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जिले में 12 जुलाई से चलेगा फ़ाइलेरिया उन्मूलन अभियान

आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर खिलाएँगी दवा
लखीमपुर। जनपद में 12 जुलाई से राष्ट्रीय फ़ाइलेरिया उन्मूलन अभियान शुरू हो रहा है जो 25 जुलाई तक चलेगा। इसके तहत आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर–घर जाकर लोगों को फाइलेरिया की दवा (आइवरमेक्टिन, एल्बेंडाजोल और डाईइथाइलकार्बामजीन) का सेवन कराएंगी। यह दवाएं फाइलेरिया के परजीवियों को तो मारती ही हैं साथ में पेट के अन्य कीड़ों , खुजली और जूं के खात्मे में भी मदद करती हैं। इसलिए सभी लोग इस दवा का सेवन करें ताकि वह इस बीमारी से बच सकें। दो साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और गंभीर रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को इन दवाओं का सेवन नहीं करना है। दवा को चबाकर खाना है। यह जानकारी राष्ट्रीय वेक्टर जनित नियत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एवं अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. अश्विनी कुमार ने दी।
डॉ. अश्विनी ने कहा कि मरते हुए परजीवियों के प्रतिक्रिया स्वरूप कभी-कभी दवा का सेवन करने के बाद सिर में दर्द, शरीर में दर्द, बुखार, उल्टी तथा बदन पर चकत्ते एवं खुजली देखने को मिलती है लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है। यह लक्षण आमतौर पर स्वतः ठीक हो जाते हैं। उन्होंने कहा- फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला संक्रामक रोग है, जिसे सामान्यतः हाथी पाँव के नाम से भी जाना जाता है। फाइलेरिया की मुख्यतः चार अवस्थाएं होती हैं | पहली और दूसरी अवस्था में यदि इलाज हो जाता है तो फाइलेरिया पूरी तरह से ठीक हो जाता है लेकिन इलाज में देरी अर्थात तीसरी और चौथी अवस्था का फाईलेरिया ठीक नहीं होता है।
मच्छर जब किसी फाइलेरिया ग्रसित व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के परजीवी जिन्हें हम माइक्रो फाइलेरिया कहते हैं, वह मच्छर के रक्त में पहुँच जाता है और यही मच्छर जब किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के परजीवी स्वस्थ व्यक्ति के रक्त में पहुँच कर उसे संक्रमित कर देते हैं।
प्रारम्भिक लक्षण:
-कई दिनों तक रुक-रुक कर बुखार आना
शरीर में दर्द
लिम्फ नोड (लसिका ग्रंथियों) में सूजन जिसके कारण हाथ ,पैरों में सूजन( हाथी पाँव)
पुरुषों में अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसील) और महिलाओं में ब्रेस्ट में सूजन
पहली अवस्था में पैरों की सूजन दिन में रहती है लेकिन रात में आराम करने पर कम हो जाती है।
किसी भी व्यक्ति को संक्रमण के पश्चात् बीमारी होने में पांच से 15 वर्ष लग सकते हैं। यदि हम इन लक्षणों को पहचान लें और समय से जांच कराकर इलाज करें तो हम इस बीमारी से बच सकते हैं। फाइलेरिया की जाँच रात के समय होती है। जांच के लिए रक्त की स्लाइड रात में बनायी जाती है क्योंकि इसके परजीवी दिन के समय रक्त में सुप्तावस्था में होते हैं और रात के समय सक्रिय हो जाते हैं।
तीन सालों तक लगातार साल में एक बार दवा का सेवन करने से इन बीमारी से बचा जा सकता है।
मच्छर गन्दी जगह पर पनपते हैं। इसलिए हमें अपने घर और आस-पास मच्छरजनित परिस्थितियां नहीं उत्पन्न करनी चाहिए| साफ़ सफाई रखें, फुल आस्तीन के कपड़े पहनें , मच्छरदानी का उपयोग करें, मच्छररोधी क्रीम लगायें और दरवाज़ों और खिड़कियों में जाली का उपयोग करें ताकि मच्छर घर में न प्रवेश करें। रुके हुए पानी में कैरोसिन छिड़ककर मच्छरों को पनपने से रोकें।

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