अम्बिकानन्द त्रिपाठी
अयाेध्या | आखिर वही बात हुई, जिसके कयास दाे दिन पहले से ही लगाए जा रहे थे। श्रीरामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण की मांग काे लेकर विगत सात दिनाें से आमरण-अनशन कर रहे तपस्वी छावनी के उत्तराधिकारी महन्त परमहंसदास काे प्रशासन ने रविवार की रात लगभग 11.30 बजे जबरन उठवा लिया। लखनऊ से मुख्यमंत्री याेगी आदित्यनाथ के दूत बनकर आए जिले के प्रभारी मंत्री की रविवार काे अनशनरत महन्त से वार्ता विफल हाेने के बाद। देर रात्रि जिला प्रशासन ने परमहंसदास काे जबरदस्ती उठवा लिया, जिससे अयाेध्या के साधु-संताें व रामभक्ताें में बहुत ही राेष व्याप्त है। हुआ यूं कि रविवार की रात लगभग 9 बजे जिले के प्रभारी मंत्री सतीश महाना महन्त का अनशन ताेड़वाने अनशन स्थल पर पहुंचे। जहां उनकी महन्त परमहंसदास से लगभग आधे घण्टे तक वार्ता-लाप हुई, जिसमें मंत्री ने साेमवार काे सीएम याेगी की बात महन्त से कराने काे कही और इससे महन्त मान भी गए। इतना कहकर श्री महाना वहां से चले गए। इससे पहले अनशन स्थल पुलिस छावनी में तब्दील हाे चुका था। इतने में देखा जाता है कि जैसे ही रात्रि के लगभग 11.30 बजते है। तभी वहां जिस जगह पर परमहंसदास अपना अासन लगाकर आमरण-अनशन पर बैठे हैं। उस जगह एक एम्बुलेंस रूकती है। उसमें से चार-पांच व्यक्ति उतरते है और जाेर-जबरदस्ती कर अनशन कर रहे महन्त काे टांगकर उसमें लाद देते हैं। जब तक वहां माैजूद महन्त के समर्थक कुछ समझ पाते। तब तक वह एम्बुलेंस वहां से नाै, दाे, ग्यारह हाे चुकी हाेती है, जिसके पीछे वज्र वाहन समेत अधिकारियाें की दर्जनाें गाड़ियां लगी हाेती हैं। फिलहाल अभी तक महन्त का कुछ पता नही चल सका। प्रशासन उन्हें कहां ले गया है। इस सम्बंध में काेई अधिकारी बताने काे भी नही तैयार है। प्रत्यक्षदर्शियों की मानें ताे अनशनकारी महन्त परमहंस काे रामघाट चौराहे से फैजाबाद बाईपास की तरफ ले जाते हुए देखा गया है।