाकरण से बच्चों मे कई सक्रांमक बीमारियों की भी रोकथाम होती है। आठ गंभीर जानलेवा संक्रामक बीमारियों जैसे खसरा, टेटनस, पोलियो, क्षय रोग, गलाघोंटू, काली खांसी तथा हेपेटाईटिस बी एवं हीमोफिलस इंफ्लुएंजा से बचाव के लिए अपने बच्चोंल को सही समय पर टीके जरूर लगवाने चाहिये। ताकि बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहें। उन्होने बताया कि टीडी वैक्सीन प्रबंधन, रखरखाव से लेकर वितरण का काम जिला वैक्सीन एंड कोल्ड चेन प्रबंधक विनोद त्रिपाठी कर रहे हैं।
-बड़े बच्चे और गर्भवती को ही लगेगा टीका
टीडी का टीका पहली बार में 10 साल के बच्चो को ही लगेगा। उसके बाद उन्हें 16 साल की उम्र में दोबारा वैक्सीन लगाई जाएगी। वही गर्भवती महिलाओं को भी अब टीडी का टीका दो खुराक में दिया जाएगा। पहला गर्भवती होने पर और दूसरा उसके एक महीने बाद।

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