Home > अवध क्षेत्र > मास्क लगाना क्यो है जरूरी, स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा चिकित्सा कार्य के दौरान पहना जाने वाला एक प्रकार का व्यक्तिगत सुरक्षा साधन होता है

मास्क लगाना क्यो है जरूरी, स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा चिकित्सा कार्य के दौरान पहना जाने वाला एक प्रकार का व्यक्तिगत सुरक्षा साधन होता है

कानपुर। सर्जिकल मास्क जिसे चिकित्सा में उपयोग किया जाने वाला मास्क भी कह सकते हैं, स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा चिकित्सा कार्य के दौरान पहना जाने वाला एक प्रकार का व्यक्तिगत सुरक्षा साधन होता है। यह मरीज के द्वारा फैलने वाले रोगजनकों को हवा के द्वारा फैलने से रोकता है। जिसमें मुख्य रूप से जीवाणु और विषाणु शामिल हैं, जो नाक और मुंह से निकलने वाले ड्रॉपलेट्स और एरोसोल को दूसरे व्यक्ति तक जाने से या दूसरे व्यक्ति से पहने वाले व्यक्ति के पास आने से रोकने का कार्य करता है।

सर्जिकल मास्क उसके रूप के अनुसार हवा में उपस्थित कफ, छींक या कुछ ऐरोसॉल के किसी बहुत ही छोटे कण को छानने के लिए नहीं बनाया गया है। इसके अलावा सर्जिकल मास्क किटाणुओं या अन्य छोटे विषाणुओं से पूर्ण सुरक्षा प्रदान नहीं करते हैं, खास कर क्योंकि मास्क और चेहरे के बीच काफी खाली जगह छूटा रहता है, जिससे पूरी तरह सुरक्षा प्राप्त नहीं हो पाती है।

ऐसे मास्क एक बार इस्तेमाल करने के बाद फेंकने के लिए बनाए जाते हैं, जो मुख्य रूप से नाक और मुंह से निकलने वाले ड्रॉपलेट्स को रोकने के काम आते हैं। यह अच्छी तरह पहना जाये तो काफी हद तक बड़े ड्रॉपलेट्स जिनमें जीवाणु या विषाणु रहते हैं, को रोकने में सक्षम है और पहनने वाली व्यक्ति और अन्य लोगों को भी सुरक्षा प्रदान करते हैं। इसके अलावा मास्क पहनने वाले व्यक्ति को ये मास्क ये भी याद दिलाते रहते हैं कि वे अपने हाथों से अपने नाक और मुंह को न छूएँ, जिससे विषाणुओं को चीजों या अन्य सतहों में फैलने से रोक लेती है। एक अध्ययन में पता चला था कि एक अच्छा फ़िल्टर वाला मास्क भी 80-100% मामलों में OSHA- स्वीकृत गुणात्मक फिट परीक्षण में विफल साबित हुआ। इस परीक्षण में पाया गया कि इसमें लीक होने का प्रतिशत 12–25% तक था।

सर्जिकल मास्क और रेस्पिरेटर मास्क (जैसे N95 आदि) के बीच भ्रमित न हों। रेस्पिरेटर मास्क का इस्तेमाल बहुत ही छोटे कणों को रोकने के लिए बनाया जाता है, बल्कि सर्जिकल मास्क का इस्तेमाल पहनने वालों को बचाने के लिए नहीं, बल्कि मरीजों के सर्जरी के दौरान उनके घाव में या सर्जरी वाले स्थान में कोई जीवाणु या किटाणु न आ जाये, इसके लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। हालांकि सर्जिकल मास्क भी फ़िल्टर करने की क्षमता रखता है, जो इसे बनाने वाले कंपनियों के ऊपर निर्भर करता है। कुछ कंपनियों के मास्क 10% तो कुछ के 90% तक कणों को फ़िल्टर करने में सक्षम है।

स्वास्थ्यकर्मी
सर्जिकल मास्क का निर्माण चिकित्सकों द्वारा सर्जरी और कुछ चिकित्सा से जुड़े कार्यों के दौरान उपयोग में लाये जाने के लिए बनाया गया है, जिससे पहनने वाले अथवा उसके आसपास के लोगों के मुंह और नाक से निकलने वाले ड्रॉपलेट्स और एरोसोल मास्क में ही रह जाये और किसी को भी इससे संक्रमण न हो। इसके पर्याप्त सबूत मिले हैं कि इस तरह के मास्क पहनने से संक्रमण अन्य चिकित्सकों एवं आम जनता को संक्रमित होने से बचाने में प्रभावी है। हालांकि कोकरेन के समीक्षा के अनुसार इसके कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं कि साफ सर्जरी के बाद जख्म से होने वाले संक्रमण को रोकने में यह प्रभावी है।

स्वास्थ्यकर्मियों को सर्जिकल मास्क पहनने, उपयोग करने, निकालने एवं नष्ट करने का अभ्यास कराया जाता है। सुरक्षा दिशानिर्देशों के अनुसार उन्हें चेहरे में अच्छी तरह फिट आने वाले और परीक्षण किए गए N95 या FFP3 मास्क पहनने बोला जाता है। जिससे वे संक्रमण फैलाने वाले एरोसोल और तरल ड्रॉपलेट्स से स्वयं को बचा सकें।

आम जनता
आमतौर पर घर में या बाहर किसी तरह के मास्क पहनने की सिफ़ारिश नहीं की जाती है, पर लोगों को संक्रमित या बीमार लोगों से दूरी बनाए रखने और हाथ अच्छी तरह साफ रखने को कहा जाता है। पूर्वी एशियाई देशों में सार्वजनिक जगहों में मास्क पहनना काफी सामान्य बात है और ये साल के बारह महीने देखने को मिल जाता है। चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और ताइवान जैसे देश हवा से फैलने वाले बीमारियों को अपने और दूसरों को होने से रोकने के लिए आमतौर पर मास्क पहने रहते हैं। इससे वे हवा में उपस्थित वायु प्रदूषण के कारण उत्पन्न धूल से बच जाते हैं और आसानी से सांस भी ले पाते हैं।

जापान और ताइवान में आप फ्लू के फैलने वाले मौसम में सभी को मास्क लगाए देख सकते हैं, जो ये दिखाता है कि वे अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों का सही से पालन करते हैं। फैलने वाले बीमारियों से ये मास्क काफी सुरक्षा प्रदान करते हैं और उससे सुधार किए मास्क भी लगभग आधी सुरक्षा तो प्रदान कर ही देते हैं।

दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में धुंध और प्रदूषण के बढ़ते मामलों को देखते हुए मास्क का उपयोग भारत, नेपाल और थायलैंड के सभी प्रमुख शहरों में उपयोग किया जा रहा है। इसके अलावा इंडोनेशिया, मलेशिया और सिंगापूर में दक्षिण पूर्व एशियाई धुंध के मौसम में भी इसका इस्तेमाल देखने को मिलता है। हवा को छानने वाले सर्जिकल मास्क की मांग एशिया में काफी अधिक है, जिसके कारण कंपनियाँ भी ऐसे मास्क के साथ साथ कुछ सुंदर दिखने वाले मास्क भी बाजार में ला रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *