ब्यूरो रिपोर्ट- प्रशांत तिवारी
हरदोई। विकाश खण्ड बावन के पकरी गांव 2 ऐसे गरीब परिवारों से जिनके पास रहने के लिये सिर्फ फटी हुई तिरपाल के अलावा कुछ भी नही है। तो दूसरे परिवार की हालत ठीक इन्ही की तरह है। पहले हरि है जोकि पेशे से किसान,मजदूर हैं। यह भूमि हीं हैं। बाहर लेबर मजदूरी करके घर की किसी तरह जीविका चलाते हैं। और इस लाकडाउन मे वो भी सब बंद हो गया। घर पर किसी तरह सिर्फ जीने के गांव में दूसरों की मेहनत मजदूरी कर घर परिवार का पेट पाल रहे हैं। दूसरा परिवार है बदनू पुत्र रामेश्वर इनकी भी मालिय हालत ठीक नही है। बद्नू ने बताया कि मेरे 5 लडकिया हैं और सबसे बड़ी लड़की 18 साल की होने को आई है,अब उसकी शादी भी करनी है अब इस गरीबी में मैं पता नही उसके हाथ पीले कर पाऊंगा या नही,कहते कहते बदनू की आखों में आँसू आ गये,बदनू ने बताया कि मेरे नाम 1 बीघे जमीन(खेत) है और वो भी कब्जे में नही।जबकि गांव में जो अपात्र हैं।उनको कालोनी बनवाई गई ,कई घर यैसे हैं जिनके पास पहले से पक्के मकान हैं फिर भी उन्हें दोबारा आवास दिए गये। हमने गांव का प्राधान हो या सदस्य या बीडीसी सदस्य सभी से हाथ जोड़कर निवेदन किया कि मुझे भी कोई मदद दिला दी जाए। आज तक कोई मदद नही मिली। अब सवाल यह उठता है क्या गाँव के प्रधान क्षेत्र के अधिकारी सिर्फ कागजी देखरेख करते हैं।उन्हें जमीनी हकीकत से कोई लेना देना नही।आखिर ये गरीब इन्शान अपने 5-5 बच्चों की शादी किस तरह करेगा। सबका साथ सबका विकाश बोलने वाले नेता और उनके पदाधिकारी भी इस बात से कोई मतलब नही रखते जो 4 दिन पहले वोटिंग आते समय छीकने पर भी हाल पूछा करते थे। देखना है क्या इन दोंनो गरीब परिवार वालों की किसी तरह कोई मदद हो सकती है क्या या फिर कोई समाज सेवी इनकी हालत पर मदद करेगा…? क्योकि इन दोनों लोगों का नेताओं से विस्वास उठ चुका है । गांव में बहुत से अपात्र हैं। जिन्हें मकान मिला हुआ है। और जो पात्र है उन्हें नही,क्या घर घर जाने वाले अधिकारी ,सर्वे करने वाले अधिकारी इस तरह के परिवारों के बारे में शाशन,प्रशासन कोई जानकारी नही देते …? गांव की दोनो तस्वीरें आज आपके सामने जिनका आज मैने सीधे उदाहरण पेश किया है। अब देखना यह है कि कोई राजनैतिक दल या समाजसेवी संस्थाएं समाजसेवक लोग क्या करते हैं।