मिल्कीपुर-फैजाबाद(आरएनएस)। योगी सरकार द्वारा व्यवस्था परिवर्तन के उद्देश्य से कई कड़क फैसले लिये गये लेकिन इन फैसलों को जमीन पर उतारने का काम करने वाले सरकारी अधिकारी कर्मचारियों की कार्य प्रणाली में कोई फर्क पड़ता नही दिख रहा है क्योकि मुख्यमंत्री के बूचड़खानों को बंद करने के सबसे चार्चित फैसले को वास्तविक रूप से अमलीजामा नही पहनाया जा सका। गौरतलब हो कि भाजपा सरकार वजूद में आते ही अपने चुनावी संकल्प पत्र में लिए गये संकल्पों को लागू करने के क्रम में सर्वप्रथम अबैध बूचड़खानों को बंद कराये जाने का फरमान जारी किया इस आदेश को लागू करने के लिए जिले के आलाधिकारी तथा थानों को पुलिस तो दो चार दिन तो सक्रिय रही और तमाम गैर लाइसेंसी मांस विक्रेताओं की दुकानें बंद तो करा दी गयी कुछ दिन बीत जाने के बाद एक बार फिर कई स्थानों पर सड़कों के किनारे पूर्व की तरह छोटे पशुओं का बध कर मांस बिक्री का काम शुरू हो गया है। इस स्थिति को देखकर लोग कहने को मजबूर हो रहे है कि लगता है पिछली सरकारों की तरह ही इस सरकार के आदेश भी घोषणाओं तक ही सीमित रहेगी इतना ही नही पुलिस बिभाग में भी कुछ खास बदलाव देखने को नही मिल रहा है सभी काम पूर्व सरकार की भांति ही चल रहे है फर्क मात्र इतना ही पड़ा है कि जो काम पहले खुलेआम होते थे अब वे काम गुप्त रूप से किये जा रहे है। इसके बावजूद लोग अभी काफी आशान्वित है कि आने वाले दिनो में मुख्यमंत्री के घोषणाओं का सच क्या जमीनी स्तर पर भी देखने को मिलेगा। कुमारगंज कस्बा के गिरजा मोड़ पर अभी भी अबैध मांस की दुकाने चल रही है इन अबैध मीट की दुकानों पर प्रशासन की निगाहे नही जा रही है।