अवैध संचालन में मुख्य चिकित्साधिकारी की भूमिका संदिग्ध
लखनऊ | वैसे तो राजधानी लखनऊ में सैकड़ों अवैध अस्पतालों का संचालन मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के भ्रष्ट अधिकारीयों की मिली भगत से हो रहा है जो जनता को अँधेरे में रखकर स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर उनसे अच्छी खासी मोटी रकम वसूलते है | जिन पर कभी कभी विशेष शिकायत होने पर कार्यवाही के नाम पर खाना पूर्ति कर सील कर दिया जाता है और बाद में मुख्य चिकित्सा अधिकारी की मिली भगत से उन्ही अस्पतालों को अवैध संचालन हेतु खुली छूट दे दी जाती है | परन्तु भ्रष्टाचार की सीमाएं तब पर हो गयी जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी की मिली भगत से एफ आई अस्पताल का पंजी करण निरस्त होने के वावजूद यह अस्पताल अवैध रूप से संचालित किया जाता रहा है | सूत्रानुसार उक्त अस्पताल की संचालिका श्रीमती कामिनी सिंह ने अपने एक शपथ पत्र देकर मुख्य चिकित्सा धिकारी से एफ आई हॉस्पिटल के पंजीकरण संख्या एच ओ एस /2920/06/340 को निरस्त कर एफ आई अस्पताल को बंद करने का अनुरोध किया था | परन्तु भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारीयों की मिली भगत के कारण उक्त अस्पताल का अवैध संचालन अवैध सचालक द्वारा होता रहा है तथा मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा कोई भी कारवाही नहीं की गयी | उक्त अवैध संचालन को लेकर आई जी आर एस पर भी शिकायत हुई परन्तु मुख्य चिकित्सा अधिकारी की मिली भगत के कारण कार्यवाही के नाम पर खाना पूर्ति करके पूरा मामला दबा दिया गया और एफ आई अस्पताल का अवैध संचालन होता रहा है | उक्त प्रकरण में श्रीमती कामिनी सिंह जो उक्त अस्पताल की सचालिका थीं ने उक्त अवैध संचालन की जिलाधिकारी से भी शिकायत की | जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने कार्यवाही करते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी लखनऊ से स्पष्टीकरण मांगा | मुख्या चकित्साधिकारी ने उक्त सम्बन्ध में क्या स्पष्टीकरण दिया यह उनके बयान लेने पर ही मालूम हो सकेगा जो हमारी आगामी खबर में स्पष्ट किया जायेगा | अब देखना यह है कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी उक्त अस्पताल के अवैध सचालकों के खिलाफ क्या कारवाही करते है ?