कुछ कथित अधिकरियों द्वारा प्रशासन को किया जा रहा बदनाम
निघासन खीरी
एक तरफ जहां प्रशासन द्वारा टैगिंग की हुई गायों का पालन पोषण करने के लिए मुआवजा दिये जाने की बात भी हो रही है। पर उसको भी दर किनार रखकर *ग्राम पंचायत बरोठा* में अब तो लोग टैगिंग की हुई गायों को भी खुलेआम छोड़ा जा रहा है। एक तरफ जहां किसान पहले से ही गायों को लेकर इतना परेशान हो चुका है। अब वही दूसरी तरफ टैगिंग की हुई भी गायों को खुले आम छोड़कर लोग मजा देख रहे है। ये लोग भी यही के है। कोई बाहरी आ के ये काम नही करता है। पर उनको इस बात का कोई फर्क पड़ता है।ये दर्द उस किसान से पूछो जो दिन रात अपने खेतो में पड़ा रहता है। उनको क्या परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। आखिरकार इन टैगिंग की हुई गायों पर क्यों नहीं हो रही कार्यवाही आखिरकार ये गाये कहाँ की है कोई गौशालाओ की है। या फिर किसी के नाम पर ली गयी है। जब तक गाय दूध देने लायक होती है। तब तक उनका दूध खाया जाता है।और जैसे ही उनका दूध काम होता है।और जब उनको खिलाने का वक्त आता है। तो उनको खुलेआम लावारिसो की तरह छोड़ दिया जाता है। आदमी कितना स्वार्थी हो गया है। दर बदर बे जुबान जानवरों को घूमने छोड़ देता है। आखिरकार उनका क्या दोष दोषी खुले आम घूम रहा है।जब तक प्रशासन द्वारा इन व्यक्ति पर कार्यवाही नहीं होगी। तब तक यह मामला ऐसे ही चलता रहेगा। लोगो के मन से मोनो भय ही खत्म हो गया है।बस एक बार प्रशासन द्वारा सख्त कार्यवाही हो जाये। तो एक भी गाय खुलेआम नही घूमेंगी। जो जिसकी होगी वो ढूँढ़ कर स्वंय ही बांध लेगा किसी को कुछ कहने की जरूरत ही नही होगी ।और अगर ऐसा नही होता है।तो एक दिन पूरे क्षेत्र में किसानों की फसलों का खात्मा हो जायेगा।जबकि सरकार द्वारा इनको पालन पोषण करने के लिए पैसे व कई उपलब्धियां कराई भी जा रही हैं। फिर भी उनको क्यों खुलेआम छोड़ा जा रहा है। जिलाधिकारी महोदय इस मामले पर आप विशेष ध्यान दीजिए। जिससे किसानो को कुछ हद तक राहत मिल सके।