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जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में लहराया भाजपा का परचम सपा के राजू दिवाकर को मिले महज 5 वोट

कानपुर। जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव को लेकर सुबह से मतदान चल रहा था। कानपुर नगर के 32 जिला पंचायत सदस्य वाली सीट पर बीजेपी की स्वप्निल वरुण ने जीत दर्ज की है। यहां समाजवादी पार्टी के राजू दिवाकर महज 5 वोट तो वरूण को 25 मत मिले हैं। जबकि दो पंचायत सदस्यों के मत अवैध घोषित किए गए। उधर देहात की सीट पर भी कमल का फूल खिला है। यहां से बीजेपी समर्थित निर्दलीय नीरज रानी ने सपा के वर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष राम सिंह यादव को हराकर अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा किया है।
महज 5 वोट मिले
32 सदस्यीय कानपुर सीट में सीधा मुकाबला बीजेपी और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के बीच था। नामांकन के बाद से लोगों को उम्मीद थी कि मुकाबला तगड़ा होगा। शनिवार को मतदान के बाद जब मतों की गिनती शुरू हुई तो बीजेपी उम्मीदवार स्वप्निल वरुण ने शुरूआत से बढ़त बना ली। उन्हें 32 में से 25 मत मिले, वहीं सपा के उम्मीदवार को महज 5 वोट के साथ ही 2 मत अवैध घोषित किए गए।
कौन हैं स्वप्निल वरुण
पूर्व कैबिनेट मंत्री स्व. कमलरानी वरूड़ की बेटी स्वप्निल वरुण को बीजेपी ने टिकट देकर चुनाव के मैदान में उतारा था। आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी के रणनीतिकारों की नजर इस सीट पर थी। खुद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह कानपुर का दौरा कर स्वप्निल वरुण के पक्ष में महौल बना कर गए थे। जानकारों का कहना है कि बीजेपी की इस जीत से दो जिलों की कुल 14 विधानसभाओं पर सीधा प्रभाव पड़ेगा।
निर्दलीय उम्मीदवार जीतीं
कानपुर देहात में मुकाबला सपा के राम सिंह यादव और बीजेपी समर्थित निर्दलीय नीरज रानी के बीच था। वहीं सपा के राम सिंह यादव की बात करे तो वह निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष थे। वहीं निर्दलीय उम्मीदवार नीरज रानी की बात करें तो वह बीजेपी सांसद देवेंद्र सिंह भोले के भाई की पत्नी हैं। उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन भरा था। नीरज रानी को बीजेपी के कई नेताओं का समर्थन मिला हुआ था।
जीत के लिए 17 की थी जरूरत
कानपुर देहात में कुल 32 सदस्य थे। जीत के लिए 17 मतों की जरूरत थी। बीजेपी के पास 4, समाजवादी पार्टी के पास 11, बीएसपी के 6 और 11 निर्दलीय सदस्य थे। कानपुर देहात के पंचायत सदस्यों का गणित बताता था कि यहां किसी भी दल के पास बहुमत नहीं है। ऐसे में जीत हार का फैसला निर्दलीय के हाथ में था और अधिकतर बीजेपी के साथ खड़े पाए गए।

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