कानपुर नगर | डीएवी महाविधालय के वाणिज्य विभाग द्वारा शताब्दी वर्ष समारोह श्रृंखला के अंतर्गत औधोगिक सुस्ती का मानव संसाधन पर प्रभाव विषय पर एक व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि व वक्ता प्रो0 डा0 आरसी कटियार, पूर्व कुलपति छात्रपति साहूजी महाराज वि0वि उपस्थित रहे। डा0 कटिया मानव संसाधन लेखांकन विशेषज्ञ ने बताया कि भारतीय अर्थव्यवस्था में व्याप्त सुस्ती गहराती जा रही है जो आर्थिक मंदी में बदल रही है, जिसके कारण अंर्तराष्ट्रीय संस्थाओं ने आर्थिक मंदी होने के संकेत देते हुए भारत की आर्थिक वृ0ि के अनुमान महत्वपूर्ण स्तर तक घटा दिया है।डा0 कटियार ने कहा यह विडंबना है कि एक व्यावसायिक ईकाई के आर्थिक चिट्ठे में भूमि तथा मशीन जैसी सुसुप्त संम्पत्तियों का मूल्य तो प्रदश्ज्र्ञित किया जाता है पर मानव संसाधन जैसी मूल्यवान और क्रियाशील सम्पतित का कोई मूल्य प्रदर्शित किया जाता। बताया प्रत्येक मानव संसाधन का मूल्य निर्धारित हो जाने पर छंटनी या बैठकी के निर्णय लेने में आसानी होती है। इसके आभाव में एक महत्वपूर्ण मानव सम्पत्ति को खो कर एक औधेागिक इकाई अपने भविष्य को खराब कर सकती है। कहा मानव संसाधन की गुणवत्ता, ना कि मशीनरी तथा भवन की गुणवत्ता, एक औधोगिक संस्था के भविष्य तथा लाभदायकता को निर्धारित करती है। संस्था में काम करने वाले मनुष्यों की कुशलता, कार्यदक्षता, उत्पादकता तथा सर्मपण भावना ही संस्था की वास्तवित पूंूजी होती है। इन गुणों से युक्त मनुष्यों वाली व्यापारिक संस्था कठिन से कठिन आर्थिक स्थिति को आसानी से पार कर सकती है। वाणिज्य संकाय के वरिष्ठ शिक्षक एंव पूर्व डीन फैकल्टी आॅफ कामर्स डा0 नवनीत कुमार बाजपेई ने व्याख्यान के विषय की सम सामयिकता पर प्रकाश डाला। प्रचार्य डा0 अमित श्रीवासतव ने अतिथियों का स्वागत किया इस अवसर पर डा0 सुनील गुप्ता, डा0 इन्द्र निर्मल, डा0 सुधांशु चमनजी, डा0 अजय स्वरूप, डा0 समीर सक्सेना, डा0 नीलम अग्रवाल, डा0 एके जैन, डा0 अमित गुप्ता आदि शिक्षकों, शोधार्थियों के अलावा विधार्थी उपस्थित रहे।