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4 साल से बिछड़े पप्पू को पाकर पिता व पत्नी के छलके आंसू

बुंदेलखंड दलित अधिकार मंच की टीम को अहमदाबाद रेलवे स्टेशन पर भीख मांगते मिला था पप्पू
उरई, जालौन। 4 साल पहले बिछड़े अपने पति व बेटे को पाकर पप्पू के पिता व पत्नी जब आमने सामने मिले तो सभी आपस में लिपटकर रोने लगे, क्यूंकि कोरोना जैसे काल गुजरने के बाद तो उम्मीद ही छोड़ दी थी की वह दुवारा मिलेंगे, लेकिन पिछले 4 सितम्बर को सामाजिक संगठन बुंदेलखंड दलित अधिकार मंच की टीम अहमदाबाद स्थित दलित शक्ति केंद्र में 3 दिवसीय प्रशिक्षण के बाद बापसी अपने गृह जनपद जालौन को लौट रही थी, टीम जब रात्रि 11 बजे अहमदाबाद रेलवे स्टेशन पहुंचे तो वहां पर जनपद जालौन के मडैयाँ आंग्देला, पोस्ट नरोल, थाना – रामपुरा निवासी पप्पू पुत्र रामसिया जाति पाल(गढ़रिया), 35 वर्ष व्यक्ति ट्राई साईकिल पर भीख मांगते हुए मिला तो टीम के साथियों ने बातचीत की तो उसने बताया की वह यहाँ 45 दिन से रेलवे स्टेशन पर भीख मांग रहा है, इससे पहले 3 साल होटल में काम किया जहाँ पर भी उसको प्रताड़ित किया गया तो मानसिक स्तिथि ख़राब हो गयी व दिव्यांग बनकर स्टेशन पर भीख मांगकर पेट भरने लगा टीम के साथियों ने जब उसका और परिचय एवं नाम पता पूछा तो उसने अपना पूरा पता बताया, इस पर टीम के साथियों ने जिले के संबधित रामपुरा थाना को सूचित किया व विस्तृत विवरण के साथ अवगत कराया, थाना दुवारा टीम को बताया गया की आप लोग उपरोक्त व्यक्ति को गृह जनपद लेकर आ जाइये, हम उनके परिवार को सूचित कर देंगे।
बुंदेलखंड दलित अधिकार मंच के कार्यकर्ता 6 सितम्बर 2021 को सुबह 4.30 बजे ट्रेन दुवारा सकुशल पप्पू को लेकर उरई पहुंचे जहाँ पर उनके पुरे परिवार की फेमिली (पीड़ित के पिता रामसिया, पत्नी विमला देवी, व ग्राम प्रधान प्रतिनिधि रामशंकर पाल व गावं के अन्य लोग व रिश्तेदार ) उरई लेने आ गए परिवार के लोग अपने सदस्य को पाकर बहुत खुश हुये व बुंदेलखंड दलित अधिकार मंच की टीम को धन्यवाद दे रहे है अहमदाबाद स्टेशन पर मिले पप्पू को उरई गृह जनपद लाकर बुंदेलखंड दलित अधिकार मंच की टीम ने कलेक्ट्रेट जिलाधिकारी/पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचकर जिला प्रशासन के समक्ष पिता रामसिया व ग्राम प्रधान प्रतिनिधि रामशंकर पाल को सुपुर्द किया वही सम्बंधित थाना रामपुरा अवगत करवाते हुए मंच के कार्यकर्ता अजीत सिंह, रामसिंह, राजेश गौतम व धर्मपाल राजपूत पुरे परिवार के साथ उनके घर तक छोड़ने गए, वहां गावं में जब लोगों को पता चला तो ख़ुशी की लहर दौड़ गयी, गावं के सारे लोग इकठ्ठा हुए व फूल मालाओं से स्वागत किया वही ग्रामीण व क्षेत्रीय लोग बुंदेलखंड दलित अधिकार मंच के इस कार्य की भूरी भूरी प्रसंशा कर रहे है पप्पू ने सुनाई अपनी दास्ताँ अपने पिता व पत्नी से मिलकर भावुक हो रो पढ़े पप्पू ने कहाँ की मैने तो आश ही छोड़ दी थी की हम अब कभी दुवारा अपने परिवार से मिल पाएंगे, 4 साल पहले काम के लिए कुछ लोग हमे ले गए थे, वह तीन साल हमने एक होटल में काम किया जहाँ हमें बहुत प्रताड़ित किया गया, मेरा मानसिक संतुलन बिगढ़ गया, और निकाल दिया फिर हमने स्टेशन पर भीख मांगी, पुरा कोरोना काल हमने एसे ही गुजारा कोई मेरी मदद नहीं कर रहा था, और मैने भी सोच लिया था की अब जिन्दगी खत्म है, लेकिन आज हमें हमारा बिछड़ा हुआ परिवार मिल गया अब हम अपने परिवार के साथ नयी जिन्दगी फिर से जी पाएंगे। बुंदेलखंड दलित अधिकार मंच पुरे बुंदेलखंड में गावं गावं में दलितों, बन्चितों, पिछड़ों, महिलाओं गरीब व मजलूमों के हक व अधिकार व सम्मान के लिए काम करती है, पिछले 2 – 4 सितम्बर को मंच के कार्यकर्ता अजीत, राजेश गौतम,रामसिंह, पूजा, धर्मपाल, रीता,कृष्णकुमार, रिहाना मंसूरी, विमल बौध, राजेश्वरी गौतम, संजय वाल्मीकि,राजकुमार जाटव व मंच के संयोजक कुलदीप कुमार बौद्ध तीन दिवसीय प्रशिक्षण हेतु दलित शक्ति केंद्र अहमदाबाद गए हुए थे वहा से बापसी लौटते समय जब अहमदाबाद रेलवे स्टेशन पर यह केस मिला तो पूरी टीम इसमें जुट गयी और 4 साल से पिछले पप्पू को उसके परिवार से मिलवाने का कार्य किया।

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