कानपुर। शहर की हवा इतनी ज्यादा खराब हो चुकी है कि सांस लेना तक मुश्किल हो गया है। इस हवा में घुले छोटे-छोटे कण सांस की नली के जरिए शरीर में घुलकर बॉडी को अंदर से खराब कर रहे हैं। इससे नाक और गले में जलन व बदन दर्द की शिकायत मिल रही है। कई लोग प्रदूषण के चलते बुखार की चपेट में भी आ चुके हैं। हैलट की ओपीडी में इस तरह के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। डॉक्टरों के मुताबिक प्रदूषण का असर ज्यादा होने पर नाक और गले का संक्रमण भी हो रहा है। मौसम में तापमान का उतार चढ़ाव प्रदूषण को बढ़ावा दे रहा है। हैलट के मेडिसिन विभाग के डॉ. सौरभ अग्रवाल का कहना है कि सुबह और शाम को ठंड बढ़ जाती है। जिससे पीएम २.५ और इससे छोटे माइक्रोन के आकार के प्रदूषण वाले कण जमीन की सतह के आसपास ही रहते हैं। यही कण शरीर में जाकर खून में घुल जाते हैं और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम करते हैं। इससे दमा के मरीजों को ज्यादा परेशानी होती है। आजकल सुबह और शाम को ठंड ज्यादा है तो बाहर निकलने से बचें क्योंकि इस समय प्रदूषण ज्यादा होता है। रात को ठंड अधिक होती है और दिन में गर्मी। ऐसे में रात को पूरे-मोटे कपड़े पहनें। लक्षण दिखें तो तरल पदार्थ की मात्रा बढ़ा दें और बुखार होने पर पैरासिटामोल ही लें। डेंगू होने का संदेह हो तो डॉक्टर से परामर्श जरूर लें । अगर खराश या गले, कान आंख में संक्रमण के लक्षण बढ़ते हैं तो डॉक्टर की सलाह से एंटी एलर्जिक दवा ले सकते हैं। गर्म पानी से भाप लेने से भी ये लक्षण दूर हो सकते हैं। तापमान में अचानक बदलाव से दमा के मरीजों को ज्यादा दिक्कत हो सकती हैं, ऐसे में वे सतर्क रहें।