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सिटी मजिस्ट्रेट को लेना होगा संज्ञान तभी मिलेगा पीड़ित को इंसाफ

सत्यम नगर मामला, अधिकारियों को होगा समझना
सीतापुर। सत्यम नगर मामला जिस तरीके से अब पेचीदा होता चला जा रहा है उससे किसी बड़े अपराध की आहट की आशंका होने लगी जबकि मामला काफी पेचीदा है और काफी महीनों से विवादित बताया जा रहा है इस पर अभी तक किसी प्रकार का संज्ञान नहीं लिया गया है अगर लिया गया होता तो इस तरीके से जैसा दिखाई पड़ रहा है वैसा नजर नहीं आता जिससे अब सिटी मजिस्ट्रेट सीतापुर को मामले की पेचीदगी को समझते हुए इस पर स्वयं संज्ञान लेना होगा और इस पर स्वयं के माध्यम से ही कार्यवाही करनी होगी क्योंकि मामला जिस तरीके से लग रहा है वह सही नहीं लग रहा है और इससे बड़ा खतरा भी सामने आ सकता है शांति भंग जैसी आशंकाएं उत्पन्न हो रही है विपक्षियों के स्तर से बवाला खड़ा किया जा रहा है जिससे किसी भी समय कभी भी बड़ी घटना हो सकती है इस बात को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है और इस मामले में पूर्वी भुजा से संबंधित मामला बताया जाता है बताते चलें की सत्यम नगर कॉलोनी में भवन निर्माण संबंधी विवाद कई महीनों से चल रहा है जिस विवाद का हल निकालने के लिए पीड़ित ने पूर्वी भुजा से संबंधित मामले से अवर अभियंता और लेखपाल से पैमाइश कराई थी जिस में अपनी पैमाइश की आख्या में अवर अभियंता पी पी पांडे और लेखपाल कमलेश तिवारी ने पैमाइश कराई गई पूर्वी भुजा को बेनाम के अनुरूप बताया था जिसकी आंख्या अधिकारियों को भेज दी गई थी मामला बताते हैं कि पुलिस के संज्ञान में भी है लेकिन जिस तरीके से मामला हो रहा है और उसमें किसी भी प्रकार का कानूनी दायरा नहीं दिखाई पड़ रहा है यह काफी चिंताजनक है क्योंकि मामले से पुलिस के अधिकारी भी अवगत हैं जिसमें दरोगा मोहित कनौजिया चैकी प्रभारी नवीन चैक का पीड़ित को धमकाने जैसा ऑडियो भी वायरल हुआ था उसके बाद भी मामले में कोई तत्परता नहीं दिखाई जा रही है जिसके कारण पीड़ित को न्याय नहीं मिल पा रहा है मामले में हद तो तब हो गई जब विपक्षियों के द्वारा 8 माह पुरानी निर्माण कार्य को नुकसान पहुंचाया गया और उसके बाद जब देखने पीड़ित पहुंचा तो उसको मय नाजायज असलहा लेकर दौड़ाया भी गया ऐसा पीड़ित ने अपने थानाध्यक्ष रामकोट को दिए गए प्रार्थना पत्र में स्पष्ट किया है लेकिन उसके बाद भी पुलिस ने कोई संजीदगी नहीं दिखाई मामला राजस्व का बताया जा रहा है क्या राजस्व विभाग का मामला होने के चलते अपराध को दबाया जाता रहेगा? इसकी आड़ में अगर अपराध होता है तो वह राजस्व विभाग की देन होगा? यह एक बड़ा सवाल है अगर इस तरीके से कहीं बड़ी घटना घट गई तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी ?यह भी सवाल बन रहा है जिससे अब अधिकारियों को इस पर संज्ञान लेना होगा और सिटी मजिस्ट्रेट अगर इस पर संज्ञान नहीं लेंगे तो मामला किसी और बड़े खतरे की ओर जा सकता है जिससे अब इस प्रकरण को समाप्त करने के लिए सिटी मजिस्ट्रेट को नए सिरे से कार्यवाही करनी होगी और इस विवाद को जल्द से जल्द निपटारा करवाना होगा अब मामला कौन निपटाए गा यह तो आगे पता चलेगा लेकिन जिस तरीके से पीड़ित न्याय की गुहार लगा रहा है और उसे न्याय नहीं मिल पा रहा है यह एक सुशासन शब्द पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहा है क्योंकि सुशासन का मतलब होता है सब कुछ सही और ठीक-ठाक चल रहा हो लेकिन कहीं पर भी ठीक-ठाक मामला नहीं नजर आ रहा है कानून को एक मजाक बना कर देखा जा रहा है जबकि उत्तर प्रदेश सरकार सुशासन की बात कर रही है और अधिकारियों को सख्त निर्देश है कि मामला होने से पहले निपटारा कर दिया जाए लेकिन यहां पर उल्टा नजर आ रहा है मामला चल रहा है लेकिन कोई भी पलट कर देखने वाला नजर नहीं आ रहा है आखिर जिम्मेदार अधिकारी इस पर कब अपनी चुप्पी तोड़ेंगे? जिससे मामला तूल पकड़ने से पहले ही और किसी बड़े अपराध की ओर जाने से पूर्व उसको रोक दिया जाए अब इस पर आगे की कार्यवाही कौन सुनिश्चित करेगा जिससे कि पीड़ित को न्याय मिल सकेगा वह आने वाला समय बताएगा लेकिन जिस तरीके से ऐसा चल रहा है वह सटीक और सही नहीं बैठ रहा है कानून के बाहर ही नजर आ रहा है जिससे कि इस पर अतिशीघ्र निर्णय लेना होगा और जिससे कि पीड़ित को समय रहते बड़ी घटना होने से पहले ही न्याय मिल सकेगा और यह भी पता चल सकेगा कि आखिर इस मामले में गलती किसकी है पीड़ित की या फिर विपक्षियों की जिससे कि अधिकारियों को इस मामले में संज्ञान लेना होगा और यह कब तक होगा पता नहीं न्याय तभी मिलेगा जब अधिकारी अपने स्तर से इस मामले में संजीदगी लाएंगे, हालांकि जो जानकारी मिल रही है कि सिटी मजिस्ट्रेट महोदय ने इस मामले में तत्परता भी दिखाई है लेकिन इस बात में कितनी सच्चाई है यह चर्चाओं के आधार पर लिखा जा रहा है पुख्ता साक्ष्य अभी नहीं प्राप्त हो सके हैं। बताया जा रहा है कि आदेश इस आशय पर किया गया है क्योंकि विपक्षियों के द्वारा निर्माण कार्य को नुकसान पहुंचाया गया था लेकिन फिर भी अब भी संदेह के बादल छटे नजर नहीं आ रहे हैं क्योंकि मामला जिस तरीके से आगे बढ़ता हुआ नजर आ रहा है और विपक्षियों के हौसले पस्त होते नजर नहीं आ रहे है उसमें सिटी मजिस्ट्रेट की यह कार्यवाही क्या रंग लाएगी यह तो आगे होने वाली कारवाई ही बताएगी लेकिन फिर भी जिस तरीके से मामला चल रहा है कि किसी भी तरह से सुलझने के नाम नहीं ले रहा है उससे सिटी मजिस्ट्रेट को इस पर अग्रिम कार्यवाही उच्च स्तर से करनी होगी और संज्ञान लेना होगा जिससे यह मामला पूरी तरीके से सके और आगे विपक्षियों द्वारा निर्माण कार्य में कोई बाधा पहुंचाई जाए जिसके लिए नए सिरे से संज्ञान में लेना होगा और जिसके लिए वह आगे कदम तो मालूम पड़ता है कि बढ़ा चुके हैं लेकिन बहुत कुछ बाकी है कहने का तात्पर्य है की मामले को समझते हुए पीड़ित के निर्माण कार्य में कोई बाधा ना पहुंचे इसके लिए भी पीड़ित को सुरक्षा की सहायता भी मुहैया करानी पड़ेगी अब आगे देखना यह है कि मामला कितना संज्ञान में लिया जाएगा जिससे कि पीड़ित को कोई नुकसान ना पहुंच सकें।

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