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पांच माह बाद भी अजीत के कातिल पुलिस की पकड़ से दूर

सिद्धार्थनगर। महज छब्बीस साल की रानी के पति अजीत की गत 17 दिसम्बर को हत्या कर दी गई। बांसी पुलिस ने महीना भर दौड़ाने के बावजूद मुकदमा नहीं लिखा। रानी ने कोर्ट से फरियाद कर मुकदमा दर्ज कराया तो अब पुलिस जांच की कौन कहे, आरोपियों से पूछताछ तक नहीं कर रही है। आखिर यह कैसा निजाम है जहां पति की हत्या पर इंसाफ मांग रही बेबस महिला के जज्बे का कत्ल करने से यहां की पुलिस नहीं हिचक रही। जिले के खेसरहा थाने के ग्राम बेलवा लगुनहीं के अजीत से ब्याही रानी का मायका इसी जिले के बांसी कोतवाली के गाम मधुकरपुर है। अजीत की पत्नी रानी अपने मायके में थी। गत १६ दिसम्बर को अजीत पत्नी रानी से मिलने मधुकरपर अपनी ससुराल पहुंचा। १७ दिसम्बर को उसके सुसराल के तीन साथी अजीत को अपने साथ ले गये, उसके बाद से उसका कुछ पता न चला। उन तीनों मित्रों में किसी ने कहा कि अजीत मुम्बई भाग गया। किसी ने कहा कि वह लोग दारू पी रहे थे। इसी दौरान पुलिस आई जिसे देख अजीत नदी में कूद गया और वह डुब कर मर गया। इस तरह की बातें देख रानी और उसके श्वसुर बाबूराम ने बांसी कोतवाली में इसका मुकदमा दर्ज कराने का अनेक प्रयास किया लेकिन मुकदमा नहीं लिखा गया। आखिर में रानी ने अदालत से इंसाफ मांगा। अदालत ने गांव के तीनों युवकों में कत्ल का मुकदमा लिखने का आदेश दिया। बांसी पुलिस ने मुकदमा लिखा, लेकिन जांच एक कदम आगे न बढाया। रानी का आरोप है कि पुलिस कातिलों से मिली हुई है। आज उसने पुलिस कप्तान से भी मिल कर अपनी शिकायत दर्ज कराई है। कप्तान ने उसे न्याय का भरोसा दिलाया है। रानी को पुलिस कप्तान न्याय दिला पायेंगे या नहीं, यह बाद की बात है। लेकिन पुलिस जिस प्रकार एक विधवा के जज्बे का मखौल उड़ा रही है उससे इस निजाम पर दाग लग रहा है। और यह सवाल भी उठ रहा है कि इस सरकार में पुलिस उसी पुराने ढर्रे पर चल रही है। बदलाव तो कहीं दिखता ही नहीं है।

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