नही बदली पुल सूरत आज भी वैसे के वैसे पड़ा पुल,चुनाव की जीत मुद्दा खत्म वाह रे नेता
लखीमपुर खीरी। जिंदगी जीने के कई रास्ते होते है और हर रास्ते का कोई न कोई मकसद होता है। हम में से बहुत से लोग इन्ही रास्ते में से कोई एक रास्ता चुनते है और सफल होकर आगे निकलते है।
इन्ही रास्तों में एक रास्ता जाता है राजनीति की और जिसमे कुछ तो अपनी नेक प्रणाली व विकासशीलता का परचम लहरते हुए सफल नेता बनते है तो कुछ झूठ, मक्कारी व सिर्फ और सिर्फ अपनी जेब झांकने वाले नीच व गिरे हुए नेताओ में सुमार हो जाते है।आज हम बात करेंगे एक ऐसे मुद्दे की जो शायद ही अब कभी हल हो। इस मुद्दे पर पता नही कितने सफेद खादीधारी पोशाक चुनाव जीतकर जनता की वोटों को ठग कर चले गए और जनता को मिली तो सिर्फ बेवफाई।जी हाँ हम बात कर रहे जनपद लखीमपुर खीरी का सबसे बहुचर्चित मुद्दा पचपेड़ी घाट का पुल जो पिछले काफी सालों से हर नेता को निहारता आ रहा है कि कोई इस मुद्दे पर पूर्णविराम लगाए। बताते चलें कि जनपद खीरी की तहसील निघासन से महज कुछ दूरी पर स्थित पचपेड़ी घाट जहाँ पुल निर्माण से मुख्यालय की दूरी भी काफी कम हो जाएगी जिससे क्षेत्रवासियों को मुख्यालय जाने के किये काफी सहूलियत होगी। यह मार्ग निघासन होते हुए दुधवा को भी जोड़ता है। इस पुल के बनने से सबसे ज्यादा सहूलियत सम्पूर्ण क्षेत्र निघासन को होगी। जब केंद्र में सरकार कांग्रेस की थी और राज्य में समाजवादी पार्टी की सरकार थी तो लोगों ने यह उम्मीद लगाई थी की यदि केंद्र व राज्य दोनों में एक ही पार्टी की सरकार हो तो शायद इस पुल का निर्माण सम्भव है। क्योंकि कई बार तो नेताओं ने चुनाव जीतने के लिए इस पुल निर्माण के लिए कुछ सामान जैसे सरिया, गिट्टी, मौरंग आदि पचपेड़ी घाट पर गिरवा दिया और चुनाव जीतने के बाद सामान को उठवा भी लिया मगर इस पचपेड़ी घाट पुल का निर्माण शुरू न हो सका एक समय ऐसा भी आ गया कि केंद्र के साथ राज्य में भी सरकार एक थी बीजेपी की तो लोगों की कुछ उम्मीद जागी थी कि शायद अब इस पर सरकार विचार करेगी मगर केंद्र व राज्य में भी सरकार होने के बावजूद क्षेत्रवासियों को सिर्फ निराशा ही मिली। अब तो इस पुल निर्माण के लिए कोई बात तक नही करता यहाँ तक अगर कोई बात करता भी है तो उसे मात्र मजाक ही समझा जाता है। ऐसा लगता है कि निघासन क्षेत्रवासियों के लिए यह पुल निर्माण मात्र एक सपना ही बचा है जिसे न जाने कब कौन सरकार व नेता पूरा करे।