बलरामपुर/गोण्डा। रेहरा बाजार, पटेलनगर चैराहा, उतरौला, मेहनौन बार्डर स्थान पर किसान सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमती पल्लवी पटेल ने कहा कि आजादी के 70 वर्षों पश्चात देश के किसानों के होठों की मुस्कान और उनके आंगन की रोशनी बारी-बारी से केन्द्र व प्रदेश की सरकारों ने छीनने का काम किया है। कृषि प्रधान कहे जाने वाले भारत के किसानों की दुर्दशा के जिम्मेदार शासन में बैठे वे लोग हैं, जिन्होंने लाखों किसानों को भुखमरी, कर्जा, दैवीय आपदाओं से प्रभावित होकर आत्महत्या के लिए विवश किये।
श्रीमती पटेल ने कहा कि 04 नवम्बर 1995 को डा0 सोनेलाल पटेल जी अपना दल के गठन के पश्चात लौह पुरुष सरदार पटेल को आदर्श मानते हुए किसानों की तरक्की एवं खुशहाली के लिए किसान आयोग का गठन, कृषि को उद्योग का दर्जा, किसानों की अधिग्रहीत भूमि का बाजार भाव से मुआवजा, पशुपालन की समस्या, छोटी-छोटी नदियों को आपस में जोड़कर चेकडैम बनाकर बरसात के पानी को रोकना, 1860 के कृषि एक्ट में संशोधन तथा 1894 भूमि अधिग्रहण को समाप्त करके निःशुल्क बिजली पानी, कीटनाशक दवाएं, लागत मूल्य पर खाद, बीज, कृषियन्त्र उपलब्ध कराने जैसे किसानों की आवाज को उठाने का काम किया था। परन्तु 70 वर्षोँ पष्चात भी किसानों के लिए कोई मुकम्मल व्यवस्था नहीं बन सकी है। जिससे देष के 76 प्रतिशत किसान विकास की दौड़ से काफी पीछे छूट गये हैं। इसका जिम्मेदार कौन है और दूसरी तरफ केन्द्र व प्रदेश की सरकारों ने देश के खजाने का पैसा, पूंजीपतियों, उद्योगपतियों, बड़े-बड़े सेठ साहूकारों को लुटाने का काम किया है। यदि पिछले 10 वर्षों पर देखा जाय तो इन समूहों को केन्द्र सरकारों ने 42 लाख करोड़ रूपये कर की छूट तथा 2015 के बजट में मोदी सरकार ने 6 लाख करोड़ की राहत प्रदान की है। इसके साथ 10 हजार लाख करोड़ रूपया यह समूह बैंकों का दबाकर बैठे हैं। जिसके कारण 30 प्रतिशत किसान भुखमरी के कगार पर पहुंच गये। 10 प्रतिशत कर्ज में डूबे आत्महत्या की ओर अग्रसर, 20 प्रतिशत दैवीय आपदाओं की मार पिछले कई वर्षोँ से झेल रहे हैं। जिस देश के विकास का रास्ता 6 लाख गांवों से होकर गुजरना था। जिसकी कल्पना महात्मा गांधी ग्राम स्वराज के नाम किया करते थे पर आज की सरकारें 80 करोड़ किसानों के नाम की सरकारी योजनाएं पूंजीपतियों के नाम ट्रान्सफर कर रही है। ऐसी किसान विरोधी सरकारों को सत्ता से उतार कर फेंकने की जिम्मेदारी आप सबकी है।
किसान सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य प्रो0 गंगाराम यादव ने कहा कि उ0प्र0 कृषि व्यवसाय के क्षेत्र में 20 प्रतिशत कृषि उर्वरक जमीन और प्रदेशों की अपेक्षा सबसे अच्छी है। गन्ना, गेंहू, धान, दलहन जैसे फसलों तथा सब्जियां कृषि उत्पादक में चार चांद लगा रही हैं, पर सरकार की किसान विरोधी नीतियां एवं बिचैलियों के कारण पैदावार के हिसाब से किसानों को उचित रेट नहीं मिल पाता जिससे यह सेक्टर कृषि उत्पादकता के साथ-साथ रोजगार को भी प्रभावित कर रहा हैं।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य एवं प्रवक्ता एड0 आर0बी0 सिंह पटेल ने कहा कि जहां पर यह सम्मेलन हो रहा है इसी गांव ने आजादी के बाद पहला विधायक देकर समाज का गौरव बढ़ाया है, इस गांव के लोगों ने जो इतिहास रचा है उसे अपना दल पूरे प्रदेश में जाकर चर्चा करेगा। यहां के लोग धन्य हैं, जो किसान आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए जिम्मेदारी के साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा सामन्तवादी ताकतों, गुंडो, माफियाओं से डरने की जरूरत नही,मान-सम्मान-स्वाभिमान के लिये यदि हथियार उठाना पड़े तो किसानों को इसके लिए हिचकने की जरूरत नही कल का सबेरा आपका है। श्री पटेल ने कहा कि दल को बढ़ाने के लिए मिशन के रूप में काम करके गांव स्तर पर जाकर मजबूती प्रदान करना होगा। प्रत्येक बूथ में कमेटी गठन करना सुनिश्चित करना होगा। दल को गति देने के लिए 8 सितम्बर से किसान सम्मेलन विधानसभा स्तर पर लगाये गये है। प्रथम चरण में 16 जनपद लिए गये हैं। लगभग 30 विधानसभाओं का कार्यक्रम बना है। यह तैयारी आगामी आने वाले उपचुनाव और निकाय चुनाव में हमें ताकत प्रदान करेगी। कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष छोटेलाल मौर्य ने भी सम्बोधित करते हुए कहा कि जब तक देश का किसान खुशहाल नहीं होगा तब तक देश का विकास सम्भव नहीं है। केन्द्र सरकार ने किसानों से सम्बन्धित कृशि यन्त्रों, खाद, बीज और ट्रैक्टर पर जीएसटी लगाकर किसानों को उद्योगपतियों का गुलाम बनाना चाहती है और यही कारण है कि केन्द्र और प्रदेश सरकार की कृशि विरोधी नीति के कारण पूरे देश का किसान आन्दोलित है। किसानों पर गोलियां चलाकर उनके आन्दोलन को भाजपा सरकार द्वारा कुचलने का काम किया गया। कृषि आज घाटे का सौदा बन गई है जो कभी जीडीपी में 50 प्रतिषत का योगदान देने वाला किसान आज आत्महत्या के लिए मजबूर हो रहा है। अगले चुनाव में बीजेपी को हटाकर अपना दल को ताकत दें। सम्मेलन की अध्यक्षता अलखराम पटेल जिलाध्यक्ष ने की उक्त अवसर पर,आदि लोगों ने सम्बोधित किया।
श्रीमती पटेल ने कहा कि 04 नवम्बर 1995 को डा0 सोनेलाल पटेल जी अपना दल के गठन के पश्चात लौह पुरुष सरदार पटेल को आदर्श मानते हुए किसानों की तरक्की एवं खुशहाली के लिए किसान आयोग का गठन, कृषि को उद्योग का दर्जा, किसानों की अधिग्रहीत भूमि का बाजार भाव से मुआवजा, पशुपालन की समस्या, छोटी-छोटी नदियों को आपस में जोड़कर चेकडैम बनाकर बरसात के पानी को रोकना, 1860 के कृषि एक्ट में संशोधन तथा 1894 भूमि अधिग्रहण को समाप्त करके निःशुल्क बिजली पानी, कीटनाशक दवाएं, लागत मूल्य पर खाद, बीज, कृषियन्त्र उपलब्ध कराने जैसे किसानों की आवाज को उठाने का काम किया था। परन्तु 70 वर्षोँ पष्चात भी किसानों के लिए कोई मुकम्मल व्यवस्था नहीं बन सकी है। जिससे देष के 76 प्रतिशत किसान विकास की दौड़ से काफी पीछे छूट गये हैं। इसका जिम्मेदार कौन है और दूसरी तरफ केन्द्र व प्रदेश की सरकारों ने देश के खजाने का पैसा, पूंजीपतियों, उद्योगपतियों, बड़े-बड़े सेठ साहूकारों को लुटाने का काम किया है। यदि पिछले 10 वर्षों पर देखा जाय तो इन समूहों को केन्द्र सरकारों ने 42 लाख करोड़ रूपये कर की छूट तथा 2015 के बजट में मोदी सरकार ने 6 लाख करोड़ की राहत प्रदान की है। इसके साथ 10 हजार लाख करोड़ रूपया यह समूह बैंकों का दबाकर बैठे हैं। जिसके कारण 30 प्रतिशत किसान भुखमरी के कगार पर पहुंच गये। 10 प्रतिशत कर्ज में डूबे आत्महत्या की ओर अग्रसर, 20 प्रतिशत दैवीय आपदाओं की मार पिछले कई वर्षोँ से झेल रहे हैं। जिस देश के विकास का रास्ता 6 लाख गांवों से होकर गुजरना था। जिसकी कल्पना महात्मा गांधी ग्राम स्वराज के नाम किया करते थे पर आज की सरकारें 80 करोड़ किसानों के नाम की सरकारी योजनाएं पूंजीपतियों के नाम ट्रान्सफर कर रही है। ऐसी किसान विरोधी सरकारों को सत्ता से उतार कर फेंकने की जिम्मेदारी आप सबकी है।
किसान सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य प्रो0 गंगाराम यादव ने कहा कि उ0प्र0 कृषि व्यवसाय के क्षेत्र में 20 प्रतिशत कृषि उर्वरक जमीन और प्रदेशों की अपेक्षा सबसे अच्छी है। गन्ना, गेंहू, धान, दलहन जैसे फसलों तथा सब्जियां कृषि उत्पादक में चार चांद लगा रही हैं, पर सरकार की किसान विरोधी नीतियां एवं बिचैलियों के कारण पैदावार के हिसाब से किसानों को उचित रेट नहीं मिल पाता जिससे यह सेक्टर कृषि उत्पादकता के साथ-साथ रोजगार को भी प्रभावित कर रहा हैं।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य एवं प्रवक्ता एड0 आर0बी0 सिंह पटेल ने कहा कि जहां पर यह सम्मेलन हो रहा है इसी गांव ने आजादी के बाद पहला विधायक देकर समाज का गौरव बढ़ाया है, इस गांव के लोगों ने जो इतिहास रचा है उसे अपना दल पूरे प्रदेश में जाकर चर्चा करेगा। यहां के लोग धन्य हैं, जो किसान आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए जिम्मेदारी के साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा सामन्तवादी ताकतों, गुंडो, माफियाओं से डरने की जरूरत नही,मान-सम्मान-स्वाभिमान के लिये यदि हथियार उठाना पड़े तो किसानों को इसके लिए हिचकने की जरूरत नही कल का सबेरा आपका है। श्री पटेल ने कहा कि दल को बढ़ाने के लिए मिशन के रूप में काम करके गांव स्तर पर जाकर मजबूती प्रदान करना होगा। प्रत्येक बूथ में कमेटी गठन करना सुनिश्चित करना होगा। दल को गति देने के लिए 8 सितम्बर से किसान सम्मेलन विधानसभा स्तर पर लगाये गये है। प्रथम चरण में 16 जनपद लिए गये हैं। लगभग 30 विधानसभाओं का कार्यक्रम बना है। यह तैयारी आगामी आने वाले उपचुनाव और निकाय चुनाव में हमें ताकत प्रदान करेगी। कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष छोटेलाल मौर्य ने भी सम्बोधित करते हुए कहा कि जब तक देश का किसान खुशहाल नहीं होगा तब तक देश का विकास सम्भव नहीं है। केन्द्र सरकार ने किसानों से सम्बन्धित कृशि यन्त्रों, खाद, बीज और ट्रैक्टर पर जीएसटी लगाकर किसानों को उद्योगपतियों का गुलाम बनाना चाहती है और यही कारण है कि केन्द्र और प्रदेश सरकार की कृशि विरोधी नीति के कारण पूरे देश का किसान आन्दोलित है। किसानों पर गोलियां चलाकर उनके आन्दोलन को भाजपा सरकार द्वारा कुचलने का काम किया गया। कृषि आज घाटे का सौदा बन गई है जो कभी जीडीपी में 50 प्रतिषत का योगदान देने वाला किसान आज आत्महत्या के लिए मजबूर हो रहा है। अगले चुनाव में बीजेपी को हटाकर अपना दल को ताकत दें। सम्मेलन की अध्यक्षता अलखराम पटेल जिलाध्यक्ष ने की उक्त अवसर पर,आदि लोगों ने सम्बोधित किया।