हरिओम
कानपुर नगर । भारतीय दलित पैंथर व अन्य सामाजिक संगठनो द्वारा शिक्षक पार्क परेड में भीमा कोरे गोव की 201वीं जयनती शौर्य दिवस पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया जिमसें अध्यक्ष पेंथर धनीराम बौ0 ने कहा 1 जनवरी 1818 को भीमा कोरेगांव में अंग्रेजों की सेना ने पेशवा बाजीराव द्विवेदी के सैनिको को हराया था तब इतिहासकारो के अनुसार महारों की संख्या लगभग 500 थी, असलिए दलित समुदाय इस युद्ध को ब्राम्हणवादी सत्ता के खिलाफ जंग मानता है।
स्चिव एडवोकेट विजय सागर ने कहा भीमा कोरे गांव युद्ध जो बाजीराव द्वितीय व अंग्रेजो के बीच लडा0 गया वह अंग्रेजों की विजय के साथ महारो, दलितों के शौर्य का प्रतीक है। महारो को बाजीराव द्वितीय ने यह कहकर अपनी सेना में शामिल करने से मना कर दिया कि उनकी सेना में ब्राम्हण सैनिक है और तुम लोग अनु0 जाति महार समाज के हो और महारो का अपमान किया। कहा बाबा साहब जब तक जीवित रहे वह हर वर्ष 1 जनवरी को भीमा कोरे गांव जोते थे और महारो के इस विजय को शौर्य दिवस के रूप में मनाते थे। कहा जब भी दलितों को मौका मिला तब तब दलितों ने अपनी कलम व तलवारों से विजय गाथा लिखी। इस अवसर पर प्रो0 सुभाष, राम औतार, हीरालाला, प्रो0 राजेश गौतम, प्रेमी बौद्ध, राजेन्द्र कुमारी, जेआर बौद्ध, राधेश्याम, सुशील गौतम, राम प्रसाद रसीक, शुभम कटियार, राहुल गौतम, विजय सागर आदि मौजूद रहे।