उरई (जालौन)। जनपद की साहित्यिक संस्था पहचान की एक काव्य गोष्ठी स्कूल सिटी राजेन्द्र नगर में वरिष्ठ गीतकार विनोद गौतम जी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार यगदत्त जी के आतिथ्य में हुई गोष्ठी का संचालन नौजवान शायर फ़रीद अली बशर ने किया । काव्यगोष्ठी में नगर के दो दर्जन कवि और शायरों ने अपना काव्यपाठ किया
गोष्ठी की शुरुआत रुचि बाजपेई की सरस्वती वंदना और नईम ज़िया की नातेपाक से हुई गोष्ठी में सबसे पहले नवोदित शायर फ़राज़ ने पढ़ा किसकी हिम्मत मेरे सिम्त उठाए उंगली,पुष्पेंद्र पुष्प ने पढ़ा पहले हैरानी दो,फिर आंखों में पानी दो,,खूब सराहा गया इसके बाद परवेज़ अख्तर ने पढ़ा, मन को मत कैकई बना तू उम्र भर पछतायेगा,,कान तेरे मंथरा बनके कोई भर जाएगा गोष्ठी में मौजूद सिद्धार्थ त्रिपाठी ने सुनाया,हमने पूछा रोटी लै हो नासमिटन ने हाँ कर दई,साँचऊ जिजि खौल गईं छाती भीतर से बाहर लौ भर गई,,नगर की शानदार कवियत्री प्रिया श्रीवास्तव दिव्यम ने पढ़ा,राम बिना कुछ भी नहीं रामहिं जीवन सार ,जीवन की मझधार राम नाम पतवार, जिसपर ज़ोरदार तालियाँ बजीं नगर की एक और कवियत्री शिखा गर्ग ने मातृभाषा हिंदी को समर्पित पढा,मेरा विश्वास है हिंदी मेरी हर सांस है हिंदी,इसी में भाव सजते है वृहद उल्लास है हिंदी,,जिसे सभी ने खूब सराहा ओज के कवि वीरेंद्र तिवारी ने आजके हालात पर व्यंग किया,जो क़लम बेचकर लिखता हो ,वह कवि नहीं हो सकता है,,फिर संचालक ने ज़िले के बुंदेली भाषा के कवि सुरेशचन्द्र त्रिपाठी को काव्यपाठ के लिए बुलाया उन्होंने शानदार ,,फुलवा बोल,,बुंदेली सुना कर ज़ोरदार तालियाँ बाजवाइं पहचान संस्था के अध्यक्ष शफीकुर्रहमान कशफी ने पढ़ा, आज जो दोस्त बनी है वही दुश्मन होगी, वो कोई और नहीं दिल तेरी धड़कन होगी,,मसअले आज सुलझ जाएं तो बेहतर होगा, वर्ना कल पे छोड़ोगे तो कल और भी उलझन होगी,,जिसे खूब सराहा गया अभिषेक सरल ने सुनाया,आस छोड़ दो अब कोई अवतार लेकर नहीं आएगा,,दिव्यांशु ने कहा आंच जब अपनी अस्मिता पर आई दिव्य,हर नारी झांसी वाली रानी बन गई है,,कवियत्री रुचि बाजपेई ने पढ़ा,ओ बनवारी नेह लगाकर मुझको भूल न जाना,फिर वरिष्ठ कवियत्री माया सिंह माया ने पढ़ा स्वांस की बांसुरी प्रीति की रागनी,स्वर उमंगो भरे हम सजाते रहे खूब सराहा गया नईम ज़िया ने सुनाया जब भी कुछ लोग निगाहों से उतर जाते हैं, रौशनी में भी धुंधले नज़र आते हैं,, फिर संचालन कर रहे फ़रीद अली बशर ने पढ़ा,हर इक बशर ने बसा रक्खी है अपनी दुनियाँ,एक दुनियाँ में समाईं हैं कितनी दुनियाँ,,खूब सराहा गया उस्ताद शाइर अब्बासी साक़ी साहबने पढा शर्म आती आजभी इंसान जाहिल रह गया,भूख तेरी आग में तो तख्तियाँ तक जल गईं,, आज के हालात पर करारा व्यंग किया,जनपद के वरिष्ठ साहित्यकार यगदत्त तिरपाठी जीने पढ़ा कमज़ोर नहीं सहजोरों का आभुषण सत्य आहिंसा है,बापू कहते थे अत्याचारों का सहना भी हिंसा है,,आज की पीढ़ी को सन्देश दिया काव्यगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे जनपद के वरिष्ठ साहित्यकार गीतकार विनोद गौतम ने पढ़ा,,टूटते रिश्ते सलौने छीजते हम लोग हैं,नफरतों की बारिशों में भीजते हमलोग है,,के अलावा गोष्ठी को कई गीत दिए जिसे सभी ने मंत्रमुग्ध हो कर सुना अंत मे पहचान के अध्यक्ष और स्कूल सिटी के प्रबंधक अशोक होतवानी ने सभी का आभार व्यक्त किया ।