संवाददाता सत्यपाल सिंह
सिधौली-सीतापुर | विश्व मृदा दिवस के शुभ अवसर पर मृदा स्वास्थ्य में गिरावट के कारण एवं सुधारात्मक उपाय के प्रति जागरूक करने एवं रबी की फसलों की अद्यतन जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से कृषि विज्ञान केन्द्र, अम्बरपुर, सीतापुर द्वारा बरबटपुर गांव में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें किसानो को खेती-किसानी के साथ- साथ कृषि आय बढ़ाने की तकनीकों की अद्यतन जानकारी भी प्रदान की गयी। केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ0 विनोद कुमार सिंह ने ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुये पौंधो के विकास हेतु आवश्यक पोषक तत्वों के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला तथा किसानों को सलाह दी कि अपने खेत की मिट्टी का परीक्षण अवश्य करायें एवं मृदा स्वास्थ्य कार्ड की संस्तुति के अनुसार ही खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग करें जिससे फसलों की उत्पादन लागत में कमी आयेगी तथा गुणवत्तायुक्त उत्पादन एवं आय मे वृद्धि होगी। डॉ सिंह ने कहा कि फसलों के अवशेष प्रबंधन का मृदा स्वास्थ्य के सुधार में बहुत बड़ा योगदान है अतः किसान भाई फसलों के अवशेष को जलाकर नष्ट न करें, इसको मिट्टी में ही सड़ा दें। रबी फसलों की आधुनिक खेती पर जानकारी प्रदान करते हुए बताया कि किसान भाई अपनी खेती मे पूरी लागत लगाते हैं एवं भरपूर मेहनत करते हैं परंतु वांछित लाभ नही प्राप्त कर पाते हैं। अतः तकनीकी बिंदुओं पर ध्यान देकर किसान भाई खेती की लागत को कम कर सकते हैं साथ ही साथ गुणवत्तायुक्त उत्पादन में वृद्धि करते हुए अधिक लाभ प्राप्त कर अपने सामाजिक एवं आर्थिक स्तर को ऊंचा उठा सकते हैं। डॉ0 सिंह ने एकीकृत कृषि प्रणाली की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि किसान भाई एवं ग्रामीण नवयुवक – नवयुवतियां खेती के साथ-साथ स्वरोजगारपरक व्यवसाय जैसे मधुमक्खी पालन, मशरूम उत्पादन, फलों एवं सब्जियों मे मूल्य सम्बर्धन, मोमबत्ती उत्पादन, सिलाई-कढ़ाई, वर्मी कम्पोस्ट, नर्सरी, बीज उत्पादन, पशुपालन, मत्स्य पालन, कुक्कुट पालन आदि अपनाकर अपनी आय बढ़ा सकते हैं।
डॉ0 उमेश कुमार सिंह ने मृदा नमूना एकत्रीकरण, परीक्षण, मृदा स्वास्थ्य सुधारात्मक उपाय, फसलों में पोषक तत्व प्रबन्धन एवं मृदा स्वास्थ्य कार्ड के महत्व, मृदा स्वास्थ्य कार्ड की संस्तुति के अनुसार खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग करने पर विस्तार से जानकारी प्रदान की तथा पराली न जलाने की सलाह दी।