अयोध्या। फैजाबाद राठ हवेली फययाज़ साहब की मस्जिद से रात 8:30 बजे एक तकरीर के बाद जुलूस निकाला गया जो अपने तयशुदा मार्गो से होता हुआ इमामबाड़ा जवाहर अली का होता हुआ खुर्द महल हजरत अब्बास की दरगाह पर जाकर खत्म हुआ इस दौरान एक तकरीर भी सुल्तानपुर अमहट से आए जाकिरे अहले बैत जाफर जहूर साहब ने की जिसमें उन्होंने बताया कि किस तरह से आज के दिन मोहम्मद साहब के नवासे ने अपने परिवार के साथ कर्बला की तरफ सफर किया था इसी के नाम से जुलूस सफर ए मदीना कहा जाता है उन्होंने अपनी तकरीर में यह भी बताया कि मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन ने मानवता इंसानियत और दीन की रक्षा के लिए मदीने से कर्बला पहुंच कर कई बड़ी कुर्बानियां पेश की और खुद भी शहीद हुए क्योंकि उस वक्त का बादशाह यजीद मानवता और इंसानियत को खत्म करना चाहता था और अपना जुल्मी राज स्थापित करना चाहता था लेकिन उसके रास्ते में इमाम हुसैन बहुत बड़ी बाधा बन रहे थे जिससे वह चाहता था कि इमाम हुसैन भी मेरी बातों को मानले लेकिन मोहम्मद साहब के नवासे ने उस जालिम यजीद बादशाह की बात नहीं मानी और अपने बच्चों और बेटों की कुर्बानी देकर इंसानियत और मानवता को बचा लिया जिनका गम और नाम रहती दुनिया तक मनाया जाएगा और लिया जाता रहेगा इस तकरीर के बाद जुलूस आगे बढ़ा जिसमें शहर की तमाम मातमी अंजुमनों ने अपने दुख भरे अंदाज में नौहा ख्वानी व सीना जनी की जिसको सुनकर मौजूद अजा़दार रो पड़े जुलूस में बड़ी संख्या में पुरुष महिलाएं बच्चे बुजुर्ग सभी शामिल हुए जुलूस में ऊंट पर रखी अमारी इमाम हुसैन के सवारी के प्रतीक दुलदुल मौजूद रहे जुलूस के मद्देनजर नगर निगम की साफ सफाई व्यवस्था ठीक देखी गई और जुलूस को देखते हुए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे यह जुलूस खुर्द महल हजरत अब्बास की दरगाह पर रात एक बजे खत्म हुआ जिसमें एक तकरीर भी की गई इस जुलूस को शिया धर्मगुरु मौलाना नदीम रजा जैदी और शहर के तमाम आवाम के नेतृत्व में उठाया जाता है यह जुलूस लगभग 60 वर्षों से उठाया जा रहा है जो बड़ा ही पुराना जुलूस माना जाता है
जुलूस में मुख्य रूप से ताजिया दरान कमेटी के अध्यक्ष हसन इकबाल हामिद जाफर मीसम पूर्व अध्यक्ष मुनीर आब्दी डॉ मिर्जा शहाब व ताजिया दारांन कमेटी के तमाम पदाधिकारियों सदस्य मौजूद रहे।