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सीतापुर समाचार 12/12/2018

मुख्य सेविकाओं की आजादी में सीडीपीओ की लापरवाही जिम्मेदार
सीतापुर । उत्तर प्रदेश सरकार किस शक्ति की कवायद जिस तरीके से समूचे उत्तर प्रदेश में दिखाई पड़ रही है और अधिकारियों और कर्मचारियों में उसका खौफ दिख रहा है पर बाल विकास विभाग इससे अलग ही नजरिया पेश कर रहा है क्योंकि इसमें ऐसा नहीं लग रहा है कि कहीं पर भी उत्तर प्रदेश सरकार और योगी नेतृत्व का खौफ नजर आ रहा हो बल्कि यहां पर लापरवाही ही लापरवाही देखने को मिल रही है और इस लापरवाही में बहुत हद तक विभागीय अनदेखी तो नजर आ ही रही है साथ में विभाग जुड़े हुए विकास खंड स्तरीय ओहदेदार अधिकारी की लापरवाही भी सामने आ रही है कहने का मतलब साफ समझा जा सकता है कि तात्पर्य है कि सीडीपीओ स्तर से भी लापरवाही जमकर हो रही है और यह लापरवाही ही विभागीय अनदेखी का जमकर साथ निभा रही है क्योंकि अगर विकास खंड स्तरीय बाल विकास परियोजना अधिकारी अपनी सख्ती मुख्य सेविकाओं के ऊपर लगाम की तरीके से लगा दे तो ऐसा कतई संभव नहीं है कि वह किसी भी प्रकार की कोताही करें और विभाग के प्रति लापरवाही करें जिससे कि सरकारी योजनाओं के संचालन में बाधा आए लेकिन यह अधिकारी ही अपने में ही मशरूफ हैं क्योंकि जो स्वयं ही विकास खंड स्तर पर अपना निवास नहीं बनाए हुए और अपना कार्य सही तरीके से दायित्वों का निर्वाहन नहीं कर रहे हैं वह किसी के ऊपर किस तरीके से लगाम लगाएंगे क्यों की उंगलियां उनके ऊपर पहले उठेगी जिससे यह कयास लगाया जा सकता है की उत्तर प्रदेश सरकार का आदेश महज एक कागज का टुकड़ा ही बनकर रह जाएगा और इनके लिए प्रभावी कितना होगा यह आज भी हर खंड क्षेत्र परियोजना में देखा जा सकता है सीतापुर की हर खंड क्षेत्र परियोजना का लगभग इसी तरीके का यही हाल है कहीं भी कोई मुख्य सेविका और बाल विकास परियोजना अधिकारी अपने खंड स्तर या मुख्य सेविकाए अपने क्षेत्रों निवास कर रही हो जिससे कि है आदेश किसी भी तरीके से कहीं पर भी प्रभावी देखा गया हो लगभग हर खंड क्षेत्र का यही हाल काफी पुराना है बताते चलें कि जानकारों का भी यह मानना है कि यह कोई नया आदेश नहीं है काफी पुराना आदेश को पुनः आदेशित किया गया है क्योंकि सरकार को भी यह कहीं ना कहीं लगता अवश्य है कि विभाग में तैनात कर्मचारी अपने उत्तरदायित्व का सही तरीके से पालन नहीं कर रहे जिससे कि उनको इस तरीके के कड़े फैसले लेने पर रहे है लेकिन फैसला तभी सही और प्रभावी माना जाएगा जब इसका पालन भी उसी तरीके से कराया जाए कहने का स्पष्ट नजरिया है कि सख्ती से अनुपालन कराया जाए क्योंकि यह कोई आम आदेश नहीं है उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव स्तर का फरमान है जो सभी के लिए सर्वमान्य होना चाहिए लेकिन कहीं पर भी ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा है कि यह सही है और इसका सही तरीके से पालन किया जा रहा है साफ देखा जा सकता है जिससे की स्थिति साफ स्पष्ट हो रही है जो की स्थिति संतोषजनक नहीं कही जा सकती और इससे साफ जाहिर हो रहा है कि विभागीय अनदेखी के साथ साथ इसमें बाल विकास परियोजना अधिकारियों की भी मिलीभगत को नकारा नहीं जा सकता क्योंकि अगर उनकी सख्त रवैया हो तो ऐसा होना कतई भी बर्दाश्त के बाहर होगा लेकिन जब स्वयं ही नियमों की अनदेखी करना और गैर जिम्मेदारी पूर्ण काम करना स्वयं बाल विकास परियोजना अधिकारी ही शामिल है तो फिर विभाग में अनियमितताओं की भरमार होना लाजमी और इस पर लगाम लगाई जाना कतई संभव नहीं हो पाएगा जिसे ऐसा देखा जा रहा है कि सरकार का नियम और कानून उनके लिए महज एक कागदी आदेश है और इसके अतिरिक्त उनके लिए उनके ऊपर कोई फर्क डालने जैसा नहीं लगता है जब तक इसमें सरकार का सख्त रवैया शामिल नहीं होता कहने का अर्थ साफ है कि इस पर सख्त नीति प्रशासनिक स्तर से नहीं होती जिससे कि बाल विकास परियोजना अधिकारियों की निगरानी की जाए और देखा जाए कि आखिर ऐसा करने में वह क्यों असमर्थ हैं जिससे कि कोई भी अपने क्षेत्र में निवास नहीं कर रहा है और यह तभी संभव है जब या तो विभाग में बैठे जनपद के उच्चाधिकारी इस पर कोई नई रणनीति बनाई या फिर प्रशासनिक स्तर से कोई प्रतिक्रिया हो जिससे कि इन पर लगाम लगाई जाए और यह मामला सुधर सके और समझ में आ सके लेकिन यह तब तक होना असंभव लगता है जब तक कि इसकी आंतरिक स्तर से जांच ना हो जाए जिससे विभाग में फैली हुई जानकारियां निकल कर सामने आए और उसके बाद कोई कार्यवाही की जाए तब जाकर कहीं व्यवस्था सुधर सकती है और इस व्यवस्था को सुधारने का जिम्मा जिनके कंधों पर है उनको इसके लिए आगे आना होगा तभी जाकर कहीं व्यवस्था में सुधार हो सकेगा…जारी।
कौड़ियों के मोल तो नही बिक गया बेसकीमती फूलपुर का जंगल
सीतापुर। सरकारों में हुए घोटालेबाजो पर अब जनता का आरोप लग रहा है जनता स्पष्ट कर रही है की कहीं ऐसा ना हो जाए कि वर्तमान सरकार में भी ओहदा पाए अधिकारी फिर किसी नए घोटाले की संरचना न कर रहे हो और यह सरकार के लिए भी सिरदर्द बन सकती है क्योंकि कभी-कभी कोई घपला छुप जाता है लेकिन कभी कोई किया हुआ घपला सामने आ ही जाती है यह अलग की बात है कि समय अधिक लग जाए लेकिन घोटाला छुपाए नहीं छुपता है उस पर चाहे जितनी ही मिट्टी क्यों नहीं डाल दी जाए वह सामने आ ही जाता है अधिकारी अपनी मनमानी के चलते कुछ भी करें लेकिन जनता उसको सामने लाने के लिए भरकर प्रयास कर देती है और वह मामला अधिकारियों के लिए एक चुनौती बन जाता है जो भ्रष्टाचार उन्होंने किया है लेकिन मिटाने के प्रयास भी हुए हैं लेकिन जनता इस पर अगर दृष्टि बनाए हुए तो वह उनका किया हुआ भ्रष्टाचार उनके लिए बहुत बड़ी समस्या बन सकता है लेकिन बात तो तब और बड़ी हो जाती है जब पूर्ववर्ती सरकार का किया हुआ घोटाला उजागर होता है और देखा यह जाता है कि वर्तमान सरकार में भी वह अधिकारी अपने ओहदे पर कायम है और उन पर किसी भी प्रकार की कोई जांच होती नजर नहीं आती है यह कह लीजिए मामला दबा हुआ सा लगता है ऐसा ही एक मामला पूर्व में भी हो चुका है कहने का अर्थ है कि पिछली सरकार जो समाजवादी पार्टी की उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ थी उसके समय में एक बहुत बड़ा घोटाला जिसकी कीमत आंकी जा रही है लगभग 50 लाख का हुआ था यह मामला जंगल नीलामी से जुड़ा हुआ है जो ग्राम सभा स्तर से जंगल की नीलामी हुई देखने से पता चलता है कि आज तक उस जंगल नीलामी की हिस्सेदारी का पैसा ग्राम सभा तक पहुंचा ही नहीं है जबकि जंगल नीलामी को काफी वक्त बीत चुका है2014-2015 सत्र के बीच में इसकी नीलामी हुई थी उसके बाद सरकार बदली और भारतीय जनता पार्टी की योगी नेतृत्व की सरकार उत्तर प्रदेश में बनी लेकिन देखने से यह भी पता चलता है की आज भी विभाग के सक्षम अधिकारी भी यह नहीं बता पा रहे हैं कि आखिर जंगल की नीलामी कितने की हुई? और जंगल की हिस्सेदारी से जो ग्राम सभा को पैसा मिलना चाहिए था विकास कार्यों के लिए आज तक ग्राम सभा क्यों नहीं पहुंचा? आखिर यह कैसे हो सकता है कि विभाग को ही इस विषय की कोई जानकारी न हो, मामला तहसील सिधौली के विकासखंड कस्मंडा की ग्राम पंचायत फूलपुर से संबंधित यहां पर जंगल का नीलामी करन हुआ था और बताया जाता है कि काफी बड़ा जंगल था लेकिन नीलामी के बाद क्या हुआ इसका पैसा अब तक ग्राम सभा की विकास निधि को नहीं पहुंचा इस बात पर आज भी सवाल बना हुआ है लोगों का यह मानना है कि अधिकारी मिलकर डकार गए और ऐसा तो नहीं हो गया कि लाखों का जंगल कौड़ियों के भाव दिखा कर बाकी का पैसा घोटाले की मार्फत डकार लिया गया जिससे कि इसकी जांच कराने के लिए अब ग्रामीण लामबंद है और उनका कहना है कि जिला अधिकारी इसको अपने संज्ञान में लें और इस पर विस्तृत जांच कराई जाए जिससे कि यह भी पता लग सके कि आखिर वह कौन से अधिकारी थे जिनके समय में यह घोटाला हुआ और अगर घोटाला नहीं हुआ है तो ग्राम पंचायत स्तर पर अब तक विकास निधि का पैसा क्यों नहीं पहुंचा इसका खुलासा हो सके और यह मालूम पड़ सके कि कोई घोटाला हुआ भी है या फिर केवल मालूम ही पड़ता है क्योंकि जंगल की रकम काफी महंगी बताई जा रही 50 लाख रुपए की और यह कोई आम रकम नहीं है काफी बड़ी रकम है जिसमें घोटालेबाज अधिकारी मालामाल हो गए होंगे जब यह सबके सामने मामला है और बार-बार यह उठ रहा है तो इस पर जांच करना आवश्यक बनता है क्योंकि यह कोई आम मामला नहीं है राजस्व का मामला है और जिस तरीके से उत्तर प्रदेश सरकार की कवायद पूरे उत्तर प्रदेश में विकास कराने से संबंधित है उस पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करती है साथ में ग्रामीणों का कहना है कि ऐसा तो नहीं घोटालेबाज अधिकारियों को बचाया जा रहा है अगर घोटाला नहीं हुआ है तो उस पर कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही है अगर सभी का दामन साफ है और अधिकारी बेदाग है तो उनके ऊपर कार्यवाही बनती ही नहीं है तो इस पर कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है और ग्राम सभा को उसका पैसा क्यों नहीं नसीब हो रहा है जो कभी उसी की जमीन पर लगा हुआ जंगल था आज उसी के जंगल की हिस्सेदारी ग्रामसभा फूलपुर को नहीं मिल रही है आखिर इतनी कोताही क्यों की जा रही है अगर सब कुछ सही है तो उसके कागजात खंगालने पर भी नहीं मिल पा रहे यहां तक की वन विभाग के क्षेत्राधिकारी बी के आनंद भी इस बारे में जानकारी नहीं दे पाए उनके पास सिर्फ इतनी ही बात पता चल सकी है की वृक्षारोपण पर एक लाख 27 हजार और प्रबंधन शुल्क 22,500 ही बन विभाग के खाते में है बाकी इस से जुड़ा कोई दस्तावेज की जानकारी उनको नहीं जब इस तरीके से अधिकारी बता रहे हैं तो इसमें संदेह हो रहा है अब इस पर आगे की कार्यवाही कोई होएगी या फिर मामला ऐसे ही जस के तस बना रहेगा और वर्तमान सरकार में भी अगर घोटाला हुआ है तो वह अधिकारी बने रहेंगे जिन्होंने घोटाला किया है जनता का यह मानना कि अगर घोटाला हुआ है तो वह अधिकारी फिर से किसी नए घोटाले की ताक में कोई नया घोटाला कर सकते हैं जो सरकार के लिए सिर दर्द बन सकती है जिससे अब इस प्रकरण की जांच उच्चस्तरीय कराने के लिए जिला प्रशासन स्तर से ग्रामीणों ने मांग की गई है अभिलंब इसकी जांच कर मामला सामने लाया जाए जिससे कि यह पता चल सके कि आखिर कोई घोटाला हुआ भी है या सिर्फ घोटाला होने की बातें ही चल रही है।
सफेदहाथी साबित हो रहे ग्रामसभाओं में बने सचिवालय
मिश्रिख-सीतापुर । इकहत्तर ग्राम पंचायतों वाले स्थानीय ब्लाक में बीते एक दशक पहले बसपा शासन काल के दौरान शासकीय योजना के तहत निर्मित कराए गए ग्राम सचिवालय सफेद हाथी सिद्ध होकर निष्प्रयोजन साबित हो रहे हैं। प्रशासनिक उपेक्षा के चलते इनके वजूद का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है। बताते चलें कि ब्लाक इलाके की ग्राम पंचायतों में विकास योजनाओं से जुड़े अधिकारी आम जन को एक ही छत के नीचे सुलभ हो सकें जिससे विभिन्न विभागों के अधिकारियों, कर्मचारियों को ढूंढने और आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए लोगों को अनावश्यक भाग दौड़ न करनी पड़े, के लिए पंचायतों में मिनी सचिवालय बनवाए गए थे। इसमें क्रमशःक्षेत्रीय लेखपाल, एएनएम, ग्राम पंचायत अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी, संग्रह अमीन, सहित , सिंचाई,नलकूप आदि की अन्य विभागों के अधिकारियों तथा कर्मचारियों को एक छत के नीचे मिलने की मुहिम को अमली जामा पहनाया जाना सुनिश्चित होना था। लेकिन रात गई बात गई वाली तर्ज पर यह महत्त्वाकांक्षी योजना फ्लाप हो गई।भवन चोर उचक्कों,जुवारियो सहित अपराधियों का अड्डा बनकर रह गए हैं। गौरतलब हो कि ब्लाक के इलाके में कुल अडतालीस जगहों पर लाखों रुपयों की लागत से बनवाकर खड़े किए गए थे जो आज भी अपने उद्देश्यों से काफी दूर है।भवन में लगे पंखे,पानी की टंकियां,टुल्लू तो सम्बन्धित ग्राम प्रधानों के निजी प्रयोगों में आगए बिल्डिंग के दरवाजे, खिड़की,भी गायब हो गए हैं।देखरेख के अभाव में जर्जरित हो रहे भवन अपना वजूद खोने के कगार पर पहुंच गए हैं। ग्राम पंचायत सरसई में स्थापित मिनी सचिवालय को लेकर गांव के उमाकांत, शैलेन्द्र,सूरज कुमार, संजय ने बताया कि जब सचिवालय का निर्माण हुआ था तो यह उम्मीद जगी थी कि अब छोटे छोटे कामों के लिए ब्लाक और तहसील के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे लेकिन सारे अरमान धरे के धरे रह गए।
पुलिस कप्तान की परेशानी का सबब न बन जाए पीआरओ
सीतापुर । सीतापुर में नए पुलिस कप्तान एलआर कुमार का आगमन हुआ है क्योंकि बताते चलें कि पूर्व तेज तर्रार पुलिस कप्तान प्रभाकर चैधरी को भरोसा जताते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बनाकर बुलंदशहर तबादला कर दिया है जिससे नए पुलिस कप्तान एलआर कुमार को सीतापुर की कमान सौंपी गई है लेकिन जिस तरीके से पीआरओ की कार्यशैली सीतापुर में है वह कहीं ऐसा ना हो जाए कि पुलिस कप्तान को परेशानी का सबब बन जाए क्योंकि बताया जाता है की पीआरओ जिस तरीके का रवैया अपनाए हुए हैं वह महकमे के लिए सही नहीं है पी आर ओ का रवैया जिस तरीके से गत दिवस देखा गया वह कप्तान के लिए एक नई समस्या खड़ी कर सकती है क्योंकि बताया जाता है कि पीआरओ सीतापुर का यह रुख काफी अहम माना जा रहा है कि वह किसी भी बात को छिपाने का काम करते हैं और आधी बात बताई जाती है और आधी बात नहीं बताई जाती है जो कि पुलिस कप्तान के लिए एक बड़ी समस्या खड़ी कर सकती है क्योंकि पुलिस कप्तान को ही जब आधी बात नहीं बताई जाएगी तो महकमे में किस तरीके से कामकाज होंगे यह अहम बात है और पीआरओ और पुलिस कप्तान पुलिस के बीच की एक बहुत बड़ी कड़ी है जो पुलिस अधीक्षक सीतापुर को सीतापुर पुलिस से जोड़ती है क्योंकि पीआरओ ही वह शख्स होता है जो सही और सटीक जानकारी पुलिस अधीक्षक को उपलब्ध कराता है कि कौन सा कार्य करना चाहिए कौन सा नहीं और कौन सा व्यक्ति किस प्रकार की छवि रखता है जिससे की दूरी बनाई रखी जाए लेकिन जिस तरह से पीआरओ काम कर रहे हैं कि अपने ही चहेतों के लिए वह यारों की गद्दी का इस्तेमाल कर रहे हैं कहने का मतलब है कि पीआरओ एक काफी बड़ा खुदा होता है पुलिस महकमे का जो पुलिस अधीक्षक से सीधे जुड़ा हुआ होता है लेकिन अपने चहेतों को किसी कार्यवस पुलिस अधीक्षक की आवश्यकता अनुसार खड़े करना जबकि चाहतों के अतिरिक्त और भी कई ऐसे होते हैं जोकि अपने क्षेत्र में महारत हासिल किए हुए हैं लेकिन पीआरओ की कार्यशैली जिस तरह की है वह उन्होंने पहले दिन ही पुलिस अधीक्षक के पीसी के दौरान जाहिर कर दिया है कि वह अपने चहेतों को ही किसी काम को करने के लिए आगे करेंगे जो महकमे के लिए भी नुकसानदायक सिद्ध हो सकती है क्योंकि यह भी बताते चलें की महक में में बहुत से वरिष्ठ होंगे जो पीआरओ से नहीं बनती होगी और अगर कोई आवश्यकता यह कार्य सही जानकारी के लिए पुलिस अधीक्षक को पड़ जाए तो पीआरओ तो वही कार्य करेंगे जो करते आए या कह लीजिए जो कप्तान के आने पर पहले दिन ही उन्होंने कर दिखाया है जिससे की महत्व की उपलब्धियां तो बहुत सी है लेकिन पी आर ओ का यह कार्य जिस तरीके का है वह सही नहीं है और पीआरओ इस तरीके का यही रवैया अगर महकमे के लिए अपनाएंगे और पुलिस अधीक्षक को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि अब यह जगजाहिर हो चुका है पीआरओ अपने चहेतों को ही आगे करने के लिए पूरा भर कस प्रयास करेंगे और महकमे के अन्य अधिकारी और कर्मचारियों की अनदेखी भी हो सकती है जिससे कि पीआरओ का यह कार जो देखा गया है वह सही नहीं कहा जा सकता है और पुलिस अधीक्षक सीतापुर को इस पर एक विचार करना होगा कि पीआरओ आखिर उनको सही जानकारी दे रहे हैं या नहीं उसके लिए उनको अपने अन्य मातहतों से भी इस बारे में सलाह लेनी होगी क्योंकि पीआरओ का तरीका जो देखा गया है वह आगे कप्तान के ऊपर भारी पड़ता हुआ नजर आ सकता।
सुशील यादव के अध्याय से जुड़ा एक और अध्याय सचिव अभिषेक शाहू पर भी लगा घोटालों का आरोप
विकास खण्ड खैराबाद में नही रूक रहा गबन घोटालों का सिलसिला
सीतापुर। विकास खण्ड खैराबाद की ग्रामपंचायतों पर बतौर ग्रामपंचायत अधिकारी की हैसियत से तैनात अधिकारियों द्वारा किये जा रहे घोटालों की एक के बाद एक चर्चाएं हो रही है। इसके पीछे मुछे मुख्य कारण यही बताया जा रहा है कि सीतापुर में अगर अधिकारियों का तैनाती स्थल पर रूकने सम्बन्धी जारी किया गया शासनादेश का अगर सक्ती से पालन करवा दिया जाये और हर अधिकारी अपने तैनाती स्थल पर रूक जाये तो घोटालों पर एक सीमा पर अंकुश लगाया जा सकता है। सूत्रों की माने तो कुछ ग्राम पंचायत अधिकारी राजधानी में रहते है तो अन्य जिला मुख्यालय पर अपना आवास बनाये हुए है। इन सभी ग्रामपंचायत अधिकारियेां का वेतन तो राजधानी व जिला मुख्यालय से तैनाती स्थल तथा दावते वलिमा में उड़ जाता है। कोई भी अधिकारी अपने वेतन से तो इस तरह का खर्च नही करेगा इस कारण वह योजनाओं में ही अपनी आमदनी का जरिया खोजता है। हर पात्र में स्वयं या प्रधान को जरिया बनाकर वह अधिकारी वूसली कर रहे है। जब एक अधिकरी वसूली करता है तो उस वसूली की रकम में कई अधिकारियों का हिस्सा लगता हैं इन हिस्सों में प्रधान से लेकर जेई तक शामिल हेाता हैं। अभी तक विकास खण्ड खैराबाद की ग्राम पंचायत मिर्जापुर, मलुही सरैया, जमैयतपुर, धरैंचा, टकपुर जो ग्राम पंचायत अधिकारी सुशील यादव देखते थे यह ग्रामसभाएं चर्चाओं के दौर से गुजर रही थी। सचिव सुशील य ादव पर आरोप लगाया जा रहा है कि वह स्वयं अथवा प्रधान के मार्फत योजनाओं को अपनी आमदनी का जरिया बनाये हुए है। इन योजनाओं का लाभ पात्रों मिलना केवल कागजी लिखा पढ़ी में ही दिखाई देता है बाकी येाजनाओं का बंदर बांट किया जा रहा है। यह चर्चा अभी समाप्त भी नही हो पायी थी कि घोटालो की दुनियां से एक और नाम जुड़ गया है। इस बार ग्राम पंचायत अधिकारी अभषेक शाहू का नाम जुड़ा हैं। सूत्रों द्वारा दावा किया जा रहा है कि ग्राम पंचायत अधिकारी अभषेक शाहू खैराबाद विकास खण्ड की ग्रामसभा टिकरिया, हाताकप्तान, परसोहिया, तराबरपुर केसरिया तथा रायपुर देख रहे हैं। सुशील की देखा दूनी में अभिषेक शाहू भी आवास और शौचालय जैसी अति महत्वूपर्ण योजनाओं को अपनी आमदनी का जरिया बना लिया हैं। अधिकारियों द्वारा ध्यान नही दिया जा रहा हैं जिसके चलते यह अधिकारी अपनी जेबों का वजन तौलने में जुटे हुए है।
सीएससी कसमंडा पर सुरक्षित मातृत्व अभियान का आयोजन
सीतापुर। भारत सरकार द्वारा दिनांक 12दिसंबर2018 को देश भर में सुरक्षित मातृत्व अभियान आयोजन किया गया है जिसके अन्तर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कसमंडा में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान मनाया गया जिसमें गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य परीक्षण डाक्टर नीता द्वारा किया गया एवं वंदना वर्मा द्वारा खून की जांच की गई और काफी महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध कराई गई और बताया गया कि गर्भवती यों को अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए वह इसलिए कि गर्भवती से एक बच्चा जुड़ा होता है जो बच्चा उसी के ऊपर निर्भर करता है और उसका स्वास्थ्य सही रहेगा तभी बच्चे को पूरा पालन पोषण में सकेगा क्योंकि गर्भ के दौरान बच्चे का पालन पोषण गर्भवती महिला के हाथ में होता है और उन्होंने यह भी गर्भवती महिलाओं को बताया दैनिक खाद्य आहार का विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि इससे ही बच्चे की गर्भ में पोषण की स्थिति जुड़ी होती है और इस पर ध्यान देना आवश्यक होता है जिसके लिए प्रतिदिन सही तरीके से खाद्य पदार्थ खाने चाहिए और कई बार खाना खाना चाहिए जिससे कि बच्चे को भी काफी पोषण मिलता है और बच्चा स्वस्थ बना रहता है और जो भी खाना खाएं उसके साथ कम से कम एक फल का भी आहार करें जो भी उनको स्वास्थ्य वर्धक बनाएगा और जो विशेष ध्यान देना होता है हिमोग्लोबिन का उसके लिए भी उपाय बताए गए की हरी सब्जियों की मात्रा अधिक बढ़ाएं जिससे खाने में हरी सब्जी की मात्रा बढ़ाने से हीमोग्लोबिन बढ़ने के आसार होते हैं और इनसे हिमोग्लोबिन में काफी सुधार आता है जिससे गर्भवती महिलाओं में खून की कमी का जो प्रभाव होता है वह नहीं बन पाता है और वह स्वस्थ बनी रहती हैं इसमें बच्चे को भी स्वस्थ बनाने के लिए हिमोग्लोबिन पर विशेष ध्यान देना चाहिए महिलाओं में प्रसव के दौरान हीमोग्लोबिन की कमी अक्सर डॉक्टरों को खलती और महिलाओं को भी इससे खासा परेशानियां होती हैं जिससे कभी कभी मृत्यु भी हो जाती इसके लिए हीमोग्लोबिन की मात्रा पहले से ही बढ़ाने के उपाय डॉक्टर समझाते हैं और उनको ही फॉलो करना होता है जिससे कि गर्भवती महिला में हीमोग्लोबिन की कोई कमी ना आए और वह स्वस्थ बनी रहे जिससे कि जच्चा और बच्चा प्रसव के दौरान बिना कमी के ठीक-ठाक प्रसव हो सके और इसी के साथ-साथ डाक्टर सुनील कुमार द्वारा सभी गर्भवती महिलाओं को फल वितरण किया गया इस मौके पर अधीक्षक डाक्टर अरविंद बाजपेई ने कहा कि जो कमियां गर्भवती में होती उसका विशेष ध्यान दिया जाता है जिसके लिए यह भारत सरकार का कार्यक्रम है और उस पर सभी को यह संकेत दिया जा रहा है कि आखिरकार प्रसव में कौन-कौन सी कमी आती है जिससे कि गर्भवती में कुछ आगे समस्या का सामना ना करना पड़े जानकारियां उपलब्ध कराई जा रही हैं वहीं सीएचसी तेजतर्रार डाक्टर वसीर्मुरहमान जोकि सीएचसी के जाने-माने और पहचाने डॉक्टरों में गिने जाते हैं और इन को सीएचसी के डॉक्टरों में मसीहा समझा जाता है कहा जाता है कि डॉक्टर साहब अपने समय के पाबंद है और लेकिन मरीजों के सामने वह अपने समय का भी ध्यान नहीं देते और बखूबी अपने दायित्वों और कर्तव्यों का निर्वाहन करते हैं उनके साथ भी बातचीत की गई तो बताया कि यह प्रोग्राम भारत सरकार की स्कीम से जुड़ा हुआ है जिसके तहत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कस्मंडा में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान मनाया जा रहा है और इसके लिए सभी को जागरूक करने की भी एक भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वपूर्ण पहल है जिससे कि मरीजों में एक जागरूकता का संचार हो और गर्भवती महिलाएं जो अस्पताल में प्रसव कराने से कभी दूर भागा करती थी आज सीएचसी के कामकाज खासा प्रभावित है और सभी यही चाहते हैं कि हमारा प्रसव अस्पताल में ही कराया जाए और इसके संबंध में भी जानकारियां दी जा रही हैं की गर्भवती महिला अपने स्वास्थ्य का पूर्ण ध्यान रखें और उसे प्रसव के कालीन कोई समस्याएं न झेलनी पड़ें इस अवसर पर डाक्टर साकेत,उमेश कुमार यादव सहित सीएचसी स्टाफ आदि उपस्थित रहे।
शासन के आदेश व डीएम के सपनों पर पानी फेर रहे मोइन व हिमांशू
प्रधान प्रतिनिधि मोइन तथा सचिव हिमांशू पर लगा शौचालय का पैसा निकालने का आरोप
लहरपुर देहात -सीतापुर। केन्द्र सरकार द्वारा चलाई गयी योजना स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामसभाओं में बन रहे शौयालयों को लेकर शासन गम्भीर है वही डीएम का भी सपना है कि शौचालय निर्माण के मामले में सीतापुर नम्बर एक पर रहे और योजना का लाभ पात्रों का इ्रमानदारी के साथ मिले लेकिन ग्रामसभा शेरपुर में डीएम के सपनों को तार तार करके शौचालय निर्माण मंे धांधली की जा रही है। योजना के तहत हर पात्र व्यक्ति को बारह हजार रूपये शौचालय निर्माण के नाम पर मिलने चाहिए लेकिन प्रधान प्रतिनिधि मोइन तथा सचिव हिमांशू द्वारा प्रति पात्र व्यक्ति को साढे नौ हजार रूपये ही दिये जा रहे हैं। इस तरह से प्रति शौचालय में ढाई हजार रूपये का खेल खेला जा रहा है। जबकि योजना का क्रियान्वयन ईमानदारी के साथहो इसके लिये जिलाधिकारी द्वारा आये दिन बैठको का आयोजन किया जा रहा है इसके बाद भी इस तरहसे आवास योजना को आमदनी का जरिया बनाया जा रहा है। गौरतलब हो कि विकास खण्ड लहरुपर के अन्तर्गत पड़ने वाली ग्रामसभा सुप्पा पुरवा शेरपुर के प्रधान प्रतिनिधि मोइन खान तथा पंचायत सेक्रेटरी हिमांशू दीक्षित पर शौचालय बनवाने के नाम पर रूपये निकालवाने का सनसनी खेज आरोप लगा है। शौचालय योजना में मोइन द्वारा ढाई हजार रूपये बतौर मेहनताने के नाम पर लिये जाने का आरोप पात्रों द्वारा लगाया जा रहा है। जबकि शोैचालय निर्माण को लेकर जिलाधिकारी स्वयं चिन्तित है इसके बाद भी हिमांशू दीक्षित जैसे सचिव तथा मोइन प्रधान प्रतिनिधि जैसे लोग अपनी हरकतों से बाज नही आ रहे है। सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार ग्रामवासियों को शौचालय बनाने के नाम पर 9500 रुपये ही दिए जबकि प्रधान प्रतिनिधि द्वारा पूरा पैसा लाभार्थियों से निकाल लिया गया ।शेरपुर के ग्राम सुप्पा पुरवा के निवासी हुकुम सिंह पुत्र गिरधारा सिंह बताते हैं हमको प्रधान प्रतिनिधि मोइन खान ने 9500 रुपये ही दिए थे हमने अपने शौचालय में लगभग 12 हजार रुपये लगा दिए हैं मोइन खान द्वारा हमको 2500 रुपये कम दिए गए हैं जो सरकार द्वारा मिलते हैं इसी प्रकार लगभग पूरी ग्रामसभा में लोगो के साथ यही हुआ है कुछ लोगो के शौचालय तो ठेकेदार द्वारा द्वारा बनवाते है पर जो पैसा लाभार्थी को 9500 रुपया मिला है यही पैसों में शौचालय घटिया किस्म के मटेरियल द्वारा बनाया जाता है।
मेला मैदान बना खनन माफियाओं की मण्डी
मिश्रिख सीतापुर। तहसील मुख्यालय पर मेला मैदान में बने रैन बसेरा के पास खनन माफियाओं द्वारा मौरंग लदे ओवरलोड ट्रकों की मण्डी बना दी गई है प्रशासन की उदासीनता के चलते बगैर लाइसेंस के रोजाना दर्जनो ट्रकों की मौरंग की बिक्री जारी है।बताते चलें शासन के निर्देश के बावजूद भी वाहनों की ओवरलोडिंग पर कोई प्रतिबंध नहीं लग पा रहा है साथ ही मेला मैदान में लगने वाली साप्ताहिक बाजार स्थल पर बगैर लाइसेंस के मौरंग बिक्री करने वाले खनन माफियाओं ने ट्रकों के खड़े होने का स्थान चयनित कर रखा है जहां देर रात में ओवरलोड मौरंग लदे ट्रक आकर खड़े हो जाते हैं जिनसे टपकाने वाले पानी से मेला मैदान पूरी तरह कीचड़ में तब्दील हो गया है जिससे बाजार में खरीद-फरोख्त के लिए आनेवाले लोगों को घोर परेशानियों का शिकार होना पड़ रहा है। विडम्बना तो इस बात की है तमाम नियम निर्देशों के वावजूद भी प्रशासन इनकी आमदरफ्त पर अंकुश लगाने में नाकाम साबित हो रहा है।इस मामले में एसडीएम राजीव पाण्डेय से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा मेरे संज्ञान में यह बात नहीं है पहले सीतापुर हरदोई मार्ग पर ट्रकों से मौरंग का कारोबार होता था जिसके विरुद्ध एआरटीओ के माध्यम से कार्रवाई कराई गई थी अब अवैध कारोबारियों ने रैन बसेरा के पीछे मेला मैदान में अपना जाल फैलाया है जिसके विरुद्ध मैं कड़ी कार्यवाही शीघ्र ही अमल में लाऊंगा। ओवरलोड वाहनों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही के निर्देश भी शासन द्वारा निर्गत है शासन की प्राथमिकता ही हमारी प्राथमिकता है।
कांग्रेसियों में दौड़ी खुशी की लहर
रामपुर मथुरा-सीतापुर। सीतापुर जिले के ब्लाक रामपुर मथुरा में कांग्रेस पार्टी के ब्लॉक अध्यक्ष जकी अहमद ने पार्टी के कार्यकर्ताओं को बुलाकर एक मीटिंग की जिसमें राजस्थान मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी की भारी जीत को लेकर राहुल गांधी सोनिया गांधी को बधाई दी खुशी का इजहार करते हुए लड्डुओं का वितरण किया और पार्टी को मजबूत करने के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर सभी लोगों को तन मन धन से लग जाने को कहा जिसमें शेष कुमार मुन्ना प्रधान शहीद प्रधान नसीम मंसूरी श्यामलाल मुबाशिर आदि लोगों ने कांग्रेस पार्टी की जीत को लेकर खुशी का इजहार किया
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