बहराइच। मेडिकल कॉलेज में आने वाले गंभीर बीमार बच्चे बेड के अभाव में लखनऊ नहीं रेफर होंगे। मेडिकल कॉलेज में 42 बेड का पीआईसीयू (पीडियाट्रिक इंटेसिव केयर यूनिट) जल्द ही बनकर तैयार हो जाएगा। इसके लिए वेंटीलेटर व आधुनिक सुविधा से लैस मशीनें मंगाई गईं हैं। लगभग 40 लाख की आबादी वाले जिले में मौसम बदलने के बाद बीमार बच्चों की संख्या एकाएक बढ़ जाती है। मेडिकल कॉलेज में बड़ी संख्या में बच्चे इलाज के लिए पहुंचते हैं। मेडिकल कॉलेज में अभी सिर्फ 10 बेड का पीआईसीयू वार्ड है जहां गंभीर बच्चों का इलाज किया जा रहा है। अधिक बच्चे हो जाने पर इलाज संभव होते हुए भी मजबूरन चिकित्सक लखनऊ बच्चों को रेफर कर देते हैं। इससे मरीजों के साथ ही परिवार के लोगों को परेशानी होती है। साथ ही रुपए भी अधिक खर्च होता है और भागदौड़ होती है सो अलग। अब 42 बेड का पीआईसीयू वार्ड तैयार होने के बाद भागदौड़ से जल्द ही निजात मिल जाएगी। निजी अस्पताल में इलाज महंगा जन्म के बाद सांस लेने में तकलीफ या अन्य दिक्कत होती है तो नवजात को एसएनसीयू में भर्ती करना पड़ता है। कभी-कभी अस्पताल में बेड उपलब्ध न होने पर लोगों को आस-पास के महंगे अस्पताल में जाने की मजबूरी होती है, जहां अधिक खर्च करना पड़ता है। 42 बेड का पीआईसीयू वार्ड तैयार होने के बाद गंभीर रूप से बीमार बच्चों का इलाज कराने के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा। अस्पताल के प्रबंधक रिजवान अहमद ने बताया कि इमरजेंसी कोविड रिस्पांस फेज-2 के तहत मेडिकल कॉलेज को 62 नए बेड मिले हैं। यह बेड रिमोट से कंट्रोल होंगे। इस बेड पर मरीज के लेटने के बाद तीमारदार को उठाने-बैठाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। रिमोट के जरिए मरीज को उठाया बैठाया जा सकेगा। इसके अलावा सभी बेडों पर सेंटर सप्लाई ऑक्सीजन की प्रक्रिया चल रही है।