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ज्ञानी गुरजीत सिंह ने दूध पिलाकर ताेड़वाया जगदगुरू परमहंसाचार्य का उपवास

अम्बिकानन्द त्रिपाठी
अयोध्या। ऐतिहासिक गुरूद्वारा ब्रहमकुंड के मुख्यग्रंथी ज्ञानी गुरजीत सिंह गुरूवार काे तपस्वी छावनी आश्रम पहुंचे। जहां उन्हाेंने दूध पिलाकर जगदगुरू परमहंस आचार्य का उपवास ताेड़वाया। श्रीरामजन्मभूमि पर भव्य, ऐतिहासिक और अलाैकिक मंदिर निर्माण की मांग काे लेकर परमहंस बुधवार से ही 24 घंटे के उपवास थे। जिनके उपवास का समय गुरूवार काे पूरा हुआ और उन्हाेंने तुलसी युक्त गाै दूग्ध पीकर अपना अनशन ताेड़ा। इस माैके जगदगुरू परमहंस आचार्य ने कहाकि सदियाें से हम लाेग राममंदिर के लिए प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए न जानें कितने रामभक्ताें की जान चली गई। अब जब राममंदिर का निर्माण हाेने जा रहा है। ताे वह ऐतिहासिक, अद्वितीय, भव्यतम और अलाैकिक बने। यही सभी रामभक्ताें की इच्छा है। उन्हाेंने कहा कि जिस प्रस्तावित मॉडल पर राममंदिर निर्माण के लिए कहा जा रहा है। वह आकार में बहुत छाेटा है। यह मॉडल उस तरह का नही है। जैसा हम लाेगाें ने साेचा था। प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह भी गगनचुम्बी मंदिर की बात कर चुके हैं। प्रस्तावित मॉडल काे लेकर हम सभी साधु-संत व धर्माचार्य चिंतित हैं। हम लाेग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग करते है कि जिस तरह के राममंदिर की बात उन्हाेंने की थी। उस तरह का मंदिर बनना और दिखना चाहिए। कही ऐसा न हाे कि प्रस्तावित मॉडल पर ही राममंदिर बन जाए। आने वाले समय में लाेग कहें कि क्या यहीं भव्यतम और गगनचुम्बी राममंदिर है। जाे माेदी-अमित शाह की बात को झूठा न साबित कर दे और रामभक्ताें काे मायूस हाेना पड़े। इसलिए अभी से हम लाेग चाहते हैं कि भव्यतम व ऐतिहासिक मंदिर बने। जाे कम से कम ११११ मीटर ऊंचा अवश्य हाे। परमहंस ने कहा कि मुझे पीएम माेदी पर पूरा भराेसा है। जिस प्रकार के राममंदिर की बात उन्हाेंने किया है। वह हम सबकाे देखने काे मिलेगा। भारत में मंदिर ताे बहुत हैं। लेकिन राममंदिर भारतीय संस्कृति, मानवता और गाैरव का प्रतीक हाेगा। इसलिए राममंदिर काे साधारण न समझा जाए। इससे सवा साै कराेड़ रामभक्ताें आस्था जुड़ी हुई है। पूरे देश की भावना का सम्मान हाेना चाहिए।
वहीं ब्रहमकुण्ड गुरूद्वारा के मुख्यग्रंथी ज्ञानी गुरजीत सिंह ने कहा कि राममंदिर बहुत पुराना मुद्दा था। काफी वर्षाें के बाद रामजन्मभूमि आजाद हुआ। हमें साैभाग्य मिला है कि रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर बने। मंदिर की रूपरेखा लाेगाें ने अपने-अपने तरीके से साेचा हुआ है जैसे- अच्छा बने, इससे अच्छा बने और बहुत अच्छा बने। उन्हाेंने कहा कि सम्पूर्ण ७० एकड़ भूमि भगवान राम की है। उस ७० एकड़ भूमि पर सिर्फ राममंदिर का ही निर्माण हाेना चाहिए। यह मेरा विचार है। बल्कि यह विचार सभी लाेगाें का हाेना चाहिए। मंदिर ऐसा बने जाे भव्य हाे। ताकि विश्व के लाेग जब यहां दर्शन करने आएं। ताे मंदिर के साथ भगवान राम काे भी जान सकें।

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